पाकिस्तान व श्रीलंका के बाद अब भारत पर चीन की नजर
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बीझिंग, एजेंसी। पाकिस्तान व श्रीलंका की मीडिया पर कब्जा जमाने के बाद चीन ने अब भारत की ओर नजर गढ़ाई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चीन ने अपनी छवि सुधारने के लिए इंटरनेशनल ऑपरेशन्स का जाल बिछाया है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई है। भारत में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए उसने कुछ मीडिया संस्थानों को गिरफ्त में लिया है। न्यूजक्लिक वेबसाइट इसका ताजा उदाहरण है। अमेरिकी विदेश विभाग ने रिपोर्ट में बताया कि चीन हर साल कई अरबों डॉलर दुनियाभर में शेयर हो रही जानकारी में हेरफेर करने पर खर्च करता है।
चीन देश और कम्युनिस्ट पार्टी को लेकर सकारात्मक छवि बनाने के लिए झूठी और गलत जानकारी फैलाता है। साथ ही वो कई मुद्दों पर ऐसी अहम जानकारियों को दबा देता जो चीन के पक्ष में नहीं होती हैं। दुष्प्रचार के खिलाफ मौजूद जानकारियों को दबाने की कोशिश रिपोर्ट के मुताबिक, चीन उन जानकारियों को भी दबाने की कोशिश करता है, जिसमें ताइवान, ह्यूमन राइट्स, साउथ चाइना सी जैसे मुद्दों पर चीन के नरेटिव के खिलाफ जाकर बात की गई हो। चीन अपने ऑपरेशन्स के जरिए ऐसी जानकारियां फैलाने की कोशिश कर रहा है, जिससे विदेशी सरकारें, पत्रकार और आम लोग भी चीन के रुख का समर्थन करें और उसकी आलोचना करने से बचें। चीन ने पाकिस्तान के साथ सहयोग और गहरा करने की बात कही है।
बीजिंग के मुताबिक, इसके जरिए दोनों देशों को दुष्प्रचार से निपटने में मदद मिलेगी। इसके लिए दोनों देश चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर मीडिया फोरम का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। बीजिंग और इस्लामाबाद मीडिया फोरम का उपयोग उन चीजों को संबोधित करने के लिए करते हैं जिन्हें वे दुष्प्रचार मानते हैं। नर्व सेंटर से पाकिस्तान में सर्कुलेट हो रही खबरों पर नजर दोनों देशों ने सीपीईसी रैपिड रिस्पॉन्स इन्फॉर्मेशन नेटवर्क जैसी पहल की है। इसके अलावा उन्होंने चीन-पाकिस्तान मीडिया कॉरिडोर लॉन्च करने की भी घोषणा की थी। 2021 में विदेश विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने मीडिया कॉरिडोर के हिस्से के तौर पर पाकिस्तानी मीडिया पर नियंत्रण के लिए बातचीत करने की मांग की थी। इसमें पाकिस्तान में सूचना के वातावरण की निगरानी करने के लिए साथ मिलकर एक नर्व सेंटर की स्थापना की भी बात कही गई थी। ये नर्व सेंटर थिंक टैंक्स, मीडिया ऑर्गेनाइजेशन्स, स्टडी सेंटर्स और ओपिनियन लीडर्स के इनपुट्स की मदद लेंगे। इसके अलावा चीन ने एक न्यूज फीड एप्लिकेशन बनाने का भी प्रस्ताव रखा, जो गलत जानकारी या अफवाहों का खंडन करेगी। साथ ही ये चीन की तरफ से मंजूर की गई खबरों को प्राथमिकता के साथ लोकल मार्केट में प्रमोट करेगी। न्यूजक्लिक वेबसाइट पर विदेशी फंडिंग के आरोप दूसरी तरफ, 5 अगस्त को न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट जारी कर बताया था कि भारत में मीडिया हाउस न्यूजक्लिक को एक अमेरिकी अरबपति नेविल रॉय सिंघम ने फाइनेंस किया था। वे चीनी दुष्प्रचार को बढ़ावा देने के लिए भारत समेत दुनियाभर में संस्थाओं को फंडिंग करते हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर 17 अगस्त को न्यूजक्लिक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।