भारत में GE-414 लड़ाकू विमान इंजन बनने का रास्ता साफ, US कांग्रेस ने मंजूरी दी
नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिछले अमेरिकी दौरे के समय हुए जीई-414 विमान इंजन सौदे को अमेरिकी कांग्रेस ने मंजूरी दे दी है। अब प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से भारत में ही हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) जीई-414 इंजन का निर्माण कर सकेगा। भारत ने तेजस एमके-2 फाइटर जेट के लिए अमेरिका के साथ 99 जीई-414 का सौदा किया है। प्रोटोटाइप बनाने के लिए 8 एफ-414 इंजन पहले से ही एचएएल के पास हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति ने पिछले साल 31 अगस्त को इस बहुप्रतीक्षित परियोजना को मंजूरी दी थी। इसके बाद इस साल के अंत तक स्वदेशी बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान तेजस मार्क-2 का प्रोटोटाइप आने की संभावना जताई गई थी, लेकिन इसके लिए इंजन फाइनल न होने से प्रोटोटाइप का विकास अधर में लटका था। प्रधानमंत्री मोदी के हालिया अमेरिकी दौरे में जीई-414 विमान इंजन भारत में ही विकसित किये जाने का समझौता होने बाद अब अमेरिकी कांग्रेस की भी मंजूरी मिलने से एलसीए तेजस मार्क-2 के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है।
प्रोटोटाइप विमानों के निर्माण
इसी माह भारत सरकार ने लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस मार्क-2 के 6 प्रोटोटाइप विमानों के निर्माण को मंजूरी दी थी। डीआरडीओ ने एलसीए तेजस मार्क-2 और पांचवीं पीढ़ी के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) दोनों को एक ही इंजन से चलाने का फैसला किया है। वायुसेना ने भी तमाम तरह के परीक्षण करने के बाद लड़ाकू एएमसीए की डिजाइन को हरी झंडी दे दी है। विमान के कई हिस्से पहले ही बनाए जा चुके हैं। शुरू में कुल चार प्रोटोटाइप बनाकर इसकी पहली उड़ान 2026 में तय की गई है। यानी तब पांचवीं पीढ़ी का स्वदेशी लड़ाकू विमान भारतीय आसमान में उतरकर दुश्मनों के बीच नई हलचल पैदा करेगा। एएमसीए के डिजाइन और प्रोटोटाइप विकास के लिए सीसीएस की मंजूरी मिलने के बाद एएमसीए के प्रोटोटाइप का निर्माण होने की प्रक्रिया भी तेज होगी।
एलसीए मार्क-2 विमानों का निर्माण
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि तेजस मार्क-2 के प्रोटोटाइप विकास में लगभग 5-6 साल लगने का अनुमान है। एचएएल 15 साल या उससे अधिक की अवधि में 230 एलसीए मार्क-2 विमानों का निर्माण करेगा। इस व्यापक परियोजना पर हजारों करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। एलसीए मार्क-2 कार्यक्रम से भारत की स्वदेशी एयरोस्पेस क्षमताओं को बढ़ावा मिलने के साथ ही वायुसेना का हवाई बेड़ा भी मजबूत होगा। भारतीय वायुसेना शुरुआत में 108 विमानों का ऑर्डर दे सकती है। बाद में इनकी अंतिम गिनती 230 हो सकती है, जिसके बाद 2030 तक वायुसेना के बेड़े में लड़ाकू विमान होंगे।