मेड इन इंडिया AI: चैप जीपीटी और जैमिनी की तर्ज पर विकसित होगा भारत का अपना एआई...
नई दिल्ली। चैट जीपीटी और डीपसीक की तर्ज पर भारत का भी अपना आर्टिफिशियल इंटेंलिजेंस का एप अगले 10 महीनों में बनकर तैयार हो जाएगा। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार के पास 18,000 से ज्यादा ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट यानि जीपीयू उपलब्ध हैं, जिनसे जल्द से जल्द एप तैयार किया जा सकेगा।
वैष्णव ने उड़ीसा के एक समारोह में कहा कि भारत का एआई जैमिनी और डीपसीक की टक्कर का होगा। इसके लिए जरुरी प्रक्रिया तेज़ की गई है। हमने पहले जहां 10 हज़ार जीपीयू के जरिए एप विकसित करने की सोची थी, लेकिन अब हमारे पर 18 हज़ार से ज्य़ादा जीपीयू उपलब्ध हैं।
जिनमें से 12,896 एनविडिया H100 GPU और 1,480 एनविडिया H200 GPU शामिल हैं। इनमें से 10,000 GPUs अब उपयोग के लिए तैयार हैं, और यह फैसिलिटी सभी डेवलपर्स के लिए खुली होगी, जिससे एआई विकास को तेज़ी से बढ़ावा मिलेगा।
मंत्री ने यह भी बताया कि भारत अपना खुद का “फाउंडेशन AI मॉडल” तैयार करने जा रहा है,जो भारतीय भाषाओं और सांस्कृतिक विविधताओं को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया जाएगा। इस मॉडल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इसमें किसी प्रकार का पूर्वाग्रह न हो।
हमने इस एप को विकसित करने के लिए 10 कंपनियों को छांटा है। इन कंपनियों से फाउंडेशन मॉडल के लिए आवेदन मांगे गए हैं।
दरअसल चीन ने अपने एआई मॉडल डीपसीक को विकसित करके दुनिया के तकनीकी क्षेत्र में हंगामा मचा दिया है। उसने बहुत ही कम कीमत पर यह एप विकसित किया है। जबकि अमेरिका की माइक्रोसॉफ्ट से लेकर अन्य कंपनियों ने इस तरह के एप को विकसित करने में अरबों रुपये खर्च कर दिए थे।
इसी वजह से अमेरिका में डीपसीक अमेरिका और यूरोप के डाउनलोड में सबसे प्रमुख हो गया है। इसकी वजह से एआई और तकनीक को लेकर दुनियाभर में बहस छिड़ गई है। इसी वजह से भारत पर भी अपने एआई को जल्द से जल्द विकसित करने का दबाव बढ़ गया है।
बड़ी बात यह है कि जिस कंपनी एनविडिया के चिप के जरिए चीन ने अपना एआई एप विकसित किया है, इसी कंपनी से ही भारत ने चिप मंगाए हैं। इस दौरान एक सवाल के जवाब में वैष्णव ने कहा कि डीपसीक से डेटा सुरक्षा को देखते हुए हम इसपर काम करेंगे। इसके लिए हम जल्द ही डीपसीक के सर्वर भारत में होस्ट होंगे।