Mahakambh 2025: शाही स्नान और अमृत स्नान में क्या है अंतर? जानें महाकुंभ में क्यों हो रही इसकी खूब चर्चा

शाही स्नान और अमृत स्नान में क्या है अंतर? जानें महाकुंभ में क्यों हो रही इसकी खूब चर्चा
X
Mahakambh 2025: महाकुम्भ में हम सब ने अमृत स्नान और शाही स्नान के बारे में खूब सुना है। जानें क्या है दोनों में अंतर।

Mahakambh 2025: प्रयागराज में महाकुम्भ का आयोजन चल रहा है। जिसमें देश विदेश से बड़े बड़े साधु-संत महात्मा और करोड़ों लोग आये हुए हैं। यहाँ लाखों की संख्या में कल्पवासी भी आये हुए हैं। जो पूरे एक महीने तक संगम तट पर रहकर कल्पवास कर रहे हैं। ऐसे में आपने ये देखा होगा कि कई बार बोला गया है कि आज अमृत स्नान और शाही स्नान का आयोजन हुआ है। कुछ लोग इसे एक ही समझते है लेकिन ऐसा नहीं है। शाही स्नान और अमृत स्नान दोनों का अलग अलग महत्त्व है। जानें दोनों में क्या है अंतर।

शाही स्नान क्या होता है

शाही स्नान को राजयोगी स्नान भी कहा जाता है। यह कुंभ मेले का सबसे भव्य और आकर्षक आयोजन होता है। इसमें केवल अखाड़ों के संन्यासी, महंत, महामंडलेश्वर और नागा साधु भाग लेते हैं। शाही स्नान के दौरान पहले एक भव्य शाही जुलूस निकाला जाता है, जिसमें अखाड़ों के संत हाथी, घोड़े, रथ और बैंड-बाजे के साथ स्नान के लिए संगम की ओर बढ़ते हैं। इस दौरान नागा साधु पूर्णतः निर्वस्त्र होकर गंगा मैया के जयकारे लगाते हुए डुबकी लगाते हैं। महाकुम्भ में तीन शाही स्नान हुए हैं। पहला मकर संक्रांति (14 जनवरी, 2025), दूसरा और सबसे बड़ा मौनी अमावस्या (29 जनवरी, 2025) और तीसरा बसंत पंचमी का है जोकि बसंत पंचमी को है। बता दें कि इसको लेकर ऐसी मान्यता है कि इन विशेष तिथियों पर ग्रह-नक्षत्रों की शुभ स्थिति के कारण गंगा जल अमृतमयी हो जाता है और इसमें स्नान करने से जन्मों के पापों का नाश होता है।

अमृत स्नान क्या है

अमृत स्नान प्रत्येक श्रद्धालु के लिए उपलब्ध होता है। इसे सर्वसाधारण स्नान भी कहा जाता है। इस स्नान में आम भक्तों को भी संगम में डुबकी लगाने का अवसर मिलता है। अमृत स्नान की तिथियां विशेष धार्मिक योगों पर आधारित होती हैं।

Tags

Next Story