Delhi News: वन नेशन वन इलेक्शन पर JPC की पहली बैठक आज, दो विधेयकों पर समिति करेगी विचार
One Nation One Election
JPC First Meeting on One Nation One Election : नई दिल्ली। एक देश, एक चुनाव से जुड़े दो महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा करने के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की पहली बैठक बुधवार को होने जा रही है। इस बैठक में विधि और न्याय मंत्रालय के अधिकारी जेपीसी के सदस्यों को प्रस्तावित कानूनों के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे। संसद की 39 सदस्यीय इस समिति के अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद पीपी चौधरी हैं।
प्रियंका गांधी वाड्रा भी समिति में शामिल
इस समिति में देश के प्रमुख दलों के प्रतिनिधि शामिल हैं, जिनमें कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा, जदयू के संजय झा, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, आम आदमी पार्टी (आप) के संजय सिंह और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कल्याण बनर्जी जैसे नेता प्रमुख हैं।
एक देश, एक चुनाव के लिए विधेयक
केंद्र सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र में एक देश, एक चुनाव से संबंधित दो विधेयक पेश किए थे। इनमें से पहला संविधान (129वां संशोधन) विधेयक है, जो लोकसभा और सभी विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
दूसरा विधेयक इससे संबंधित है जो चुनावों की प्रक्रिया और समयसीमा को पुनः परिभाषित करता है। दोनों विधेयकों को विचार के लिए जेपीसी के पास भेजा गया है। सरकार ने समिति के सदस्य संख्या 31 से बढ़ाकर 39 करने का फैसला लिया है ताकि सभी प्रमुख दलों के सदस्य इस बड़े निर्णय पर अपनी राय व्यक्त कर सकें।
समिति में शामिल प्रमुख सदस्य
जेपीसी में शामिल अन्य प्रमुख सदस्य में पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, पुरुषोत्तम रूपाला, मनीष तिवारी, बांसुरी स्वराज और बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा जैसे सांसद भी शामिल हैं। इस समिति में लोकसभा से 27 और राज्यसभा से 12 सदस्य हैं। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव के अनुसार, संयुक्त संसदीय समिति अगले संसद सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
1967 में हुआ था अंतिम 'वन नेशन, वन इलेक्शन'
भारत में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के तहत आखिरी बार चुनाव 1967 में हुए थे। उस समय उत्तर प्रदेश को छोड़कर पूरे देश में एक ही चरण में चुनाव कराए गए थे। यूपी में तब चार चरणों में मतदान हुआ था। यह चुनाव स्वतंत्रता के बाद चौथा चुनाव था जिसमें 520 लोकसभा सीटों और 3563 विधानसभा सीटों के लिए मतदान हुआ था।
उस वक्त तक देश में केवल कांग्रेस पार्टी की सरकार थी, लेकिन जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद कांग्रेस पार्टी को न केवल अपने सहयोगियों के विरोध का सामना करना पड़ा बल्कि देशभर में कांग्रेस के खिलाफ विरोधी लहर भी देखने को मिली थी।