समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार, बहुपत्नी प्रथा पर लगेगी रोक, जानिए सभी प्रावधान

समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार, बहुपत्नी प्रथा पर लगेगी रोक, जानिए सभी प्रावधान
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समिति ने तलाक के लिए एक समान नियम बनाने का प्रस्ताव दिया है।

देहरादून। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को यूसीसी का ड्राफ्ट सौंप दिया। इस समिति में सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना देसाई की अध्यक्षता में गठित समिति में दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रमोद कोहली, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल और सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़ शामिल थे। समिति ने विवाह,तलाक, तलाक के बाद भरण पोषण और बच्चों को गोद लेने के लिए सभी धर्मों के लिए एक कानून बनाने की संस्तुति की है।

जानकारी के अनुसार, समिति ने सभी धर्मों के लिए विवाह के समान नियमों की सिफारिश की है। समिति ने सभी धर्मों के लिए लड़कियों की विवाह की आयु 18 साल करने का प्रस्ताव दिया है। वहीँ एक से अधिक पत्नी रखने की प्रथा को खत्म करने की सिफारिश की है। समिति का कहना है की बहु पत्नी प्रथा का अंत कर सभी धर्मों के लिए एक पति-पत्नी के नियम को लागू किया जाना चाहिए।

एकसमान तलाक प्रक्रिया -

समिति ने तलाक के लिए एक समान नियम बनाने का प्रस्ताव दिया है। समिति ने सभी धर्मों के लिए एकसमान तलाक के नियम लागू करने एवं पर्सनल लॉ को खत्म करने की सिफारिश की है। इसके साथ ही भरण-पोषण और विवाहित महिला के अधिकार पर भी समान अधिकारों की पैरोकारी समिति ने की है।इसके आलावा समिति ने संपत्ति पर लैंगिक समानता लाने की भी सिफारिश की है। समिति ने संपत्ति बंटवारे में सभी धर्मों में बेटी को बेटे समान अधिकार देने की बात कही है। अन्य धर्म या जाति में विवाह करने पर भी लड़की के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकेगा।

यूसीसी के मुख्य प्रावधान -

  • एक पति पत्नी का नियम सब पर लागू होगा, बहुपत्नी प्रथा का अंत ।
  • सभी धर्मों में विवाह की आयु लड़की के लिए 18 वर्ष अनिवार्य होगी ।
  • लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए पंजीकरण कराना जरूरी होगा ।
  • तलाक के लिए सभी धर्मों के लिए एक कानून होगा , पर्सनल लॉ पर प्रतिबंध।
  • तलाक के बाद भरण पोषण के लिए भी एक नियम होगा ।
  • संपत्ति बटवारे में बेटे और बेटी का एक समान अधिकार सभी धर्मों के लिए लागू होगा
  • गोद लेने के लिए सभी धर्मों का एक कानून होगा ।



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