Justice Yashwant Varma: विवादों में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा कौन हैं? उनका मध्यप्रदेश से क्या है नाता, पढ़िए उनके बारे में सब कुछ

Justice Yashwant Verma
Who is Justice Yashwant Varma : कांग्रेस के खिलाफ आयकर पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही, ED की शक्तियां, दिल्ली आबकारी नीति मामले की मीडिया रिपोर्टिंग जैसे महत्वपूर्ण मामलों में अहम भूमिका निभाने वाले जज आज खुद कटघरे में हैं। कैश स्कैंडल में उनका नाम आने के बाद वे एक दिन की छुट्टी पर चले गए लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ इन हॉउस इंक्वायरी शुरू कर दी है। कौन हैं यह जस्टिस यशवंत वर्मा, उनका मध्य प्रदेश से क्या कनेक्शन है? कैश स्कैंडल में अब तक क्या - क्या हुआ, अगर जस्टिस यशवंत वर्मा दोषी पाए जाते हैं तो उनके साथ क्या - क्या हो सकता है...इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़िए यह खबर।
दिल्ली एक एक सरकारी आवास में आग लगी। घर में रह रहे लोगों ने फायर ब्रिगेड को फोन किया। आग बुझ गई लेकिन इस आग का धूंआं जैसे ही हटा एक बड़े राज से पर्दा उठ गया। यह सरकारी आवास दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा का था। जैसे ही यह मुद्दा मीडिया में आया वैसे ही न्यायपालिका की व्यवस्था पर सवाल उठने शुरू हो गए। इस पूरे मामले को डीटेल में समझने से पहले जानिए कौन हैं जस्टिस यशवंत वर्मा।
इलाहाबाद में हुआ जन्म :
जस्टिस यशवंत वर्मा का जन्म 6 जनवरी, 1969 को इलाहाबाद में हुआ था। यशवंत वर्मा ने मध्य प्रदेश की रीवा यूनिवर्सिटी से लॉ में स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी। इस तरह मध्य प्रदेश में जस्टिस यशवंत वर्मा ने शिक्षा ग्रहण की है। स्नातक के बाद यशवंत वर्मा अगस्त, 1992 में अधिवक्ता के रूप में अपना नामांकन कराया। उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायलय से वकालत की।
इलाहाबाद हाई कोर्ट में यशवंत वर्मा ने संविधान, श्रम और औद्योगिक विधान समेत कराधान और कॉर्पोरेट कानून से जुड़े मामलों में वकालत की। साल 2012 से 2013 तक उन्होंने उत्तरप्रदेश के मुख्य स्थायी अधिवक्ता का पद संभाला। हाई कोर्ट ने उन्हें सीनियर अधिवक्ता के रूप में नामित भी किया था।
अक्टूबर 2014 में हाई कोर्ट में अडिशनल जज बनने से पहले उन्होंने विशेष अधिवक्ता के रूप में भी काम किया था। साल 2016 में यशवंत वर्मा को स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया। जस्टिस यशवंत वर्मा ने 5 साल इलाहबाद हाई कोर्ट में काम किया, इसके बाद 2021 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया।
यशवंत वर्मा द्वारा न्यायाधीश के रूप में संभाले गए महत्वपूर्ण मामले :
कांग्रेस के खिलाफ आयकर पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही -
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कांग्रेस द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था। खंडपीठ ने यह मत दिया था कि, आयकर विभाग के पास प्रथम दृष्टया राजनीतिक पार्टी की आय की आगे की जांच करने के लिए "पर्याप्त और ठोस सबूत" हैं।
PMLA के तहत PayPal का दायित्व -
एकल न्यायाधीश के रूप में, न्यायमूर्ति वर्मा ने माना था कि ऑनलाइन भुगतान प्लेटफ़ॉर्म पेपाल धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के के भीतर एक 'भुगतान प्रणाली ऑपरेटर' है। इसका मतलब था कि पेपाल को पीएमएलए की धारा 12 का पालन करना होगा। जो एक 'रिपोर्टिंग इकाई' के लिए सभी लेन-देन के रिकॉर्ड बनाए रखना और दस साल की अवधि के लिए अपने सभी ग्राहकों की पहचान के रिकॉर्ड को सत्यापित और बनाए रखना अनिवार्य बनाता है।
UAPA दस्तावेजों के खुलासे को RTI से छूट -
UAPA मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस वर्मा ने कहा था कि, यूएपीए की धारा 45(1) के तहत अभियोजन की मंजूरी देने के लिए जिन प्रस्तावों और दस्तावेजों पर भरोसा किया जाता है, उनके खुलासे को सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 8(1)(ए) के तहत छूट दी जा सकती है।
ईडी की शक्तियां -
ED से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस यशवंत वर्मा ने कहा कि ईडी के पास धन शोधन के अलावा किसी अन्य अपराध की जांच करने की शक्ति नहीं है। एजेंसी स्वयं यह नहीं मान सकती कि कोई पूर्वनिर्धारित अपराध किया गया है।
न्यायिक पूर्वाग्रह -
जस्टिस यशवंत वर्मा ने न्यायिक पूर्वाग्रह पर कहा था कि, किसी मामले में न्यायिक पूर्वाग्रह को तथ्य के रूप में साबित करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि इसे केवल एक सामान्य व्यक्ति के दृष्टिकोण से परखा जाना चाहिए और उचित आशंका के आधार पर मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
जस्टिस यशवंत वर्मा के मामले में अब तक क्या - क्या हुआ
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ इन-हाउस जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है। जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से कथित तौर पर बेहिसाब नकदी बरामद हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से रिपोर्ट भी मांगी है। जज के घर में आग लगने की वजह से अनजाने में बेहिसाब कैश बरामद हुआ था।
यह घटना 14 मार्च, 2025 को होली की छुट्टियों के दौरान सामने आई थी जब उनके सरकारी बंगले में आग लग गई थी। उस समय न्यायमूर्ति वर्मा मौजूद नहीं थे और उनके परिवार के सदस्यों ने आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड को बुलाया था।
अधिकारियों को नकदी का एक बड़ा भंडार मिला :
आग पर काबू पाने के दौरान, अधिकारियों को नकदी का एक बड़ा भंडार मिला, जिसके स्रोत के बारे में अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से त्वरित कार्रवाई की। 20 मार्च, 2025 को कॉलेजियम ने बैठक की और सर्वसम्मति से न्यायमूर्ति वर्मा को उनके मूल न्यायालय, इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस स्थानांतरित करने का निर्णय लिया। उन्होंने अक्टूबर 2021 में दिल्ली उच्च न्यायालय में शामिल होने से पहले वहां सेवा की थी।
"इलाहाबाद हाईकोर्ट कूड़ेदान नहीं है, हम भ्रष्ट लोगों को स्वीकार नहीं करेंगे।" यह बात बार एसोसिएशन ने जस्टिस यशवंत वर्मा के तबादले का विरोध करते हुए कही है। इसी के साथ जस्टिस यशवंत वर्मा के तबादले के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की बात भी कही गई है।
बार एसोसिएशन द्वारा लेटर जारी कर कहा गया है कि, आज हमें पता चला कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार में संलिप्तता के आधार पर माननीय न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को वापस इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया है।
जस्टिस यशवंत वर्मा के केस में आगे क्या हो सकता है -
भ्रष्टाचार या कदाचार के आरोपी न्यायाधीश पर महाभियोग लगाया जा सकता है। संविधान लागू होने के बाद से अब तक महाभियोग प्रस्ताव कई बार पेश हुए हैं लेकिन किसी भी न्यायाधीश को इस तरह से पद से नहीं हटाया गया है।
संविधान के अनुच्छेद 124 और 217 में क्रमशः सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज को पद से हटाने की प्रक्रिया का उल्लेख है। न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया न्यायाधीश जांच अधिनियम, 1968 में विस्तृत रूप से बताई गई है।
संविधान में प्रावधान है कि, किसी न्यायाधीश को संसद के दोनों सदनों के विशेष बहुमत द्वारा पारित प्रस्ताव के आधार पर राष्ट्रपति के आदेश द्वारा ही हटाया जा सकता है। विशेष बहुमत सदन की कुल सदस्यता का बहुमत और सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले कम से कम दो-तिहाई सदस्यों का बहुमत होता है।