- Home
- /
- देश
- /
- मध्यप्रदेश
- /
- गुना
अमीरों के पेट में जा रहा है गरीबों का राशन
अमीरों के पेट में जा रहा है गरीबों का राशन
गुना। गरीबों के हिस्से का राशन अमीरों के पेट में जा रहा है। यह स्थिति आज से नहीं है, बल्कि लंबे समय से है। इसके बाद भी न तो इस गोरखधंधे पर रोक लग पाई है और न अब तक दोषियों पर कार्रवाई हो पा रही है।अब तो हालात इतने खराब हो गए है कि जहां कंट्रोलों पर सरेआम लोग दो और चार पहिया वाहनों से राशन लेने पहुँच रहे है तो कई-कई दिन राशन दुकान नहीं खोली जा रही है और जब खोली जाती है तो उपभोक्ताओं कभी मशीन खराब होने, कभी आवंटन नहीं होने तो कभी कुछ और बहाना बनाकर राशन देने के बजाए खाली हाथ लौटा दिया जाता है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में लगातार इस मिल इस आशय की शिकायतों के चलते ही कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने कंट्रोलों पर पहरा बैठाया है। कलेक्टर के निर्देश के बाद ही राशन दुकानों का निरीक्षण शुरु हुआ है, किन्तू यहां भी जिम्मेदार गंभीरता दिखाने के बजाए औपचारिकता निभा रहे है।
रातों-रात करोड़पति हो गए कंट्रोल संचालक
जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में किस कदर भ्रष्टाचार है। इसकी एक बानगी इससे ही पता चल जाती है कि प्रणाली के तहत कंट्रोलों का संचालन करने वाले सैल्समेन रातों-रात करोड़पति बनने की कहावत को चरितार्थ कर रहे है। जिन कंट्रोल संचालकों के पास कुछ समय पहले ठीक से जीवन-यापन करने की व्यवस्था भी नहीं थे। उनकी गिनती न सिर्फ अब संपन्न वर्ग में होने लगी है, बल्कि वह रसूखदार भी हो गए है। पूर्व में मिट््टी के तेल के नाम पर कंट्रोलों पर काला खेल खेला जाता था। बाद में इस पर तो काफी हद तक रोक लग गई, किन्तु खाद्यान्न के नाम पर लूटमार अभी भी बदस्तूर चल रही है। यह लूटमार तब और अधिक तेज हुई, जब एक रुपए किलो गेहूँ और चावल की व्यवस्था लागू की गई।
दो और चार पहिया से भी आते है राशन लेने
कंट्रोलों पर गरीब हितग्राहियों के लिए खाद्यान्न का वितरण होता है, किन्तु आप जब किसी कंट्रोल पर देखेंगे तो चौंक उठेंगे। कारण यहां दो और कभी-कभी तो चार पहिया वाहनों से भी लोग राशन लेने के लिए आते है। इससे गरीबी की परिभाषा ही बदल जाती है। वैसे यह स्थिति बताती है कि गरीबी रेखा की सूची में भी कितने अपात्र लोगों ने नाम दर्ज करा रखे है। कई बार अभियान चलाकर सूची से अपात्रों का नाम काटा गया, किन्तू स्थिति में बहुत ज्यादा बदलाव देखने को नहीं मिला। वर्तमान में भी स्थिति यह है कि कंट्रोल दुकानों पर पात्र वर्ग को राशन उपलब्ध नहीं हो पाता है और अपात्र आसानी से राशन ले उड़ते है। कुछ कंट्रोल संचालकों के तो हौंसले इतने बुलंद है कि वह दुकान ही नहीं खोलते है और गरीबों के अनाज के आवंटन को सीधे बाजार में ही बेच देते है।
उपभोक्ताओं को कटवाए जाते है चक्कर
कंट्रोलों पर उपभोक्ताओं को राशन के लिए चक्कर कटवाए जाते है। जिले भर में राशन दुकानों पर अनाज का आवंटन एमपी सिविल कार्पोरेशन लिमिटेड के माध्यम से होता है। जो ठेकेदार के माध्यम से यह व्यवस्था करवाती है। नियमानुसार जहां ठेकेदार को एक दुकान का राशन एक ही बार में पूरा आवंटित करना होता है, वहीं सैल्समेन को आवंटन की जानकारी दुकान के बाहर चस्पा करना होती है, किन्तू ठेकेदार जहां समय पर और एक साथ आवंटन नहीं करते है तो सेल्समैन भी आवंटन की जानकारी दुकान के बाहर चस्पा नहीं करते है। उपभोक्ताओं को जब अपने हिस्से का पूरा राशन नहीं मिलता है तो वह आपत्ति उठाते है। जिस पर उन्हे अगले माह अतिरिक्त राशन देने का आश्वासन सेल्सेमैन की तरफ से दिया जाता है, किन्तू अगली बार सेल्समैन कोई और कारण बताकर या तो अतिरिक्त राशन नहीं देता है या फिर पिछले माह का शेष राशन प्रदान कर वर्तमान माह का राशन कम देता है। यह गोरखधंधा पूरा माह चलता रहता है।
उपभोक्ताओं से नहीं की जा रही चर्चा
कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के निर्देश के बाद अब कंट्रोल का निरीक्षण शुरु किया गया है। बुधवार को होमगार्ड डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट सुमन विसारिया ने घोसीपुरा क्षेत्र की दो दुकानों का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उनके साथ पुलिस बल भी रहा। इस दौरान सेल्समैन से चर्चा कर खाद्यान्न का आवंटन व वितरण की जानकारी ली गई और उपभोक्ताओं से कोई चर्चा नहीं की गई, जबकि कलेक्टर ने स्थिति की वास्तविकता का पता लगाने के लिए उपभोक्ताओं से चर्चा करने को कहा है। टीम का इसको लेकर कहना है कि फिलहाल सेल्समैन से जानकारी ले रहे है। इसके बाद उपभोक्ताओं से चर्चा करेंगे। इसके बाद ही कोई जानकारी निकलकर सामने आ सकेगी। हालांकि अब तक के निरीक्षण में कोई गड़बड़ी नहीं होने की बात कही जा रही है। घोसीपुरा की कंट्रोल दुकान के साथ ही अन्य स्थानों पर भी निरीक्षण के नाम पर ऐसी ही औपचारिकता की जा रही है। जिसका कोई औचित्य नहीं है।