दलित को मोहरा बना कर माफिया राजनीति का षडयंत्र

दलित को मोहरा बना कर माफिया राजनीति का षडयंत्र
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गब्बू पारदी को है राजनीतिक संरक्षण, पर्दे के पीछे रहकर दिग्गजों ने रचा षड्यंत्र

गुना/निज प्रतिनिधि। शहर के जगनपुर चक में अतिक्रमण हटाने के दौरान दलित परिवार से पुलिस द्वारा की गई मारपीट एवं इसी बीच दलित दंपत्ति द्वारा इल्लीमार दवा पीने की घटना यूं भलें ही संवेदनशील लगे, किन्तु इसके पीछे की कहानी कुछ ओर ही है। जमीन पर फसल भलें ही दलित परिवार ने बो रखी है, किन्तु उस पर कब्जा उसका न होकर चर्चित भूमाफिया और कांग्रेस के एक दिग्गज नेता के समर्थक माने जाने वाले गब्बू पारदी का था। यह बात पहले ही प्रमाणित रुप से सामने थी। जो बात फिलहाल सामने नहीं आ पाई है, वो यह है कि गब्बू को इस घटना को अंजाम देने के लिए तैयार किया गया था और उसने दलित परिवार को आगे कर घटना को अंजाम तक पहुँचाया भी। राजनीतिक संरक्षण प्राप्त गब्बू को आगे करके यह सारा षड्यंत्र कांग्रेस के दिग्गजों ने पर्दे के पीछे रहकर रचा है। जिसमें एक कांग्रेस नेता की भूमिका लगभग प्रमाणित रुप में सामने आ चुकी है। अनेक भाजपा के नेता इसको लेकर खुलकर नाम लेकर भी आरोप लगा रहे है और उन दिग्गज नेता की भूमिका की जांच की मांग भी कर रहे है। जहंा तक गब्बू पारदी का सवाल है तो वह इस समाज में खासा दखल रखने वाले एक चर्चित उप निरीक्षक से जुड़ा हुआ है। उक्त चर्चित उप निरीक्षक को इस षड्यंत्र के सूत्रधार माने जाने वाले दिग्गज नेता अपना दत्तक पुत्र मानते हैं, इसकी वर्तमान पदस्थापना उक्त नेता ने उप चुनाव को कांग्रेस के पक्ष में प्रभावित कराने के लिए आगर मालवा में कराई थी। उक्त उप निरीक्षक पुलिस आरक्षक के रूप में भर्ती हुआ और आउट ऑफ टर्न प्रमोशन से उप निरीक्षक बना है। 20 वर्षों तक गुना जिले में ही पदस्थ रहा है। इसने पारदियों में गुटबाजी कर उन्हें आपस में लड़ाने के साथ ही एक गुट के बदमाशों के एनकाउंटर किए व करवाए हैं व दूसरे गुट को संरक्षण देकर उनसे डकैती जैसी वारदातों को अंजाम दिलाता रहा है, और करीब 50 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति का मालिक है।

पुराना बदमाश है गब्बू पारदी

गब्बू पार्टी ने अनुसूचित जाति के व्यक्तियों का ढाल बनाकर उपयोग किया है। राजकुमार अहिरवार को मोहरा बनाकर इस जमीन पर अपना कब्जा कर खेती करा दी गई, जिससे इस जमीन पर शासकीय निर्माण करने में व्यवधान उत्पन्न हो रहा था। गब्बू पारदी आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति होकर इसका कार्य शासकीय जमीनों पर कब्जा करना है। इसके विरुद्ध जिले के थाना कैंट, कोतवाली, धरनावदा मैं विभिन्न धाराओं के तहत कई अपराध पंजीबद्ध है । पुलिस अधीक्षक गुना द्वारा गब्बू पारदी की अपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए इसका जिला बदर किए जाने का प्रस्ताव कलेक्टर की ओर भेज दिया गया है।

कांग्रेसी नेता देते है अपराधियों को पूरा संरक्षण

सूत्र बताते है कि उप निरीक्षक को कंाग्रेस नेता पूरा संरक्षण देते हैं और उप निरीक्षक अपराधियों और अपराध में लिप्त पारदियो को संरक्षण देता है। गब्बू पारदी भी इसी से संरक्षण प्राप्त है। उक्त उप निरीक्षक पर गुना जिले में पांच गंभीर अपराध दर्ज हैं इनमें से तीन अपराध धरनावदा पुलिस थाने में जबकि दो अपराध सिटी कोतवाली गुना में पंजीबद्ध हैं। इसके विरुद्ध एक विभागीय जांच गुना में जबकि एक विभागीय जांच आगर मालवा में चल रही है। इन सभी एफआईआर और विभागीय जांचों में उप निरीक्षक को दिग्गज नेता ने ही बचा रखा है। सूत्र बताते है कि ग्वालियर के पुलिस के एक आला अधिकारी जिन्हें अभी हटा दिया गया है, उन्होंने एक दिग्गज कांग्रेस नेता के इशारे पर उप निरीक्षक की अगस्त 2019 में गिरफ्तारी रुकवा दी थी, और केस डायरी गुना पुलिस से छुड़ाकर सुरक्षित रखवा दी थी। तब एसपी राहुल कुमार लोढ़ा उक्त उप निरीक्षक के विरुद्ध कार्रवाई करने वाले थे। बाद में कंांग्रेसी नेता उप निरीक्षक के खिलाफ दर्ज मामलों को लीपापोती कराने के लिए सीआईडी में जांच के नाम पर भिजवा दिया और उक्त उप निरीक्षक के खिलाफ कार्रवाई करने वाले सिपाही से लेकर डीएसपी स्तर तक के 25 से 30 पुलिस वालों के तबादले उक्त दिग्गज कांग्रेस नेता ने ही करवाए थे। विभागीय जांच में भी खात्मा लगाने के लिए उक्त दिग्गज कांग्रेस नेता पुलिस के अधिकारियों पर दबाव बनाते रहे हैं।

एसडीएम शिवानी गर्ग की भूमिका संदिग्ध

गुना में पदस्थ एसडीएम शिवानी रायकवार गर्ग ने गुना में कई विवादित कार्यवाही की हैं इनके नेतृत्व में गठित टीम नियम कायदों को ताक पर रखकर भाजपा से जुड़े व्यवसायियों की दुकान व भवन को अतिक्रमण की जगह बताकर तोडऩे की कार्रवाई को लेकर सक्रिय रही थी। जून 2019 में शिवानी रायकवार गर्ग का तबादला हुआ था तब कांग्रेस नेताओं ने उनका तबादला रुकवा दिया था। दिसंबर 2019 में शिवानी गर्ग ने गब्बू पारदी कि इसी विवादित जमीन पर खड़ी फसल पर जेसीबी चलाते हुए मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरी थी और कब्जा हटवाने का दावा किया था, किन्तु वास्तव में कब्जा नहीं हटाया गया था। यही कारण था कि इसके बाद गब्बू पारदी ने राजकुमार अहिरवार को आगे रखकर फिर से उसी भूमि को आबाद कर लिया और सोयाबीन की फसल बो दी। जगनपुर की यह विवादित जमीन नगर पालिका के वार्ड क्रमांक 23 से लगी हुई है इसके पास ही प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत नगरपालिका के द्वारा सैकड़ों आवास बनवाए जा रहे हैं। ऐसे में एसडीएम शिवानी गर्ग की भूमिका इसलिए संदेहास्पद है कि दिसंबर से लेकर जुलाई के बीच प्रशासन के अधिकारियों ने इस जमीन पर फिर से कब्जा रोकने के लिए कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? जिस टीम ने 14 जुलाई को अतिक्रमण हटाने के संबंध में मौके पर जाकर कार्रवाई की थी उस टीम का गठन भी एसडीम शिवानी गर्ग के द्वारा ही किया गया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि 12 जून 2020 को शिवानी गर्ग का तबादला गुना से नीमच कर दिया गया है, किन्तु अब भी उनका गुना से मोह नहीं छूंट रहा है।तबादला हुए एक माह से अधिक समय हो चुका है, किन्तु अब तक एसडीएम रिलीव नहीं हुईं हैं।

गुना पुलिस अधीक्षक द्वारा गब्बू पारदी को जिला बदर किए जाने का प्रस्ताव गुना कलेक्टर को भेजा

गब्बू पारदी पारदी निवासी हड्डी मिल गुना के द्वारा जगनपुर चक पर स्थित शासकीय भूमि पर कब्जा किया गया है, इस भूमि पर गब्बू पारदी द्वारा किए गए कब्जे को पूर्व में भी प्रशासन द्वारा मुक्त कराया गया था, लेकिन गब्बू पारदी के द्वारा हरिजन लोगों को मोहरा बनाकर इस जमीन पर अपना कब्जा कर खेती करा दी गई, जिससे इस जमीन पर शासकीय निर्माण करने में व्यवधान उत्पन्न हो रहा था। गब्बू पारदी आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति होकर इसका कार्य शासकीय जमीनों पर कब्जा करना है। इसके विरुद्ध जिले के थाना कैंट, कोतवाली, धरनावदा मैं विभिन्न धाराओं के तहत कई अपराध पंजीबद्ध है । पुलिस अधीक्षक गुना द्वारा गब्बू पारदी की अपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए इसका जिला बदर किए जाने का प्रस्ताव गुना कलेक्टर महोदय को भेजा गया है।


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