प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना से अर्थव्यवस्था को भी होगा लाभ
कोरोना महामारी के चलते गरीब वर्ग की मदद करने के उद्देश्य से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में घोषणा की है कि देश के लगभग 80 करोड़ लोगों को केंद्र सरकार की ओर से प्रतिमाह 5 किलो गेहूं/चावल के रूप में मुफ्त राशन नवम्बर 2021 माह तक उपलब्ध कराया जाएगा। इसके पूर्व कोरोना महामारी के दूसरे दौर में गरीब वर्ग की मदद करने के उद्देश्य से अप्रेल 2021 माह में घोषणा की गई थी कि माह मई एवं जून 2021 में "प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना" के अंतर्गत गरीब परिवारों को मुफ्त खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। आपको ध्यान हो कि पिछले वर्ष कोरोना महामारी के पहिले दौर के दौरान उक्त योजना प्रारम्भ की गई थी और इसे अप्रेल से नवम्बर 2020 के दौरान देश में सफलतापूर्वक चलाया गया था। इस योजना पर केंद्र सरकार को प्रतिमाह लगभग 12,500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ सहन करना होता है।
पिछले वर्ष कोरोना महामारी के पहिले दौर के दौरान पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया था जिससे आर्थिक गतिविधियां कुछ क्षेत्रों में तो पूर्णतः ठप्प पड़ गई थीं एवं इसके कारण लाखों की संख्या में श्रमिकों का शहरों से गावों की ओर पलायन हुआ था। चूंकि लॉकडाउन के कारण यातायात के साधन भी उपलब्ध नहीं थे अतः श्रमिक अपने परिवार के साथ मजबूरीवश पैदल चलकर ही शहरों से अपने गावों में पहुंचे थे। ऐसे कठिन समय में देश के गरीब वर्ग एवं विशेष रूप से इन श्रमिकों की सहायता करने के उद्देश्य से "प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना" को लागू किया गया था। इस योजना के अंतर्गत प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलो गेहूं, चावल एवं दालें इत्यादि खाद्य सामग्री मुफ्त राशन के रूप में उपलब्ध करायी गई थी। इस वर्ष हालांकि पूरे देश में लॉकडाउन नहीं लगाया गया है परंतु कई प्रदेशों में कोरोना बीमारी की गम्भीर स्थिति का आकलन करते हुए कुछ इलाकों में लॉकडाउन लगाया गया है। लॉकडाउन का सबसे अधिक विपरीत प्रभाव गरीब वर्ग पर ही पड़ता है एवं उनका रोज़गार ही छिन जाता है। अतः ऐसे वर्ग के गम्भीर समय में केंद्र सरकार द्वारा इस वर्ष भी उक्त योजना के अंतर्गत देश के लगभग 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि देश में कोई भूखा न सो सके।
ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 60 प्रतिशत आय गैर कृषि कार्यों अर्थात सेवा एवं लघु उद्योग क्षेत्रों से होती है जो कि कोरोना महामारी के कारण बहुत ही विपरीत रूप से प्रभावित हुए हैं। दूसरे, श्रमिकों के पलायन एवं निर्माण तथा पर्यटन उद्योगों में कार्य के एकदम लगभग पूर्ण रूप से रुक जाने के कारण इन क्षेत्रों में बेरोजगारी की समस्या भी बढ़ी है जिससे समस्या और भी गम्भीर गुई है। ग्रामीण इलाकों में गैर कृषि क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की आय पर बहुत विपरीत असर पड़ा है एवं इस वर्ग के लोगों के लिए तो दो जून की रोटी जुटाना भी बहुत मुश्किल कार्य हो गया है। ऐसे गम्भीर समय में 80 करोड़ लोगों को उक्त योजना के अंतर्गत अन्न उपलब्ध कराया जाना ताकि इन लोगों के लिए कम से कम खाने की व्यवस्था तो हो सके, एक सराहनीय कदम माना जाना चाहिए। अतः केंद्र सरकार का यह निर्णय वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए बहुत सही निर्णय कहा जाना चाहिए।
कोरोना महामारी का दूसरा दौर, पहिले दौर की तुलना में ज्यादा व्यापक रहा है एवं इसका प्रभाव इस बार गावों में भी देखा गया है। प्रतिदिन संक्रमित होने वाले अधिकतम मरीजों की संख्या जो प्रथम दौर में लगभग 98,000 तक पहुंची थी वहीं दूसरे दौर में यह संख्या बढ़कर 4 लाख प्रतिदिन का आंकड़ा भी पार कर गई थी। साथ ही इस बार संक्रमण बहुत तेजी से फैला। इस कारण से, विशेष रूप से उपभोक्ताओं का आत्मविश्वास भी विपरीत रूप से प्रभावित हुआ है। ऐसे माहौल में उक्त योजना के लागू किए जाने से उपभोक्ताओं के आत्मविश्वास को वापिस लाने में मदद मिलेगी। वर्तमान परिस्थितियों में कोरोना महामारी से प्रभावित कई परिवारों के पास आय का कोई साधन नहीं होने से कोई बचत नहीं है, कोई रोजगार नहीं है अतः यह सही समय है लोगों की मदद करने का। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अभी उपभोक्ता द्वारा अपने ख़र्चे में वृद्धि करने में अभी कुछ समय लग सकता है अतः अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में इस प्रकार की योजनाएं सहायक सिद्ध हो सकती हैं। कई गरीब परिवार इस मुफ्त अनाज को लेकर बाजार में बेच देते हैं इससे उनके हाथ में नकद राशि आ जाती है अतः उन्हें एक सुरक्षा कवच उपलब्ध हो जाता है। इस प्रकार से उपभोक्ता के आत्मविश्वास में वृद्धि करने में सहायता मिलती है।
यह प्रथम सोपान है कि गरीब वर्ग को खाद्य सामग्री उपलब्ध करायी जा रही है। दूसरे सोपान में मुफ़्त वैक्सीन दिया जा रहा है यह उन्हें बीमारियों से बचाए रखेगा। अब जब देश में अर्थव्यवस्था पूर्ण रूप से खुल जाएगी तो गरीब वर्ग के लिए रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होने लगेंगे। मनरेगा योजना भी ग्रामीण इलाकों में वृहद स्तर पर चलायी जा रही है एवं इससे भी ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाए जा रहे हैं। निर्माण एवं पर्यटन क्षेत्र भी अब धीरे धीरे खोल दिए जाएंगे एवं इन क्षेत्रों में रोजगार के अवसर वापिस निर्मित होना शीघ्र ही प्रारम्भ हो जाएंगे। भारत में तो धार्मिक स्थलों को खोलने से भी रोजगार के अवसर बढ़ते हैं। भारत में तो धार्मिक पर्यटन भी बहुत बढ़े स्तर पर होता है। इस प्रकार कुल मिलाकर कुछ समय पश्चात जब गरीब वर्ग को कमाई के पर्याप्त साधन उपलब्ध होने लगेंगे तब तक उक्त योजना के अंतर्गत उनकी सहायता करना बहुत जरूरी है।
वन नेशन वन राशन कार्ड भी अपनी अच्छी भूमिका निभा रहा है एवं शहरों से ग्रामों की ओर पलायन किए गए श्रमिक वर्ग के लिए यह योजना बहुत लाभकारी सिद्ध हुई है। इस दृष्टि से सोचा जाय तो आस पास के देशों से जरूर पलायन को अब रोका जाना चाहिए क्योंकि यह वर्ग भारतीयों के संसाधनों पर अपना अधिकार जमा लेता हैं। इस सम्बंध में अब केंद्र सरकार के लिए कड़े कानून बनाने का उचित समय आ गया है। देश हित में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लाया जाना भी अब एक आवश्यकता बन गया है, अन्यथा देश में लगातार तेजी से बढ़ रही जनसख्या के बीच कोरोना महामारी जैसी बीमारियों के फैलने से स्वास्थ्य सेवाएं ही चरमरा जाती हैं और देश में कितने भी अधिक संसाधन हों परंतु कम होने लगते है। इस तरह के कानूनों को केंद्र सरकार द्वारा शीघ्र लागू करने के प्रयास किए जाने चाहिए साथ ही इस संदर्भ में राज्य सरकारों एवं स्थानीय स्तर पर प्रशासन का सहयोग भी लिया जाना चाहिए।
भारत सरकार ने इस वर्ष किसानों से खाद्य पदार्थों की खरीद बहुत बड़े स्तर पर की है अतः अनाज को गरीब वर्ग को मुफ़्त में प्रदान कर इसे खराब होने से बचाया जा रहा है। साथ ही, आज भारत से बहुत बड़े स्तर पर अनाज का निर्यात भी किया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा किसानों से बड़े स्तर पर की जा रही खरीद एवं कृषि पदार्थों के निर्यात के कारण किसानों के हाथों में सीधे ही पैसा पहुंच रहा है इससे किसानों की आय तेजी से बढ़ रही है एवं उनकी खर्च करने की क्षमता में भी वृद्धि दृष्टिगोचर है। साथ ही, गरीब वर्ग को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराकर भी गरीब वर्ग के हाथों में एक तरह से अप्रत्यक्ष रूप से पैसा ही पहुंचाया जा रहा है। इसके साथ ही गोदामों में रखा अनाज भी ठीक तरीक़े से उपयोग हो रहा है अन्यथा कई बार गोदामों में रखे रखे ही अनाज सड़ जाता है। इस तरह से सरकार के उक्त कदम का देश की अर्थव्यवस्था को भी सीधे ही लाभ हो रहा है।