Kawasi Lakhma Arrested: शराब घोटाला केस में पूर्व मंत्री कवासी लखमा गिरफ्तार, तीन बार ED ने की थी पूछताछ
Kawasi Lakhma Arrested
Kawasi Lakhma Arrested : रायपुर। छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा (Kavasi Lakhma) को गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारी बुधवार को हुई, जब वह तीसरी बार प्रवर्तन निदेशालय (ED) के दफ्तर पूछताछ के लिए पहुंचे थे। इस दौरान उनके खिलाफ गिरफ्तारी की कार्रवाई की गई। ED द्वारा की जा रही इस जांच में कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं, जो राज्य सरकार और सरकारी अधिकारियों की भूमिका को संदिग्ध बनाते हैं।
कवासी लखमा ने पूछताछ के दौरान अधिकारियों से कहा कि वह कानून का पालन करते हुए जांच में सहयोग देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि, अगर कानून के हिसाब से बुलाया जाएगा तो मैं 25 बार भी ED के दफ्तर पहुंच सकता हूं। लेकिन जब ED ने उन्हें सीए (CA) के साथ बुलाया था, तब वह अकेले ही पहुंचे और यह बताया कि उनके सीए बाहर हैं।
ED के अधिकारियों ने इस मामले में लखमा से कई अहम सवाल किए हैं। सूत्रों के अनुसार, लखमा ने कांग्रेस सरकार के दौरान चलाए गए शराब के वितरण सिस्टम के बारे में जानकारी दी है। इसके अलावा उन्होंने कई बार यह दावा किया कि वह अनपढ़ हैं और दस्तावेजों में क्या लिखा है यह उन्हें समझ में नहीं आता।
क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?
इस घोटाले में लगभग दो हजार करोड़ रुपए के नुकसान का खुलासा हुआ है। ED की जांच में यह सामने आया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) के शासनकाल में आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा (Anil Tuteja), आबकारी विभाग के एमडी ए.पी. त्रिपाठी (A.P. Tripathi) और कारोबारी अनवर ढेबर (Anwar Dheber) के गठजोड़ ने यह घोटाला किया।
यह घोटाला 2019 से 2022 के बीच राज्य के सरकारी शराब दुकानों से अवैध तरीके से शराब बेचने का था, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ। ED ने इस मामले में 28 दिसंबर 2024 को कवासी लखमा और उनके परिवार के सदस्यों के घरों पर छापे मारे थे और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस जब्त किए थे, जिनमें अपराध से अर्जित आय (Proceeds of Crime) के सबूत मिले थे।
ED ने क्या खुलासा किया?
ED के अनुसार, शराब के सिंडिकेट के तहत राज्य के विभिन्न हिस्सों में अवैध शराब की बिक्री की जाती थी। शराब निर्माताओं से कमीशन लिया जाता था और इसके तहत देशी शराब की अवैध बिक्री की जाती थी। यह प्रक्रिया सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाती थी और सिंडिकेट के लोग इसकी सारी कमाई हड़पते थे।
साथ ही, ED ने कहा कि इस घोटाले की रकम 2161 करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है। यह एक बड़ा वित्तीय घोटाला था, जिसमें कवासी लखमा के अलावा अन्य बड़े नाम भी शामिल हैं। ED की जांच में यह भी सामने आया कि शराब बनाने वाले कार्टेल और विदेशी शराब के लाइसेंसधारियों से भी कमीशन लिया जाता था। इस मामले में ED की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है और इस घोटाले में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।