संसद में 'स्मोक अटैक' के आरोपितों के खिलाफ UAPA के तहत केस दर्ज, जानिए क्या मिल सकती है सजा ?

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संसद में 'स्मोक अटैक' के आरोपितों के खिलाफ केस दर्ज

नईदिल्ली। नए संसद भवन में एक ऐसी घटना हुई, जिसने 22 साल पहले हुई घटना को ताजा कर दिया। 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हमला हुआ था, कल 13 दिसंबर को ही एक बार फिर संसद में स्मोक साजिश हुई। लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से दो लोग सदन के भीतर कूद गए और केन के जरिए रंगीन धुआं फैला दिया। घटना के तुरंत बाद दोनों को पकड़ लिया गया। इस घटना के कुछ देर बाद ही पीले और लाल रंग का धुआं छोड़ने वाली केनलेकर संसद भवन के बाहर प्रदर्शन करने वाले एक पुरुष और एक महिला को गिरफ्तार किया गया। इस मामले में पांच आरोपितों को पकड़ा गया है। जबकि एक अब भी फरार है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार आरोपितों के ऊपर आईपीसी की धारा 452, 153, 353, 186 और यूएपीए की धारा 16 और 18 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इसके साथ ही पुलिस ने 120बी धारा भी जोड़ी है। जिससे यह पता चलता है कि उक्त मामले में अभी अन्य और आरोपी भी शामिल है। पुलिस ने आरोपित मनोरंजन डी, सागर शर्मा, अमोल सिंदे और नीलम को गिरफ्तार कर लिया है। फिलहाल अब इस पूरे मामले की जांच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल कर रही है।

विजिटर पास से एंट्री

पुलिस सूत्रों की मानें तो सागर शर्मा और मनोरंजन विजिटर पास के जरिए सदन के अंदर पहुंचे। सागर शर्मा और मनोरंजन ने लोकसभा में पहुंचकर कलर स्मोक स्टिक के जरिए गैस स्प्रे की जबकि दो आरोपित संसद भवन परिसर में स्मोक स्टिक से गैस स्पे कर रहे थे। पांचवां आरोपित ललित झा वीडियो बना रहा था। वो फरार है।

चारों आरोपी फेसबुक फ्रेंड

35 साल का मनोरंजन कर्नाटक के बेंगलुरु का रहने वाला है। सागर शर्मा लखनऊ का रहने वाला है तो 42 साल की नीलम हरियाणा के जींद की रहने वाली है। चौथा आरोपी 25 साल का अनमोल शिंदे महाराष्ट्र के लातूर का रहने वाला है। अब तक की जांच में पता चला है कि चारों आरोपी एक-दूसरे को पहले से जानते थे। चारों फेसबुक फ्रेंड भी हैं।

यूएपीए के तहत केस दर्ज

आरोपितों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत केस दर्ज किया गया है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल यूएपीए के तहत जांच कर रही है। बता दें कि यूएपीए 1967 में बना था। गैरकानूनी संगठनों पर एक्शन के लिए ये बनाया गया था। इसके तहत आतंकी गतिविधियों में दोषी पाए जाने पर कड़ी सजा का प्रावधान है।

मिल सकती है ये सजा -

इसमें आरोपियों की संपत्ति कुर्की का अधिकार होता है। पुलिस को 30 दिन की कस्टडी मिलती है। न्यायिक हिरासत 90 दिन की हो सकती है। इसमें अग्रिम जमानत संभव नहीं है। गैरकानूनी गतिविधि से मतलब है कि किसी व्यक्ति या संगठन द्वारा भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को बाधित करने के इरादे से की गई कार्रवाई। इसमें दोषी पाए जाने वाले शख्स को मृत्युदंड और आजीवन कारावास की सजा भी हो सकती है। यूएपीए के तहत, जांच एजेंसी गिरफ्तारी के बाद अधिकतम 180 दिनों में आरोप पत्र दायर कर सकती है और अदालत को सूचित करने के बाद अवधि को आगे बढ़ाया जा सकता है।

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