अनुलोम-विलोम से फेफड़े और हृदय हमेशा रहेंगे स्वस्थ
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हेल्थ डेस्क। आजकल की विजी लाइफ में किसी को भी इतना समय नहीं है कि पूरे दिन खुद का ध्यान रखें। अपने ही शरीर को भूलकर दिनभर काम में लगे रहते हैं। खुद को अनदेखा कर कई बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। इसलिए कुछ ऐसे प्राणायाम हैं जिन्हें करके हम स्वस्थ रह सकते हैं और इन्हें करने में अधिक समय भी नहीं लगता।
प्राणायाम की शुरूआत अनुलोम-विलोम प्राणायाम से की जाती है। फिर क्रमश: दूसरे प्रकारों का अभ्यास किया जाता है। अनुलोम-विलोम का दीर्घ कुम्भक, कपालभांति, भस्त्रिका आदि किये जाते हैं। यदि इस प्राणायाम को प्रतिदिन किया जाए तो सभी नाड़ियां स्वस्थ व निरोगी बनेंगी। यह प्राणायाम हर उम्र का व्यक्ति कर सकता है।
अनुलोम विलोम प्राणायाम करने की विधि
सबसे पहले हाथों की उंगलियों की सहायता से नाक का दायां छिद्र बंद करें व बाये छिद्र से लंबी सांस लेें।
इसके पश्चात बाये छिद्र को बंद करके, दाये वाले छिद्र से लम्बी सांस को छोड़ें। इस प्रक्रिया को कम से कम 10-15 मिनट तक दोहराइए।
सांस लेते समय आपको अपना ध्यान दोनो आँखों के बीच मे स्थित आज्ञा चक्र पर एकत्रित करना होता हैे बस लम्बी लम्बी साँसे लेते जाइये और मन में ओम मंत्र का जाप करते जाइये।
अनुलोम विलोम करने के लाभ
ल्लअनुलोम विलोम प्राणायाम को करने से एलर्जी और सभी प्रकार की चर्म समस्याए खत्म हो जाती हैं।
ल्लशरीर में रक्त का संचार सुधरता हैे यह ब्लड प्रेशर की समस्या को दूर करने में सहायक हैे।
ल्लवजन घटाने के लिए भी यह बेहद फायदेमंद हैे।
ल्लसर्दियों में शरीर का तापमान कम होने से सर्दी जुखाम जैसी समस्याए होती है, लेकिन यदि इस योग को ठंड के दिन में किया जाये तो हमारे शरीर का तापमान संतुलित रहता हैं।
सावधानियां
यह प्राणायाम खाली पेट करना चाहिए।
शुरूआत में श्वास को रोकने (कुंभक) से बचना चाहिए।
इस प्राणायाम को करते समय जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
यह प्राणायाम करते समय सांस की आवाज नहीं आना चाहिए
जल्दी-जल्दी सांस न लें। सांस की गति इतनी सहज हो कि स्वयं को भी सांस की आवाज सुनाई न दे।