'हार्ट ऑफ एशिया' सम्मेलन में में भारत ने उठाया अफगानिस्तान में शांति का मुद्दा

हार्ट ऑफ एशिया  सम्मेलन में में भारत ने उठाया अफगानिस्तान में शांति का मुद्दा
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दुशांबे। तजाकिस्तान की राजधानी दुशांबे में अफगानिस्तान पर 'हार्ट ऑफ एशिया- इस्तांबुल प्रक्रिया (होआ-आईपी)' के 9वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया के सफल होने के लिए जरूरी है कि सभी पक्ष राजनीतिक समाधान तक पहुंचने के लिए गंभीर प्रतिबद्धता के साथ लगातार प्रयास जारी रखें।अफगानिस्तान में स्थायित्व के लिए वास्तविक रूप से 'दोहरी शांति' की आवश्यकता है। अफगानिस्तान के भीतर और आसपास दोनों जगह शांति स्थापित होनी चाहिए । इसके लिए देश के भीतर और आसपास के हितों में सामंजस्य की आवश्यकता है।

उन्हों कहा, "आज हम अधिक समावेशी अफगानिस्तान के लिए प्रयास कर रहे हैं, जो दशकों से संघर्ष से जूझ रहा है। ऐसा तभी संभव होगा, जब हम उन सिद्धांतों के प्रति ईमानदार रहेंगे जिन्हें हार्ट ऑफ एशिया ने लंबे समय तक अपनाया है। सामूहिक सफलता आसान नहीं है, लेकिन विकल्प केवल सामूहिक विफलता ही होगी।"

सम्मेलन में भाग लिया -

विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर तजाकिस्तान के विदेश मंत्री सिरोजिद्दीन मुहरिद्दीन के निमंत्रण पर 30-31 मार्च के बीच तजाकिस्तान की आधिकारिक यात्रा पर हैं। आज उन्होंने होआ-आईपी के 9वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में भाग लिया। सम्मेलन से इतर उनका अन्य नेताओं से भी मिलने की संभावना है।

भारत - अफगानिस्तान में विकास के लिए प्रयासरत -

विदेश मंत्रालय के अनुसार होआ-आईपी के तहत विश्वास निर्माण उपाय (सीबीएम) व्यापार, वाणिज्य और निवेश में प्रमुख भागीदारी देश के रूप में भारत अफगानिस्तान के आर्थिक प्रगति के लिए क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए ठोस प्रयास कर रहा है। भारत और अफगानिस्तान के शहरों और ईरान में चाबहार पोर्ट के संचालन के बीच एक समर्पित एयर फ्रेट कॉरिडोर उस दिशा में कदम है।

भारत ने रचनात्मक भूमिका निभाई -

मंत्रालय के अनुसार अफगानिस्तान में शांति, समृद्धि और स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण हितधारक के रूप में भारत ने अफगानिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय प्रक्रियाओं में रचनात्मक भूमिका निभाई है। भारत ने अफगानिस्तान के मुद्दे क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय हितधारकों के साथ समन्वय बनाया है। यह यात्रा अफगानिस्तान पर विशेष ध्यान देने के साथ मध्य एशियाई देशों के लिए हमारे आउटरीच को और बढ़ाएगी।

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