New Parliament : जानिए कौन है पद्मा सुब्रमण्यम ? जिनकी एक चिट्ठी से दुनिया के सामने आया 'सेंगोल'
वेबडेस्क। 15 अगस्त 1947 देश की आजादी मिलने के समय सत्ता के हस्तांतरण का प्रतिक बने सेंगोल को नई संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। स्वतंत्रता के बाद 75 सालों तक गायब रही इस धरोहर को दुनिया के सामने लाने में भरतनाट्यम की प्रसिद्ध नृत्यांगना पद्मा सुब्रमण्यम का विशेष योगदान है। उनके द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र के द्वारा ही सेंगोल की सच्चाई दुनिया के सामने आई है।
दरअसल, 2 साल पहले भरतनाट्यम डांसर पद्मा सुब्रमण्यम ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिख इसके महत्व की जानकारी दी थी। जिसे उन्होंने तमिल पत्रिका में पढ़ा था, हैरान कर देने वाली इस जानकारी का पता लगते ही उन्होंने निर्णय लिया की पूरे देश को इस धरोहर के विषय में जानना चाहिए। इसी विचार के साथ उन्होंने पीएमओ को चिट्ठी लिखी। जिसमें सेंगोल का उल्लेख किया।
पीएमओ ने शुरू की तलाश -
पीएमओ ने पद्मा सुब्रमण्यम के पत्र को गंभीरता से लेते हुए प्रधानमंत्री को इसकी जानकारी दी।इसके बाद प्रधानमंत्री ने सेंगोल को तलाशने का आदेश दिया। इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट की मदद से अधिकारियों ने इसकी खोज शुरू की लेकिन शुरुआत में इससे संबंधित कोई जानकारी नहीं मिली। इसके बाद तत्कालीन समाचार पत्रों के माध्यम से इससे संबंधित जानकारी जुटाना शुरू की गई। जिससे पता चला कि सेंगोल को तमिलनाडु के वुम्मिडी बंगारू फैमिली ने बनाया था।
आनंद भवन में मिली धरोहर -
अधिकारियों की टीम ने जब इस परिवार से मुलाकात की तो उन्होंने बताया की सेंगोल उनके पास नहीं है। इसके बाद सेंगोल की तलाश देश भर के सभी म्यूजियम में की गई। इसकी खोज में सबसे बड़ी परेशानी यह थी की किसी ने भी सेंगोल को नहीं देखा था। ऐसे में तलाश कठिन हो गई। अंत में प्रयागराज के आनंद भवन में एक छड़ी नुमा वस्तु के होने की जानकारी मिली। जिसकी तस्वीर बंगारू परिवार को दिखाई गई तो उन्होंने पहचान लिया। दरअसल 1947 में वुम्मिडी एथुराजुलू और वुम्मिडी सुधाकर ने अन्य शिल्पकारों से साथ मिलकर बनाया था। अब ये दोनों भाई 28 मई को होने वाले कार्यक्रम का भी हिस्सा बनेंगे
कौन हैं पद्मा सुब्रमण्यम
पद्मा सुब्रमण्यम भरतनाट्यम की प्रसिद्ध डांसर हैं, उनका जन्म 1943 में हुआ था। पिता प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और मां संगीतकार थी। पद्मा सुब्रमण्यम ने अपने पिता के डांस स्कूल में महज 14 साल की उम्र में ही बच्चों को डांस सिखाना शुरू कर दिया था। उन्हें अब तक कई अवार्ड और पुरस्कार मिल चुके हैं, 1983 में वह संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार जीत चुकी हैं, इसके अलावा उन्हें 1981 और 2003 में क्रमश: पद्मश्री और पद्मभूषण पुरस्कार भी मिल चुके हैं।