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कोरोना के कारण 20 फिट घटा बुराई का कद, 31 फिट के दशानन का पुतला बिना धूमधाम के खाक
कोरोना के कारण 20 फिट घटा बुराई का कद, 31 फिट के दशानन का पुतला बिना धूमधाम के खाक
गुना। माँ शक्ति की विशेष आराधना का पर्व नवदुर्गा महोत्सव के समापन के साथ सोमवार को विजय का उत्सव विजयादशमी का पर्व भी मनाया गया। अन्य त्यौहारों के साथ ही इस पर्व पर भी कोरोना वायरस संक्रमण का असर साफ तौर पर देखने को मिला। वायरस के कारण जहां मुख्य समारोह में दहन होने वाले रावण के पुतले का कद 20 फिट घटना पड़ गया तो जुलूस के साथ ही अखाड़ों का प्रदर्शन भी अपेक्षाकृत नहीं हुआ। इसके साथ ही आयोजन भी काफी सीमित रहा तो समारोह मेंं भीड़ भी कम देखने को मिली। इस तरह हर साल धूम-धड़ाके के साथ होने वाला यह आयोजन इस बार बिना धूमधाम के ही औपचारिक रुप से निबटाया गया। हालांकि कोरोना के साथ इसका एक प्रमुख कारण बमौरी में होने जा रहे विधानसभा उपचुनाव की आचार संहिता भी बना। जिसके चलते जनप्रतिनिधियों एवं राजनीतिक दलों को आयोजन से दूर रखा गया।
पुरानी गल्ला मंडी में 25 फिट का होता था पुतला
गोपालपुरा पर आयोजित होने वाले रावण दहन कार्यक्रम में कई दशकों के बाद इतनी कम ऊँचाई का पुतला जलाया गया है। पुतले की ऊँचाई सिर्फ 31 फिट रखी गई, जबकि कई सालों से दशहरा पर्व पर आयोजित होने वाले मुख्य समारोह में दहन के लिए रावण का पुतला लगभग 50-५१ फिट का बनाया जाता रहा है। जब से दशहरा मैदान पर रावण दहन कार्यक्रम होता आया है। तब से तो पुतले की ऊँचाई इतनी ही रही है। इससे पहले जब पुरानी गल्ला मंडी में पुतले का दहन होता था। तब जरुर पुतले की ऊँचाई कम होती थी। बुजुर्गजन बताते है कि पुरानी गल्ला मंडी में जब रावण का पुतला जलाया जाता था तो इसकी ऊँचाई 25 फिट होती थी। बाद में इसे बढ़ाकर 30 से 40 फिट किया गया। इसके बाद यहां से हटाकर रावण दहन कार्यक्रम संजय स्टेडियम पर आयोजित होने लगा। ,तब भी इसकी ऊँचाई 40 से 45 फिट के करीब ही होती थी। बाद में जब शहर की आबादी के साथ भौगोलिक क्षेत्र बढ़ा, वहीं खेल मैदान पर अन्य आयोजन पर प्रतिबंध लगाया गया तो रावण दहन कार्यक्रम के लिए गोपालपुरा का मैदान निर्धारित किया गया। इसके मद्देनजर इस मैदान का नाम ही दशहरा मैदान पड़ गया है, वहीं यहां पुतले की ऊंचाई 50 से 51 फिट रहती आई है।
दशहरा दो दिन मना, पुतला एक दिन ही जलाया गया
माँ दुर्गा नवमी के साथ ही दशहरा का पर्व इस बार दो दिन मनाया गया। कुछ लोगों ने बीते रोज ही दोनों पर्व एक साथ मना लिए थे तो कुछ दोनों ने सोमवार को दोनों पर्व मनाए। इसके पीछे बताया गया कि नवमीं बीते रोज 9 बजे तक थी। इसके बाद दशमी लग गई थी। देश के अन्य हिस्सों में भी दो दिन ही पर्व मनाए गए। इसके मद्देनजर शासन ने भी सोमवार को भी दशहरा का अवकाश घोषित किया था, वहीं बीते रोज रविवार का सप्ताहिक अवकाश होने से कोई समस्या ही नहीं थी। प्रशासन स्तर पर जिले में दशहरा सोमवार को मनाया गया। यहीं कारण रहा कि रावण के पुतला दहन का सार्वजनिक आयोजन भी सोमवार को पूरे जिले में किया गया।
कहां, कितने फिट का पुतला?
रावण के पुतले की ऊँचाई इस साल न सिर्फ शहर बल्कि पूरे जिले में कम ही रही। राघौगढ़ में 21 फिट के दशानन के पुतले का दहन किया गया, जबकि पिछले कई सालों से 31 फिट के पुतले को जलाया जाता रहा है, वहीं आरोन में 21 फिट का पुतला जलाया गया। आयोजन समिति के अनुसार कई सालों बाद इतनी कम ऊँचाई का पुतला जलाया गया है। सालों से 40,45, 50 फिट के पुतले का दहन होता आया है। इसी तरह अन्य स्थानों पर ही भी पुतले की ऊँचाई कम रहती आई है।
पुतले के आगे बनाए गए गोल घेरे
रावण दहन कार्यक्रम के दौरान कोविड-19 को लेकर निर्धारित नियमों का पालन करने की कोशिश की गई। इसके लिए रावण के पुतले के आगे डी के अंदर गोल घेरे भी बनाए गए। इसके साथ ही जो जुलूस निकाला गया। इसमें रथों की संख्या भी कम रही तो अखाड़ों का प्रदर्शन भी न के बराबर हुआ। इसके साथ ही दहन स्थल पर श्रीराम एवं रावण का युद्ध भी प्रतिकात्मक किया गया। सीमित आयोजन में रावण के पुतले का दहन 6. 45 बजे कर दिया गया। गौरतलब है कि हर साल आयोजन 9 से 10 बजे के बीच ही होता आया है।