विश्व कैंसर दिवस : कैंसर के मामले घटने की जगह तेजी से बढ़ रहे, प्रतिवर्ष हो रही लाखों मरीजों की मौत
ग्वालियर। कैंसर वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती गंभीर और जानलेवा स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है, जिसके कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। यह धीरे-धीरे हमारे शरीर में फैलता है और शरीर को कमजोर बनाता है। कैंसर के प्रति लोगों में जागरूकता का अभाव होने के चलते विश्वभर में लाखों लोग कैंसर की चपेट में आते हैं और अपनी जान गंवाते हैं।
इसलिए लोगों के बीज कैंसर को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कैंसर के मामले घटने की जगह तेजी से बढ़ रहे हैं। इसमें ग्वालियर अंचल की बात करें तो सबसे ज्यादा गले व मुंह के कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं। जयारोग्य के कैंसररोग विभागाध्यक्ष डॉ. अक्षय निगम का कहना है कि बदलती दिनचर्या व खान पान के कारण कैंसर के रोगियों में प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है। जयारोग्य की ही बात करें तो यहां पिछले वर्ष की अपेक्षा 25 प्रतिशत अधिक मरीज भर्ती हुए हैं और यह संख्या प्रति वर्ष बढ़ती जा रही है, जिसमें युवाओं की भी बड़ी संख्या है। लेकिन कई मरीज ऐसे हैं, जिन्होंने कैंसर का डट कर सामना किया और आज वह पूरी तरह स्वास्थ्य हैं। डॉ. निगम का कहना है कि मेडिकल क्षेत्र में आधुनिकता और तकनीक विकास के चलते कैंसर अब लाइलाज बीमारी नहीं रही है, इसलिए कैंसर को लाइलाज बीमारी न समझे और समय पर उपचार शुरू कराएं।
देश में कई लोगों ने अपनी इच्छा शक्ति और परिवार के समर्थन से कैंसर को हराकर नई जिंदगी शुरू की है। इन्ही में से एक हैं झांसी निवासी 50 वर्षीय प्रभा, जिन्हें 9 वर्ष पूर्व कैंसर होने का चता चला। लेकिन आज वे अपना सामान्य जीवन जी रही हैं।प्रभा छोटी उम्र से ही गुटखा खाती थी, लेकिन 9 वर्ष पूर्व उन्हें गाल में एक छाला हुआ। शुरूआत में तो उन्होंने छाले को नजर अंदाज किया और गांव के ही एक चिकित्सक से उपचार लिया। लेकिन जब दवा लेने के बाद भी छाला ठीक नहीं हुआ तो उन्होंने जयारोग्य के कैंसर रोग विभाग में कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय चंदेल को दिखाया। डॉ. चंदेल ने जब जांचे कराई तो प्रभा को कैंसर की पुष्टि हुई। प्रभा ने बताया कि कैंसर की बात सुनते ही सबकुछ खत्म होने का विचार मन में आया, फिर मन को मजबूत किया और डॉ. चंदेल की सलाह पर ऑपरेशन कराया। प्रभा बताती हैं कि डॉ. चंदेल से उपचार लेने के बाद आज वे स्वास्थ्य हैं और अपना सामान्य जीवन जी रही हैं। प्रभा का कहना है कि जब उन्हें कैंसर हुआ तो वे पूरी तरह टूट गई थीं, लेकिन आज वे दूसरों को गुटखा छोडऩे की सलाह देती हैं।