नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री ओली का दावा : भारत ने दी थी संविधान लागू नहीं करने की धमकी

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री ओली का दावा : भारत ने दी थी संविधान लागू नहीं करने की धमकी
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काठमांडू। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली ने भारत पर संविधान में दखल देने का आरोप लगाया है। पूर्व पीएम ओली ने कहा की साल 2015 में तत्कालीन विदेश सचिव और वर्तमान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नेपाल के संविधान को भारत के अनुसार बनाने के लिए दबाव बनाया था। उन्होंने धमकी दी थी की ह भारत की चिंताओं और सुझाव की अनदेखी करते हुए संविधान को लागू न करे।

केपीओली ने पार्टी के आम सम्मेलन में एक राजनीतिक दस्तावेज पेश करते हुए कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष दूत के रूप में संविधान की घोषणा से पहले काठमांडू का दौरा करने वाले भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने धमकी दी थी। उन्होंने कहा था नेपाली राजनीतिक नेतृत्व को संविधान की घोषणा के दौरान भारत की वैध चिंताओं और सुझावों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए।

संविधान लागू होने से पहले यात्रा -

संविधान सभा के लिए लगातार दो बार चुनाव कराने के बाद 2015 में नेपाल ने नए संविधान को लागू किया जिसने गणतंत्र, धर्मनिरपेक्ष, संघीय और कुछ अन्य व्यापक परिवर्तनों को समेकित किया। 20 सितंबर, 2015 को संविधान की घोषणा से कुछ दिन पहले, भारत ने नेपाल के राजनीतिक नेतृत्व से मिलने के लिए तत्कालीन विदेश सचिव जयशंकर को काठमांडू भेजा था। जयशंकर ने अपनी यात्रा के दौरान नेपाल के नए संविधान के लिए भारत की चिंताओं और सुझावों से अवगत कराया था।लेकिन ओली ने यह नहीं बताया की भारत ने क्या सुझाव और चिंताएं जाहिर की थी।

समावेशी बनाने की सलाह -

ओली ने अपने राजनीतिक दस्तावेज में कहा कि भारत नेपाल के नए संविधान को समावेशी बनाने की सलाह दे रहा था। नेपाल के नए संविधान में तराई के क्षेत्र में रहने वाले मधेसियों के अधिकारों से समझौता किया। दूसरी तरफ नेपाल का कहना था कि वो संविधान किसी दूसरे देश के दबाव में नहीं बदलेगा। नेपाल के नहीं मानने के बाद अघोषित रूप से आर्थिक नाकाबंदी हुई जोकि छह महीने तक जारी रही। भारत के साथ एक लंबी सीमा साझा करने वाले नेपाल के दक्षिणी मैदान में एक विद्रोह में 50 नेपाली नागरिकों की मौत हो गई।

भारत और चीन का दौरा -

ओली ने कहा कि भारत ने सीधे हस्तक्षेप किया और संविधान को लागू करने से रोकने का प्रयास किया। नाकाबंदी हटाने के बाद ओली ने संबंधों को सामान्य करने के लिए भारत और चीन दोनों का दौरा किया। 2016 में भारत की नाकाबंदी के जवाब में, ओली ने चीन का दौरा किया और पारगमन और परिवहन समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे नेपाल के लिए चीनी भूमि और समुद्री बंदरगाहों के माध्यम से तीसरे देश के व्यापार का मार्ग प्रशस्त हुआ।

भारत की भूमिका हमें स्वीकार्य नहीं

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केपी शर्मा ओली ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूएमएल की स्थायी समिति को कुछ 'राजनीतिक दस्तावेज भेजे थे।इन्हीं दस्तावेजों में उन्होंने इस बात का खुलासा किया है. उन्होंने 19 सितंबर को ये डॉक्यूमेंट्स भेजे थे और इस दिन नेपाल ने अपना सातवां संविधान दिवस मनाया। ओली ने अपने राजनीतिक दस्तावेज में कहा कि नेपाल जैसे संप्रभु राष्ट्र के खिलाफ भारत की भूमिका हमें स्वीकार्य नहीं थी, उस समय भारतीय दबाव जो भी था, वह स्वीकार्य नहीं था।

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