संसद भवन की विदाई पर पुराने रिश्तों में बढ़ी नजदीकी ! सोनिया गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया साथ बैठे नजर आए
नईदिल्ली। गणेश चतुर्थी के अवसर पर आज पुरानी संसद भवन को छोड़ सांसदों ने नए संसद भवन में प्रवेश किया। इस दौरान आयोजित कार्यक्रम की एक तस्वीर चर्चा का विषय बन गई है। न्यूज चैनलों, अखबारों से लेकर सोशल से लेकर तक हर ओर इसी तस्वीर के चर्चे है।इस तस्वीर के सामने आने के बाद मप्र की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। राजनीतिक गलियारों में अटकलें लग रही है क्या फिर कोई बड़ा उलटफेर होगा ?
दरअसल, पुराने संसद भवन में आज मंगलावर को लोकसभा और राज्यसभा की आखिरी बैठक के साथ-साथ पुराने संसद भवन से औपचारिक निकास के उपलक्ष्य में एक समारोह आयोजित किया गया था। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी साथ-साथ बैठे नजर आएं।
सोनिया गांधी के पास पहुंचे सिंधिया -
समारोह शुरू होने से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया आगे की पंक्ति में बैठी सोनिया की बेंच के पास पहुंचे और उनका अभिनंदन किया। इस दौरान उन्होंने वहीं खड़े होकर सोनिया गांधी समेत उनके बगल में बैठे लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिार्जुन खड़गे से बात की।
सोनिया गांधी ने दी सिंधिया को बैठने की जगह
इसके बाद सिंधिया उनके पास की दूसरी पंक्ति में जाकर बैठ गए। इसी दौरान सोनिया गांधी के पास बैठे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और अधीर रंजन मंच पर चले गए। सोनिया के बगल की सीट खाली होते ही ज्योतिरादित्य सिंधिया एक बार फिर अपनी सीट से उठकर सोनिया गांधी के पास पहुंचे। जिसके बाद सोनिया थोड़ी-सी अपनी जगह से हट गईं और उन्होंने सिंधिया के बैठने के लिए जगह बना दी। इसके बाद पूरे कार्यक्रम के दौरान सिंधिया, सोनिया गांधी के बगल में ही बैठे रहे एवं बातें करते हुए नजर आएं। इसके बाद ये फोटो तेजी से वायरल हो गई।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के मन में क्या है ?
मप्र में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया और सोनिया गांधी की नजदीकी ने राजनीति में हलचल बढ़ा दी है। साल 2020 में सियासी फेरबदल के बाद ये पहला मौका है जब संसद में सोनिया गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया एक साथ बैठे दिखे है। इस तस्वीर के बाद हर ओर कयास लगने लगे की आखिर सिंधिया के मन में क्या है ? कहीं एक बार फिर मप्र में कोई बड़ा उलटफेर होगा। बहर हाल राजनीति में कुछ कहा भी नहीं जा सकता क्योंकि यहां कोई व्यक्तिगत मतभेद नहीं बल्कि वैचारिक मतभेद होते है। राजनीति में सब कुछ संभव है।
कांग्रेस से तीन पीढ़ी पुराना रिश्ता
बता दें कि भारतीय राजनीति में सिंधिया और गांधी परिवार के रिश्ते तीन पीढ़ी पुराने है। जिसकी शुरुआत उनकी दादी ग्वालियर राजघराने की पूर्व राजमाता विजयाराजे सिंधिया कांग्रेस में शामिल होने से शुरू हुई थी। बाद में इंदिरा गांधी से रिश्ते बिगड़ने पर उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ जनसंघ का दामन थाम लिया था। गांधी परिवार से जो रिश्ते इंदिरा और विजयाराजे के मतभेद से बिगड़े थे, उनमे जीव गांधी और ग्वालियर के पूर्व महाराज माधवराव सिंधिया के रिश्तों ने नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया था। इसके बाद ग्वालियर राजघराने के वारिस ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 2001 में कांग्रेस से ही की थी। उनकी और राहुल गांधी की दोस्ती आगे बढ़ी।
2020 में राजनीतिक उलटफेर -
साल 2019 में गुना संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव हारने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद को कांग्रेस के अंदर अपेक्षित महसूस करने लगे। वहीँ मप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह से भी सिंधिया की अनबन शुरू हो गई। इसी के चलते सिंधिया ने मार्च 2020 में कांग्रेस से बगावत करके अपने समर्थक 22 विधायकों के साथ भाजपा का दामन थाम लिया था। जिसके बाद कमलनाथ की सरकार गिर गई और शिवराज सिंह के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। वर्तमान में वह मोदी सरकार में केंद्रीय नागरिक एवं उड्डयन मंत्रालय संभाल रहे है।