सीनेट के चीनी कंपनियों के स्टाक एक्सचेंज से हटाने के प्रस्ताव पर टकराव बढ़ा

सीनेट के चीनी कंपनियों के स्टाक एक्सचेंज से हटाने के प्रस्ताव पर टकराव बढ़ा
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लॉस एंजेल्स। अमेरिका और चीन के बीच कोविड-19 के मौजूदा संकट ने एक और मोड़ ले लिया। बुधवार की सायं वीडियो काँफ्रेंसिंग से रिपब्लिकन बहुल सीनेट ने बिना किसी अड़चन के एक प्रस्ताव पारित कर दिया और चीन सहित उन सभी देशों की कंपनियों के नाम स्टाक एक्सचेंज से हटाए जाने की सिफारिश कर दी। इस प्रस्ताव पर अब डेमोक्रेटिक बहुल कांग्रेस के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में जाएगा।

बताया जाता है कि अमेरिका के स्टाक एक्सचेंज में गत 25 फरवरी 2019 तक चीन की 165 कंपनियों के 1.2 खरब डालर की रकम दर्ज थी। इन कंपनियों में चीन की बहुचर्चित कंपनियों में गुगुल सर्च इंजन की तर्ज़ पर 'बेदू' ई कामर्स और कलाउड कम्प्यूटिंग कंपनियों में अलीबाबा , ई कामर्स प्लेटफार्म जे डी डाट काम, सोशल मीडिया कंपनी टेंसेंट, न्यू आरियंटल एजूकेशनल एंड टेक्नोलाजी ग्रुप और लूकिन काफ़ी आदि मुख्य है। विदित हो, हाल में लूकिन काफ़ी कंपनी के वित्तीय दस्तावेज़ों की अंतरंग जाँच में धोखा धड़ी पाई गई थी। इसके बाद न्यू यॉर्क स्टाक एक्सचेंज के कान खड़े हो गए। नेस्डेक में दर्ज इस कंपनी के शेयर में ट्रेड शुरू तो हुआ, लेकिन कम्पनी के सी ई ओ और लेखा अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के बाद इस के शेयर कारोबार को फिर से रोक दिया गया।

सीनेट में पिछले वर्ष रिपब्लिकन सिनेटर लुइजियाना,जान कनेडी ने 'होल्डिंग फोरेन कंपनीज अकाउंटेबल एक्ट' के अधीन यह प्रस्ताव प्रेषित किया था। अरिज़ोना के रिपब्लिकन सिनेटर मार्था मेक सेली ने भी कहा कि जब अमेरिकी कंपनियाँ मौजूदा एक्ट के अधीन आडिट कराती हैं तो चीनी कंपनियाँ क्यों नहीं? इस बिल के प्रतिनिधि सभा में पारित होने तथा फिर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद चीनी कंपनियों के लिए यह प्रमाणित करना एक गंभीर चुनौती होगी।

असल में सीनेट में यह प्रस्ताव क़रीब एक वर्ष पुराना था, लेकिन चीनी महानगर वुहान से चले कोरोना संक्रमण के कारण अमेरिका सहित दुनिया भर में संकटपूर्ण स्थिति के कारण बुद्धवार को यह प्रस्ताव फिर से प्रेषित किया गया। प्रस्ताव में कहा गया है कि चीनी कंपनियाँ न्यू यॉर्क में वाल स्ट्रीट स्थित स्टाक एक्सचेंज में किसी तरह दर्ज तो हो गई, लेकिन उन्होंने एक्सचेंज के मान्य नियमों का पालन नहीं किया। इन नियमों में दो प्रमुख शर्तें हैं। एक, कंपनियाँ सरकार अधीन नहीं अर्थात सार्वजनिक क्षेत्र की नहीं होनी चाहिए। दूसरे, स्टाक एक्सचेंज में दर्ज होने वाली कंपनियों का एक्सचेंज के नियमानुसार आडिट होना अनिवार्य है। चीनी कंपनियाँ ये दोनों ही शर्तों में कहीं ना कहीं विफल रही हैं। इसके विपरीत इन स्टाक एक्सचेंज में जो भी कंपनियाँ दर्ज होती हैं, वे बाक़ायदा एक्सचेंज के नियमों का पालन करती हैं और उनका बाक़ायदा आडिट होता है।

चाइना डेली दैनिक अख़बार के अनुसार बेदू के सी ई ओ रॉबिन अली ने कहा है कि उन्हें अमेरिका के इस नए प्रस्ताव से कोई चिंता नहीं है। वह अपने बोर्ड स्तर पर विचार कर रही है और ज़रूरत पड़ी तो इसे फिर से अमेरिकी एक्सचेंज में दर्ज कराएगी अन्यथा इसे हांगकांग एक्सचेंज में लिस्ट कराएगी।

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