एस्प्रिन खाने का कोई लाभ नहीं
लॉस एंजेल्स/स्वदेश वेब डेस्क। एक शोध में वृद्ध लोगों के ह्रदय, मस्तिष्क और कैंसर आदि रोगों से बचाव के लिए कम डोज की एस्प्रिन की दवा लेने पर सवाल खड़ा किया गया है। इस सवाल ने दुनियाभर के चिकित्सकों को चुप कर दिया है। वर्षों से इस दवा का सेवन करने वाले बुजुर्ग मरीजों को हैरत में डाल दिया है। ऑल इंग्लैंड जर्नल में रविवार को प्रकाशित एक शोध में कहा गया है कि 100 मिलिग्राम की एस्प्रिन के सेवन का कोई लाभ नहीं है।
इस शोध में उन्नीस हजार लोगों में सत्तर वर्ष तक की आयु के श्वेत और 65 वर्ष तक के अश्वेत और हिस्पैनिक लोगों को शामिल किया गया। यह शोध ऑस्ट्रेलिया में मेलबोर्न स्थित मोनाश यूनिवर्सिटी में एपीडिमोलोजी और प्रीवेंटिव मेडिसिन के डॉक्टर जान मैकनील ने किया है।
इस शोध में एक विचलित करने वाला पहलू यह है कि पूर्व शोध में यह कहीं दर्शाया नहीं गया है कि एस्प्रिन लेने से, खासकर कैंसर रोगियों की मृत्यु दर बढ़ी है। हालांकि डॉक्टर मैकनील ने कहा है कि इस पर और शोध की जरूरत है। पूर्व शोध में कहा गया था कि एस्प्रिन की कम डोज वाली दावा खाने से कैंसर रोगों के जोखिम में कमी आई है।
इस नए शोध में यह भी कहा गया है कि एस्प्रिन किसे और क्यों लेना चाहिए, इस पर भी सवाल खड़ा किया गया है। शोध में कहा गया है कि कम जोखिम वाले मरीजों को एस्प्रिन लेने का कोई औचित्य नहीं है। इस संदर्भ में एक अन्य शोध में मधुमेह और ह्रदय रोगियों के लिए कहा गया था कि रक्तस्राव की घटनाओं में वृद्धि को देखते हुए इस दवा का कोई लाभ नहीं है। इसी तरह एक अन्य शोध में भारी भरकम शरीर वाले लोगों को ह्रदय और मस्तिष्क संबंधी रोगों से बचाव के लिए क्या डोज की मात्रा बढ़ाई जानी चाहिए?
इसका एक संदेश स्पष्ट जा रहा है कि स्वस्थ लोगों को एस्प्रिन लेने की जरूरत नहीं है। 71 वर्षीय डाक्टर मैकनील का दावा है कि उन्होंने कभी कम डोज वाली एस्प्रिन का सेवन नहीं किया है।