एक भारत-श्रेष्ठ भारत का विजन देने वाले, छत्रपति शिवाजी के राज्याभिषेक के 350 साल पूरे
नईदिल्ली/वेबडेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन को प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत बताया और कहा कि उन्होंने न केवल आक्रमणकारियों का मुकाबला किया बल्कि जनता में भी यह विश्वास पैदा किया कि स्वयं का राज (स्वशासन) संभव है। उन्होंने गुलामी की मानसिकता को खत्म कर लोगों को राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित किया।
प्रधानमंत्री शुक्रवार को वीडियो संदेश के माध्यम से छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक दिवस की 350वीं वर्षगांठ को संबोधित करते हुए अपने विचार रख रहे थे। नागरिकों को प्रेरित और आत्मविश्वासी बनाए रखने की नेताओं की जिम्मेदारी को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के समय देश के आत्मविश्वास के स्तर की कल्पना कर सकते हैं। सैकड़ों वर्षों की गुलामी और आक्रमणों के कारण देशवासियों का आत्मविश्वास सबसे निचले स्तर पर था। आक्रमणकारियों के शोषण और गरीबी ने समाज को कमजोर बना दिया था। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारे सांस्कृतिक केंद्रों पर हमला करके लोगों का मनोबल तोड़ने की कोशिश की गई।” ऐसे समय में, लोगों में आत्मविश्वास जगाना एक कठिन कार्य था। लेकिन छत्रपति शिवाजी महाराज ने ना सिर्फ क्रमणकारियों का मुकाबला किया बल्कि जनमानस में ये विश्वास भी पैदा किया कि स्वयं का राज संभव है। उन्होंने गुलामी की मानसिकता को खत्म कर लोगों को राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित किया।
शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक दिवस
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक दिवस, हम सभी के लिए नई चेतना, नई ऊर्जा लेकर आया है। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक साढ़े तीन सौ वर्ष पूर्व के ऐतिहासिक कालखंड का एक अद्भुत और विशिष्ट अध्याय है और स्वराज, सुशासन और समृद्धि की महान गाथाएं आज भी हम सभी को प्रेरणा देती हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “राष्ट्र कल्याण और लोक कल्याण शिवाजी महाराज के शासन व्यवस्था के मूल तत्व रहे हैं।” उन्होंने कहा कि आज स्वराज्य की पहली राजधानी रायगढ़ किले के प्रांगण में शानदार आयोजन किया गया है और पूरे महाराष्ट्र में आज का दिन महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि इस तरह के आयोजन पूरे साल महाराष्ट्र में आयोजित किए जाएंगे और योजना और क्रियान्वयन के लिए महाराष्ट्र सरकार को बधाई भी दी।
स्वराज्य और राष्ट्रवाद की भावना
प्रधानमंत्री ने कहा कि साढ़े तीन सौ वर्ष पहले जब छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ था तब उसमें स्वराज्य और राष्ट्रवाद की भावना समाहित थी। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज ने हमेशा भारत की एकता और अखंडता को सर्वोपरि रखा था। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज छत्रपति शिवाजी महाराज के विचारों का प्रतिबिंब एक भारत, श्रेष्ठ भारत के विजन में देखा जा सकता है।
आत्मनिर्भरता की भावना का संचार
प्रधानमंत्री ने कहा कि इतिहास में ऐसे कई शासक हुए हैं जो अपनी सैन्य ताकत के लिए जाने जाते हैं, लेकिन उनकी प्रशासनिक क्षमता कमजोर थी। इसी तरह, कई शासक हुए जो अपनी बेहतरीन शासन व्यवस्था के लिए जाने गए, लेकिन उनका सैन्य नेतृत्व कमजोर था। हालांकि, प्रधानमंत्री ने कहा, छत्रपति शिवाजी महाराज का व्यक्तित्व अद्भुत था क्योंकि उन्होंने ‘स्वराज’ की स्थापना के साथ ही ‘सुराज’ को भी साकार किया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि शिवाजी महाराज ने बहुत कम उम्र में किलों को जीतकर और शत्रुओं को हराकर अपने सैन्य नेतृत्व का उदाहरण दिया। वहीं दूसरी ओर एक राजा के रूप में उन्होंने लोक-प्रशासन में सुधारों को लागू कर सुशासन की राह भी दिखाई। प्रधानमंत्री ने आगे विस्तार से बताया कि एक ओर उन्होंने आक्रमणकारियों से अपने राज्य और संस्कृति की रक्षा की, वहीं दूसरी ओर उन्होंने राष्ट्र निर्माण का व्यापक विजन भी सामने रखा। प्रधानमंत्री ने कहा, “छत्रपति शिवाजी महाराज अपने विजन के कारण इतिहास के अन्य नायकों से पूरी तरह से अलग हैं।” उन्होंने शासन का लोक कल्याणकारी चरित्र लोगों के सामने रखा और उन्हें आत्मसम्मान के साथ जीने का भरोसा दिया। इसके साथ ही छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वराज, धर्म, संस्कृति और धरोहरों को ठेस पहुंचाने की कोशिश करने वालों को भी एक कड़ा संदेश भी दिया। इससे जन-जन में दृढ़ विश्वास पैदा हुआ, आत्मनिर्भरता की भावना का संचार हुआ और राष्ट्र का सम्मान बढ़ा। चाहे वह किसान कल्याण हो, महिला सशक्तिकरण हो, शासन-प्रशासन तक सामान्य आदमी की पहुंच आसान बनाना हो, उनके कार्य, उनकी शासन प्रणाली और उनकी नीतियां आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलू आज हमें किसी न किसी रूप में प्रभावित करते हैं। उन्होंने बताया कि भारत की सामुद्रिक क्षमता को पहचानते हुए नौसेना का विस्तार और उनका प्रबंधन कौशल आज भी सभी के लिए प्रेरणा है। प्रधानमंत्री ने उनके द्वारा बनाए गए किलों का भी जिक्र किया जो तेज लहरों और ज्वार का कहर झेलने के बावजूद आज भी समंदर के बीच में शान से खड़े हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि शिवाजी ने समुद्र के किनारों से लेकर पहाड़ों तक किले बनवाए और अपने राज्य का विस्तार किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि उस काल में जल प्रबंधन से जुड़ी उनकी व्यवस्थाओं ने विशेषज्ञों को हैरत में डाल दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि शिवाजी महाराज से प्रेरणा लेकर, भारत ने पिछले साल गुलामी के एक निशान से नौसेना को मुक्ति दे दी। भारतीय नौसेना के ध्वज पर अंग्रेजी शासन की पहचान को हटाकर शिवाजी महाराज से प्रेरित उनकी राजमुद्रा को जगह दी गई है। मोदी ने कहा, “अब यही ध्वज नए भारत की आन-बान-शान बनकर समंदर और आसमान में लहरा रहा है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता, विचारधारा और न्यायप्रियता ने कई-कई पीढ़ियों को प्रेरित किया है। उनकी साहसिक कार्यशैली, सामरिक कौशल और शांतिपूर्ण राजनीतिक प्रणाली आज भी हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं।” प्रधानमंत्री ने गर्व व्यक्त किया कि दुनिया के कई देशों में आज भी छत्रपति शिवाजी महाराज की नीतियों की चर्चा होती है और उस पर शोध किया जाता है। मोदी ने यह भी उल्लेख किया कि एक महीने पहले मॉरीशस में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित की गई थी। उन्होंने कहा, “आजादी के अमृतकाल में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 साल पूरे होना एक प्रेरणायादी अवसर है। इतने वर्ष बाद भी उनके द्वारा स्थापित किए गए मूल्य हमें आगे बढ़ने का मार्ग दिखा रहे हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि इन्हीं मूल्यों के आधार पर हमें अमृतकाल की 25 वर्षों की यात्रा पूरी करनी है। ये यात्रा छत्रपति शिवाजी महाराज के सपनों का भारत बनाने, स्वराज, सुशासन और आत्मनिर्भरता की यात्रा होगी। यह एक विकसित भारत की यात्रा होगी।