इन्दागांव में सुसाइड अटेम्प्ट की बाढ़: बेरोजगारी और नशा बन रहे मुख्य कारण, प्रशासन ने लगाया काउंसलिंग शिविर

बेरोजगारी और नशा बन रहे मुख्य कारण,  प्रशासन ने लगाया काउंसलिंग शिविर
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Garibandh Mass Suicide Attempt : गरियाबंद, छत्तीसगढ़। गरियाबंद जिले के इन्दागांव में हाल ही में 20 दिनों के भीतर 11 लोगों द्वारा आत्महत्या की कोशिश करने की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें से 3 की मौत हो गई। ये घटनाएं 3 मार्च से 21 मार्च के बीच हुईं और गांव के हालात को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर दी है। इस गांव में कुल 3500 से ज्यादा लोग रहते हैं, और इनमें से कई लोग बेरोजगारी और मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं, जो इन आत्महत्या प्रयासों का मुख्य कारण बन रहे हैं।

काउंसलिंग शिविर से शांति की कोशिश

गांव में बढ़ते आत्महत्या प्रयासों के बाद प्रशासन ने काउंसलिंग शिविर आयोजित किया और गांव के लोग भी पूजा-पाठ में जुट गए। सरपंच, पंचायत सदस्य और अन्य गांववाले देवी देवता की पूजा कर गांव में शांति की कामना कर रहे हैं। ग्राम पुजारी सुंदर ने बताया कि लगातार हो रही आत्महत्या की कोशिशों से गांव में डर का माहौल बन गया है, जिससे गांववाले चिंतित हैं। प्रशासन ने इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान दिया और मैनपुर SDM, SDOP और BMO ने काउंसलिंग शिविर भी आयोजित किए।

बेरोजगारी और नशे की आदत

गांव के बेरोजगार युवक मानसिक रूप से परेशान होकर आत्महत्या का प्रयास कर रहे हैं। गांव के सरपंच प्रतिनिधि केसरी ध्रुव और पूर्व उपसरपंच रूप सिंह बस्तिया ने बताया कि यहां 280 युवक 12वीं पास बेरोजगार हैं, और इनमें से कई आंध्र प्रदेश में मजदूरी करने के बाद लौटे हैं। बेरोजगारी के कारण, कई युवक नशे की आदत में भी फंस गए हैं, जो उनकी मानसिक स्थिति को और बिगाड़ रहा है। अगर उन्हें काम मिल जाए, तो वे शारीरिक और मानसिक रूप से व्यस्त रहते, लेकिन यहां के बेरोजगार युवा नशे की आदत से जूझ रहे हैं।

प्रशासन के खिलाफ ग्रामीणों की नाराजगी

गांव के लोग प्रशासन की लापरवाही से भी नाराज हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उप तहसील खोलने का वादा किया गया था, लेकिन अधिकारियों की उपस्थिति न के बराबर रहती है। इसके अलावा, सहकारी बैंक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्वीकृति के बावजूद ये अभी तक नहीं खुले हैं। मिडिल स्कूल में शिक्षकों की कमी और आंगनबाड़ी केंद्र के भवन की समस्या भी ग्रामीणों के लिए चिंता का विषय है। इन मुद्दों को लेकर प्रशासन पर लगातार दबाव बना हुआ है।

कृषि और भूमि पट्टा की समस्याएं

गांव के किसानों को भी भूमि पट्टे के मामले में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। गांव में 600 से ज्यादा किसान हैं, लेकिन केवल 240 किसानों की भूमि का पंजीकरण हुआ है। 400 किसान ऐसे हैं, जिनकी कृषि भूमि का कोई रिकॉर्ड नहीं है। किसान अपनी उपज व्यापारी को बेचने के बावजूद खाद और बीज लोन जैसी सुविधाओं से वंचित हैं। मन्नू राम महाकुर जैसे किसान जो कई पीढ़ियों से कृषि कार्य कर रहे हैं, अब तक अपनी कृषि भूमि का पट्टा नहीं बना पाए हैं।

मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग का असर

गांव में काउंसलिंग शिविरों का आयोजन भी किया गया है, जिसमें मनोवैज्ञानिक चिकित्सकों ने आत्महत्या के प्रयास करने वाले लोगों से बातचीत की और उनके मानसिक स्वास्थ्य का मूल्यांकन किया। CMHO गार्गी यदु ने कहा कि इन शिविरों के जरिए 15 लोगों को आत्महत्या के प्रयास से बचाया गया है। इसके अलावा, गांव में शराब और गांजे के सेवन की समस्या को लेकर भी प्रशासन विचार कर रहा है और NGO की मदद ली जा रही है।

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