Waqf Bill: संसद में पेश होने जा रहा है वक्फ बिल, जानिए JPC द्वारा किए संशोधन और बवाल का कारण

संसद में पेश होने जा रहा है वक्फ बिल, जानिए JPC द्वारा किए संशोधन और बवाल का कारण
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Waqf Bill : नई दिल्ली। 2 अप्रैल 2025 को देश में कोई विषय अगर सबसे अधिक चर्चा में है तो वह है वक्फ संशोधन बिल। नरेंद्र मोदी 3.0 द्वारा वक्फ बिल में संशोधन एक बड़ा कदम माना जा रहा है। पिछले साल संसद में विपक्ष के हंगामे के बीच यह बिल पेश किया गया था। विरोध के बाद वक्फ बिल जेपीसी को भेज दिया गया। जेपीसी द्वारा इसमें कई संशोधन किए गए हैं। विपक्ष का आरोप है कि, उनके द्वारा दिए गए सुझावों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया।

ऐसे में जानते हैं आखिर JPC ने वक्फ बिल में क्या संसोधन किए। इसे लेकर विवाद अब किन बिंदुओं पर है।

जानिए क्या है वक्फ बोर्ड :

वक्फ का मतलब है 'अल्लाह के नाम', अर्थात ऐसी जमीनें जो किसी व्यक्ति या संस्थान के नाम न हो। ऐसी जमीनों के रहकरखाव के लिए ही वक्फ बोर्ड बनाया गया। यह बोर्ड ही तय करता है कि, कौनसी जमीन वक्फ की है कौनसी नहीं।

वक्फ बोर्ड तीन आधार पर यह तय करता है कि, कोई जमीन उसकी है या नहीं। अगर किसी ने अपनी संपत्ति वक्फ के नाम कर दी हो, अगर कोई मुसलमान या मुस्लिम संस्था जमीन का लंबे समय से इस्तेमाल कर रही हो या सर्वे में जमीन वक्फ की बताई गई हो। वक्फ बोर्ड ही सर्वेयर है। यह बोर्ड मुस्लिमों की जमीन पर नियंत्रण और गैर कानूनी तरीके से इसकी खरीद - फरोख्त रोकने का काम भी करता है।

देश में इतनी बार हुआ वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन :

वक्फ बोर्ड कानून में 1954, 1995 और 2013 में संशोधन किया गया। साल 1954 में वक्फ बोर्ड का गठन हुआ। 1964 में इसका केन्द्रीयकरण करते हुए सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड कॉउन्सिल का गठन किया गया। 1954 में अलग - अलग राज्यों में वक्फ बोर्ड बनाए गए थे। उनके कामों के संचालन की व्यवस्था का जिम्मा सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड कॉउन्सिल को दिया गया।

पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने बढ़ाई थी वक्फ की ताकत :

साल 1995 में किए गए संशोधनों ने वक्फ की ताकत और बढ़ा दी थी। यह संशोधन पीवी नरसिम्हा राव की सरकार द्वारा किए गए थे। वक्फ कानून को और अधिक मजबूत बनाने के लिए विवादों के निपटारे के लिए वक्फ न्यायाधिकरण को सिविल कोर्ट के समान स्वतंत्रा मिली। एक कदम आगे बढ़ते हुए वक्फ न्यायाधिकरण के फैसले को अंतिम माना जाने लगा। इन फैसलों को किसी कोर्ट में चुनौती भी नहीं दी जा सकती थी।

साल 2013 में दी गई स्वायत्तता :

वक्फ बिल में साल 2013 में संशोधन किए गए। इसके तहत राज्य वक्फ बोर्ड को सर्वे कमिश्नर की नियुक्ति की स्वतंत्रता मिली। यह सर्वे कमिश्नर राज्य में वक्फ की संपत्ति का लेखा जोखा रखता था। विवाद निपटारे का काम भी यह सर्वे कमिश्नर की करता था। इसके लिए एक सर्वे कमिश्नर ऑफिस भी बनाया गया। इस कार्यालय में कई सर्वेयर होते हैं। स्थानीय स्तर पर एक मुतवल्ली होता है जिसकी नियुक्ति राज्य वक्फ बोर्ड करता है।

वक्फ बोर्ड के पास कितनी संपत्ति :

रेलवे और सेना के बाद देश में अगर सबसे अधिक जमीन किसी के पास है तो वह वक्फ बोर्ड है। रेलवे के पास जहां 33 लाख एकड़ जमीन है वहीं सेना के पास 17 लाख एकड़ जमीन है। वक्फ बोर्ड के पास देश की 9.4 लाख एकड़ जमीन है।

नरेंद्र मोदी 3.0 सरकार में वक्फ बिल में कई संशोधन का प्रस्ताव रखा गया। 8 अगस्त 2024 को यह बिल सदन में पेश किया गया। इसके तहत मुस्लिम महिलाओं को राज्य वक्फ बोर्ड में शामिल करना और गैर मुस्लिमों को भी कमेटी में प्रतिनिधित्व देना जैसे 40 बड़े संशोधन प्रस्तावित थे। जब विरोध किया गया तो यह बिल भाजपा नेता जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में बनी जेपीसी के पास भेज दिया गया।

जेपीसी ने 572 में से 14 संशोधन स्वीकारे :

जगदंबिका पाल के नेतृत्व में 6 महीने वक्फ बिल पर विचार किया गया। समिति को कुल 572 संशोधन सुझाए गए थे। बताया जा रहा है कि, समिति ने इनमें से मात्र 14 संशोधन को ही स्वीकार किया। जगदंबिका पाल का कहना है कि, बहुमत के आधार पर संशोधन स्वीकार किए गए हैं। विपक्ष द्वारा सुझाए गए संशोधन बहुमत हासिल नहीं कर पाए।

पॉइंट्स में समझिए जेपीसी द्वारा मंजूर महत्वपूर्ण बदलाव :

वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिमों को शामिल किया जाएगा।

वक्फ न्यायाधिकरण शक्तियां सीमित करते हुए न्यायाधिकरण में जिला जज और संयुक्त सचिव रैंक (राज्य स्तर) के अधिकारी को इसमें शामिल किया जाएगा।

वक्फ न्यायाधिकरण का अंतिम नहीं होगा। इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।

वक्फ सम्पत्ति की जानकारी केंद्रीय डेटा बेस में देना जरुरी होगा।

केंद्रीय डेटा बेस में जानकारी न देने पर विवाद की स्थिति में अदालत नहीं जा सकेंगे।

वक्फ की सम्पतत्तियों से जुड़े विवाद जांच की शक्तियां कलेक्टर को नहीं दिए जाने पर सहमति बनी ,राज्य सरकारें अब वरिष्ठ अधिकारी नामित कर पाएंगी।

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