मणिपुर हिंसा का मिजोरम में असर, मैतेई समुदाय ने किया पलायन

मणिपुर हिंसा का मिजोरम में असर, मैतेई समुदाय ने किया पलायन
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पुलिस अधीक्षक महतो ने यह भी कहा कि मिजोरम में कम से कम तीन से चार हजार मैतेई समुदाय के लोग हैं।

आइजॉल। मिजोरम के पूर्व उग्रवादियों के संगठन 'पीस एकॉर्ड एमएनएफ रिटर्नीज़ एसोसिएशन' (पीएएमआरए या पामरा) के एक बयान के बाद मिजोरम छोड़कर असम के कछार जिले में बड़ी संख्या में मणिपुरी मैतेई पहुंच रहे हैं।कछार पुलिस अधीक्षक नोमाल महतो के अनुसार मिजोरम के गृह विभाग के सुरक्षा आश्वासनों और स्वयं 'पामरा' संगठन के दिए गए बयानों के स्पष्टीकरण के बावजूद, मैतेई समुदाय के 82 लोग अत्यधिक असुरक्षा के कारण लेंगपुई हवाई अड्डे से पैदल चलकर रविवार को सीमावर्ती कछार जिले में पहुंचे।

उन्हाेंने बताया कि जिले के लक्षीपुर थाना क्षेत्र के बिन्नाकांदी दक्षिण बराक सामुदायिक भवन में पहले से ही महिलाओं समेत मणिपुरी मैतेई समुदाय के करीब 79 लोगों ने शरण ले रखी है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इससे पहले शनिवार की रात 19 लोगों ने और रविवार को 41 लोगों ने इस सामुदायिक भवन में शरण ली थी। उन्होंने बताया कि रविवार को 22 और लोग मिजोरम से सड़क मार्ग से यहां पहुंच गए हैं।

पुलिस अधीक्षक महतो ने यह भी कहा कि मिजोरम में कम से कम तीन से चार हजार मैतेई समुदाय के लोग हैं। यहां आज और भी लोगों के आने की संभावना है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि रविवार को उन्होंने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के साथ दक्षिण बराक सामुदायिक भवन गए थे और आश्रित मैतेई के खान-पान और रहन-सहन के बारे में जानकारी ली थी।

उल्लेखनीय है कि मणिपुर में न्यूड वीडियो कांड के बाद 'पीस एकॉर्ड एमएनएफ रिटर्नीज एसोसिएशन' ने 21 जुलाई को मैतेई की सुरक्षा की दृष्टि से मिजोरम छोड़ने का एक तरह से फतवा जारी किया था। उस फतवे के मद्देनजर 22 जुलाई को मणिपुर सरकार ने आइजल में रहने वाले मेइतिदों को पड़ोसी असम के कछार जिले और इंफाल में हवाई मार्ग से ले जाने का फैसला किया। इस संबंध में गृह आयुक्त पु एच लालेंगमाओइया ने बैठक कर मैतेई समुदाय के लोगों को मिजोरम में पूर्ण सुरक्षा का आश्वासन दिया। इस बीच, गृह आयुक्त पु एच लालेंगमाओइया के साथ 'पामरा' के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की। इसके बाद 'पामरा' ने एक प्रेस बयान जारी कर मिजोरम छोड़ने के आदेश को लेकर अपना स्पष्टीकरण दिया। पामरा के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि उनका बयान सलाह या परामर्श था। इसने मिजोरम में रहने वाले मैतेई लोगों से मणिपुर में चल रहे सांप्रदायिक संघर्ष के संबंध में जनभावना को देखते हुए सावधानी बरतने का आग्रह किया। इस विज्ञप्ति में मैतेई को मिज़ोरम छोड़ने का आदेश नहीं दिया गया था। प्रतिनिधियों को खेद है कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया।

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