राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान के वार्षिक पुरस्कार एवं सम्मान समारोह में 49 विभूतियों का सम्मान

राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान के वार्षिक पुरस्कार एवं सम्मान समारोह में 49 विभूतियों का सम्मान
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कार्यक्रम का शुभारम्भ सीमा गुप्ता की वाणी वन्दना से हुआ। अतिथि स्वागत वरिष्ठ उपाध्यक्ष डाॅ. रविशंकर पांडेय ने किया।

लखनऊ। समाज के सिंहावलोकन का महत्वपूर्ण काम इतिहासकार करता है। इतिहासकार भी कभी न कभी चूकता है। वह जहां चूकता है, उसे सहित्यकार समेट लेता है। साहित्य और साहित्यकार से जो चीजें छूटती हैं, उसे लोकमानस समेट लेता है। इस तरह हमारा लोक सबसे महत्वपूर्ण होता है। जनश्रुतियों में इतिहास का संकलन युगों-युगों तक स्वतः संचालित होता आ रहा है। उक्त बातें राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. हरिओम ने कहीं। वह 'कलामंडपम सभागार' भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय, कैसरबाग में आयोजित संस्थान के वार्षिक 'पुरस्कार एवं सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे।


अध्यक्ष डाॅ. हरिओम ने आगे कहा कि साहित्य मानवीय सभ्यता को आगे ले जाने वाली ताकत है। साहित्यकार की दृष्टि बहुरंगी है। इस खूबसूरती को बचाना है। आने वाले वक्त के लिए जो हम धरोहर छोड़ जायेंगे, वहीं अपनी विरासत है। सभी पुरस्कृत एवं सम्मानित साहित्यकारों को बधाई देते हुए मुख्य अतिथि अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता ने कहा कि साहित्य हमें अवसाद से बचाता है। सेवाकाल में रहते हुए हम यह सोचते हैं कि हम नहीं रहेंगे तो कार्य कैसे होंगे? लेकिन सत्य तो यह है कि सारे कार्य हमारे होने पर ही हैं। यहां आकर सबकी अभिव्यक्तियां सुनकर लगता है कि सभी की अभिव्यक्तियां बहुत उच्च कोटि की हैं।


इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ सीमा गुप्ता की वाणी वन्दना से हुआ। अतिथि स्वागत वरिष्ठ उपाध्यक्ष डाॅ. रविशंकर पांडेय ने किया। प्रगति आख्या संस्थान की महामंत्री डाॅ. शोभा दीक्षित 'भावना' ने प्रस्तुत की। मंचस्थ अतिथियों ने संस्थान की त्रैमासिक पत्रिका 'अपरिहार्य' एवं डाॅ. हरिओम की सद्यः प्रकाशित पुस्तक 'कैलाश मानसरोवर यात्रा-आस्था के वैचारिक आयाम' का लोकार्पण किया। संचालन डाॅ. रश्मि शील एवं सुनील बाजपेयी ने किया। विजय त्रिपाठी ने कार्यक्रम में पधारे मुख्य अतिथि/साहित्यकारों/श्रोताओं एवं अन्य उपस्थित महानुभावों के प्रति संस्थान ने आभार जताया।





24 विभूतियों को मिला वार्षिक साहित्य पुरस्कार : सुल्तानपुर के ओम प्रकाश 'जयन्त' को उनकी पुस्तक 'चलो गांवन की ओर' को प्रताप नारायण मिश्र पुरस्कार। हिंदी पद्य में दीर्घकालीन साहित्य सेवा के लिए लखनऊ के घनानंद पांडेय 'मेघ' को शिव सिंह सरोज पुरस्कार। मेरठ के प्रो. जसवंत नेगी को उनकी कृति 'दिल दूर रहता है' को बालकृष्ण भट्ट पुरस्कार। लखनऊ के डॉ. दिनेश चंद्र अवस्थी को काव्य संग्रह 'दोहा वल्लरी' के लिए कवयित्री महादेवी वर्मा पुरस्कार। आगरा के राजगोपाल सिंह वर्मा को उनकी पुस्तक 'बेगम समरू का सच' को पं. महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार। लखनऊ की एम हिमानी जोशी को दीर्घकालीन साहित्य सेवा के लिए भगवती चरण वर्मा पुरस्कार। लखनऊ के सत्येन्द्र कुमार सिंह 'शलभ' को दीर्घकालीन साहित्य सेवा के लिए सुमित्रानन्दन पंत पुरस्कार। उमाशंकर यादव 'निशंक' को उनकी कृति 'चलौ गांव लौटि चली' को भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार। लखनऊ के डॉ. दीपक कोहली की पुस्तक 'विज्ञान की नई दिशाएं' को अमृतलाल नागर पुरस्कार। लखनऊ के सुशील चन्द श्रीवास्तव की पुस्तक 'हनीमून' को डाॅ. विद्या निवास मिश्र पुरस्कार। लखनऊ के महावीर सुरेन्द्र मोहन 'मृदुल' को उनकी कृति 'ज्योति पुंज' को श्यामसुन्दर दास पुरस्कार। बाराबंकी के डॉ. अम्बरीष कुमार सिंह की कृति 'कविता जीकर देखो' को जयशंकर प्रसाद पुरस्कार। संतकबीरनगर के अजय कुमार त्रिपाठी की कृति 'एक नदी मेरे भीतर' को शिवमंगल सिंह 'सुमन' पुरस्कार । लखनऊ के अवध बिहारी श्रीवास्तव की पुस्तक 'बस्ती के भीतर' को गया प्रसाद शुक्ल 'सनेही' पुरस्कार। बहराइच के डॉ. अशोक 'गुलशन' की कृति 'ख्वाब के साए' को डाॅ. हरिवंश राय बच्चन पुरस्कार। लखनऊ के रामराज भारती की कृति 'प्रकाश दीप' को रामधारी सिंह 'दिनकर' पुरस्कार। सीतापुर के बृजराज सिंह तोमर को दीर्घकालीन साहित्य सेवा के लिए जोश मलिहाबादी पुरस्कार । लखनऊ के प्रमोद कुमार 'सुमन' को दीर्घकालीन सेवा के लिए मीर तकी 'मीर' पुरस्कार। लखनऊ के डॉ. अखिलेश कुमार मिश्र की कृति 'यूं ही' को मिर्जा असदउल्ला खां 'ग़ालिब' पुरस्कार। कानपुर के करुणा शंकर कामले की कृति 'वोट फॉर बधई' को फ़िराक़ गोरखपुरी पुरस्कार। लखनऊ की डॉ. ऋचा जगदीश आर्या की कृति 'तत्त्वोपप्लव सिंह, चार्वाक दर्शन के कतिपय पहलू' को अमीर ख़ुसरो पुरस्कार। शाहजहांपुर के हमीद खां खिजर की पुस्तक 'कर्ब-ए-शबनम' को अकबर इलाहाबादी पुरस्कार। तेलांगना के डॉ. शेख गनी को दीर्घकालीन साहित्य सेवा के लिए शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय पुरस्कार और पंजाब के सतपाल भीखी की कृति 'अंतिम छोर तक' को सुब्रह्ममण्यम भारती पुरस्कार दिया गया। सभी पुरस्कृत साहित्यकारों को एक-एक लाख रुपये की धनराशि के साथ प्रमाण-पत्र, स्मृति चिन्ह एवं शाॅल भेंट की गई। इसके अतिरिक्त दो 21-21 हजार रुपये के दो अन्य पुरस्कार भी प्रदान किए गए। ओम प्रकाश चतुर्वेदी 'पराग' पुरस्कार, श्याम नारायण श्रीवास्तव और रमनलाल अग्रवाल पुरस्कार, डाॅ. गजेन्द्र कुमार पाठक को दिया गया।

23 विभूतियों को मिला साहित्यकार गौरव सम्मान : संस्थान की पत्रिका 'अपरिहार्य' एवं संस्थान को अमूल्य योगदान देने हेतु वर्ष 2020-21 के लिए ज़ुहेर बिन सग़ीर, राघवेन्द्र प्रताप सिंह, मुकेश आनन्द, राज महाजन, डाॅ. नलिन रंजन सिंह, एसपी गंगवार, डाॅ. श्याम बिहारी श्रीवास्तव, रश्मि शाक्य, विनय शंकर दीक्षित 'आशु, डॉ. कीर्ति विक्रम सिंह, अख़्तर ज़लील 'अख़्तर', दुर्गा शर्मा, मंजुल मयंक मिश्र 'मंज़र', डाॅ. शोभा त्रिपाठी, प्रतिभा गुप्ता, शरद मिश्र 'सिन्धु', श्रवण कुमार सेठ, अरशाना अज़मत, निशा सिंह 'नवल', अलका अस्थाना, जयनारायण बुधवार, डॉ. अतुल बाजपेयी, फै़ज़ 'ख़ुमार बाराबंकवी' को साहित्य गौरव सम्मान प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त डाॅ. उमेश 'आदित्य' को प्रशंसा पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। साहित्य गौरव सम्मान एवं प्रशंसा पत्र प्राप्त करने वाले साहित्यकारों को 5,100 रुपये की भेंट, स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र प्रदान किए गए।

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