उत्तरप्रदेश चुनाव - किसकी पार लगेगी नाव?
फाइल फोटो
उप्र में विधानसभा चुनावी रण आरम्भ हो चुका है. देश ही नहीं, पूरी दुनिया की निगाहें लगी हुई हैं कि किस राजनीतिक पार्टी को मिलेगा उार प्रदेश (यूपी) का सिंहासन? यह चुनाव अपने अंदर अनेक दार्शनिक और सैद्धांतिक प्रश्न समेटे हुए है। यूपी में लम्बा समय बिताने और 'आओ चलें यूपी अभियान' की संयोजक के रूप में वहाँ के विभिन्न जगहों पर आने-जाने में मुझे आम जनता, रिशेठेले वालों, दुकानदार से लेकर प्रबुद्ध जनों से संपर्क और बातचीत करने का मौका मिलता रहता है। यह जानकर बड़ा सुखद आश्चर्य होता है कि जनता को चुनावों और राजनीति के बारे में जमीनी स्तर की जानकारी रहती है। उनकी बातचीत में यह बार-बार आता है कि 'सर्वे भवंतु सुखिन:Ó वाली सरकार हो, न कि 'किंचित जना:भवंतु सुखिन:Ó वाली सरकार, अर्थात ऐसी सरकार आए जो कुछ लोगों के लाभ के लिए न होकर सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय के लिए काम करे। सरकार कैसी बने, इस विषय पर इनलोगों से बातचीत में सात 'सकारÓ के बिंदु निकलकर सामने आए- सुरक्षा, शांति, सम्मान, समरसता, सनातन भारतीय परंपरा, स्वास्थ्य और शिक्षा. पहला बिंदु है 'सुरक्षाÓ। लोगों को एक ऐसी सरकार चाहिए जो सबको सुरक्षा दे सके। यहां सुरक्षा से तात्पर्य लड़कियों-स्त्रियों, आम जनता, व्यापारी सबकी सुरक्षा है। मुझे ऐसे अनेक लोग मिले जो विचारधारा के स्तर पर उार प्रदेश की वर्तमान योगी आदित्यनाथ के भाजपा सरकार की नीतियों के विरोधी होते हुए भी यह स्वीकार करते हैं कि पिछले सरकारों के समय के गुंडाराज और माफिया राज से प्रदेश को मुक्ति मिली है। गुंडाराज से मुक्ति, शारीरिक- मनोवैज्ञानिक सकून के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था की बेहतरी का भी मार्ग है।
एक तरफ युवतियां- महिलाऐं बेरोकटोक स्कूल कॉलेज जा सकती हैं, तो राज्य के आर्थिक विकास और बाहर से पूंजी निवेश के लिए भी सुरक्षा बहुत मायने रखती है। उद्योगपति-व्यापारी अपना व्यापार और विनिवेश वहीँ करेंगे जहां कानून-व्यवस्था चाकचौबंद होगी। इस मानक पर समाजवादी पार्टी के मुकाबले वर्तमान की योगी सरकार में आकाश-पाताल का अंतर है. शिक्षार्थी हूँ, अत: शिक्षा की शदावली में कहूँ तो पिछली सरकार सपा जहाँ 'एफ ग्रेडÓ से फेल थी, वहाँ योगी सरकार 'ए ग्रेडÓ से पास होगी. राज्य के समग्र विकास के लिए सुरक्षा के साथसाथ शांति भी जरूरी है। इस संदर्भ में भी योगी सरकार के प्रत्यक्ष विरोधी भी अंदरखाने मानते हैं कि योगी सरकार में किसी प्रकार का दंगा जैसा कृत्य नहीं हुआ, और शांति स्थापित हुई है। जनता इस बात को जानती- समझती है। एक मिसाल दूंगी- कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर एक पोस्ट देखा था 'अगर आपके घर में कोई बहन-बेटी है तो वोट डालने के पहले उसके सिर पर हाथ रख कर सोचना कि जिस दल के लिए मैं वोट करने जा रहा हूं, उसके आने के बाद इस बहन-बेटी के साथ कैसा व्यवहार हो सकता है?Ó सुरक्षा और शांति आधी आबादी यानी हमारी माताओं, बहनों- बेटियों के समान के लिए तो और भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। इस दृष्टि से 'मिशन शक्तिÓ हो अथवा 'ऑपरेशन शक्तिÓ, अनेक योजनाओं के माध्यम से योगी सरकार ने चमत्कारिक कार्य किया है, और फर्क साफ दिखाई देता है।
सुरक्षा, शांति, समान के साथ किसी सरकार की एक अन्य कसौटी है जनता की 'समृद्धिÓ। चाहे गन्ने जैसी फसलों का त्वरित भुगतान हो या फिर एमएसपी पर फसलों की खरीद हो, वर्तमान की योगी सरकार ने रिकॉर्ड कार्य किया है। किसानों के लिए एमएसपी पर जितनी खरीद वर्तमान सरकार ने की है उतनी खरीद उार प्रदेश के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। इसके अलावा आईटी सेटर, पर्यटन और विनिर्माण के साथ-साथ रक्षा जैसे क्षेत्रों में यूपी प्रगतिपथ पर है। ब्रह्मोस मिसाइल से लेकर रक्षा उपकरणों की विदेशी निर्माता कंपनियां भी आज उार प्रदेश में अपनी इकाइयां स्थापित कर रही हैं। इन क्षेत्रों से जुड़े उद्योगों के विकास का सीधा अर्थ आर्थिक समृद्धि और बड़ी संया में रोजगार सृजन है। नए-नए एयरपोर्ट, एक्सप्रेसवे, डिफेंस कॉरिडोर और तकनीक से संबंधित नए निवेश, 'एक जनपद एक उत्पादÓ योजना उार प्रदेश का कायाकल्प कर देगी। लेकिन इन योजनाओं को पूरी तरह से साकार होने के लिए थोडा और वक्त चाहिए। पिछले पाँच साल में आरभिक 1-2 साल माफियाओं, बाद में 2 वर्ष कोरोना से लड़ते-लड़ते बीत गया। ऐसे में इन 5 वर्षों में जिन आर्थिक कार्यक्रमों- योजनाओं का बीजारोपण हुआ है उन्हें पुष्पित और फलदायी बनाने के लिए उार प्रदेश की बागडोर भाजपा के हाथों में ही होनी चाहिए।
'समरसताÓ अर्थात एक जाति- मजहब विशेष पर केंद्रित न होकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपनों के अनुरूप 'सबका साथ, सबका विकासÓ के लिए योगी सरकार कार्यरत है. इसी तरह सनातन भारतीय परपरा के सभी महत्वपूर्ण स्थलों, खासतौर से शिव की नगरी काशी, राम की अयोध्या और कृष्ण की मथुरा के लिए भी भाजपा सरकार पूर्ण संकल्पित दिखती ह। शिक्षा की बात करें तो स्कूली हो अथवा उच्च शिक्षा , योगी सरकार ने पिछली सरकारों की तुलना में ही नहीं, बल्कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में भी कई नए कीर्तिमान गढ़े हैं। मीडिया में आए दिन रिपोर्ट आती है कि भारत में पाँचवी कक्षा तक के लगभग आधे बच्चे गणित के बुनियादी सवालों को भी हल नहीं कर पाते, या सामान्य पाठ भी ठीक-ठीक समझ नहीं पाते हैं। इसके समाधान के लिए योगी सरकार ने तकनीक का सहारा लेकर कार्य शुरू किया। स्कूली बच्चों की समझ के स्तर के आधार पर उनके अलग- अलग समूह बनाए गए। उन समूहों को प्रत्येक दिन दो-दो घंटे विशेष पर्यवेक्षण में रखा गया। अगस्तसितंबर 2018 में शुरू की गई इस पहल में एक लाख तेरह हज़ार स्कूलों, में दो लाख तीस हज़ार ऐसे समूह बनाए गए। तीन महीनों में इन बच्चों के ज्ञान और समझ में 22त्न की आश्चर्यजनक वृद्धि देखी गई।
सर्वाधिक लाभ दलित और अति पिछड़ी जातियों के बच्चे को हुआ. यह आंकड़ा गरीबी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध कार्य कर रही संस्था अदुल लतीफ जमील पॉवर्टी एशन लैब का है। योगी सरकार के इस क्रांतिकारी कदम को अब पूरे प्रदेश के हर स्कूल में भी ले जाना है और उसके लिए आवश्यक है कि इस सरकार को दोबारा मौका दिया जाए। स्कूली गुणवाा बढाने के लिए दिसंबर 2021 तक 1.2 लाख शिक्षकों की नियुक्ति भी की जा चुकी है। उच्च शिक्षा में प्रयागराज में नई लॉ यूनिवर्सिटी, गोरखपुर में आयुष यूनिवर्सिटी और वेटरनरी यूनिवर्सिटी, या भदोही में वोकेशनल यूनिवर्सिटी हो, या अन्यत्र स्पोर्ट यूनिवर्सिटी, फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी और प्राविधिक शिक्षा के लिए नए विश्वविद्यालय; निर्माणाधीन है। रोजगार से जुड़े कौशल शिक्षा के लिए आजादी से लेकर 2017 तक जहां प्रदेश में 527 पॉलिटेनिक संस्थान हुआ करते थे, वहीं अब 1417 पॉलिटेनिक संस्थान चल रहे हैं। स्वास्थ्य के संदर्भ में भी कई अकल्पनीय चीजें हुई है। कभी बीमारू राज्य कहे जाने वाले यूपी में योगी सरकार से पहले जहां 12 मेडिकल कॉलेज हुआ करते थे वही भाजपा सरकार के आने के बाद से 17 मेडिकल कॉलेज बन चुके हैं, 16 का निर्माण पूरा होने वाला है. आने वाले समय में हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज बनाया जाएगा। जनता समझती है कि चाहे सुरक्षा हो या शांति, सम्मान हो या समृद्धि, सनातन विरासत हो या समरसता और शिक्षा हो या स्वास्थ्य ; प्रधानमन्त्री मोदी के संकल्प को साकार करने की जो शुरुआत योगी सरकार में हुई है उस की पूर्ण परिणति तभी होगी जब एक बार फिर भाजपा की सरकार यूपी में आए।
( प्रो. पूनम कुमारी, जेएनयू में प्रोफेसर एवं आओ चलें यूपी अभियान की संयोजक हैं।)