भारत ने इमरान को याद दिलाई पाक की हैसियत
दिल्ली। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भारत को लेकर ऐसी-ऐसी बातें करते रहते हैं, जिससे पढ़े-लिखे पाकिस्तानियों का ही बड़ा तबका हैरत में पड़ जाता है। इस बार तो उन्होंने हद ही कर दी। उन्होंने कहा कि भारत में बहुत गरीबी है, इसलिए वो मदद करना चाहते हैं। इमरान ने यह ऑफर करते वक्त पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा। खैर, भारत ने उन्हें पाकिस्तान की हैसियत याद दिला दी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि पाकिस्तान की जीडीपी के बराबर तो भारत ने कोरोना पैकेज घोषित कर दिया है।
श्रीवास्तव ने कहा, 'पाकिस्तान अगर यह याद रखे कि उस पर उसकी जीडीपी के 90% के बराबर कर्ज ले रखा है तो शायद उसका भला हो जाएगा। जहां तक बात भारत की है तो हमारे स्टिमूलस पैकेज ही पाकिस्तान की जीडीपी के बराबर है।'
पाकिस्तान को यह याद रखना चाहिए कि उनके लिए ऋण एक बड़ी समस्या है जो उनकी GDP का 90% है। जहाँ तक भारत की बात है, हमारा प्रोत्साहन पैकेज ही पाकिस्तान की GDP जितना बड़ा है :पाकिस्तान PM द्वारा नकद हस्तांतरण कार्यक्रम में भारत की मदद की पेशकश पर अनुराग श्रीवास्तव, विदेश मंत्रालय pic.twitter.com/NSdEmZtjv3
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 11, 2020
दरअसल, इमरान ने एक सर्वे की खबर के बहाने डींग हांकने का मौका निकाल लिया। उन्होंने खबर को ट्वीट कर कहा कि उनकी कैश ट्रांसफर स्कीम दुनियाभर की सराहना बटोर चुकी है, इसलिए भारत को भी मदद ले लेनी चाहिए। इमराने ने ट्वीट किया, 'रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 34% परिवार बिना सरकारी सहायता के एक हफ्ते से ज्यादा गुजारा नहीं कर सकते। मैं मदद के तौर पर भारत के साथ अपने सफल कैश ट्रांजैक्शन प्रोग्राम साझा करने को तैयार हूं जिसे गरीबों तक पहुंच और पारदर्शिता के मालमे में अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली है।'
ध्यान रहे इमरान खान उसी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हैं जिसकी अर्थव्यवस्था पिछले कई वर्षों से अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और दुनिया के विभिन्न देशों के रहमो-करम पर चल रहा है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इमरान पाकिस्तानी जनता को यही ख्वाब दिखाकर पीएम बन गए कि उनके शासन में पाकिस्तान किसी के सामने भीख का कटोरा लेकर खड़ा नहीं होगा। हालांकि, इमरान प्रधानमंत्री बनने के कुछ महीनों बाद ही कर्ज के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की कड़ी शर्तें मानने को तैयार हो गए जिसकी पाकिस्तान में जमकर आलोचना हुई।