नेपाल : नक्शे पर सांसदों का ओली को झटका
काठमांडू। नेपाल की संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा ने शनिवार को देश के राजनीतिक नक्शे को संशोधित करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। केपी ओली सरकार ने भले ही इस विधेयक को निचले सदन से पारित करा लिया हो लेकिन वह खुद ही पार्टी में इसको लेकर पूरा समर्थन जुटा नहीं पाए। आलम यह रहा है कि प्रतिनिधि सभा की इस महत्वपूर्ण बैठक से 11 सांसद गैरहाजिर रहे।
प्रतिनिधि सभा की इस बैठक में 275 में से 258 सांसदों ने हिस्सा लिया। स्पीकर ऐसे मौकों पर वोट नहीं देते हैं और चार सांसद निलंबित चल रहे हैं। इसके अलावा 11 सांसदों ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया। इसमें 4 सांसद सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी, तीन नेपाली कांग्रेस और 4 अन्य जनता समाजबादी पार्टी के हैं। ओली की पार्टी के जिन सांसदों ने हिस्सा नहीं लिया उनमें गोपाल बहादुर बाम, हरिबोल गजुरेल, धान बहादुर बुधा और शिव कुमार मंडल शामिल हैं। सभी 11 सांसदों ने कोई न कोई बहाना बनाकर बैठक में हिस्सा नहीं लिया।
ओली सरकार ने 22 मई को इस विधेयक को संसद में सूचीबद्ध कराया था और विधि, न्याय एवं संसदीय कार्य मंत्री शिवामाया तुम्बाहाम्फे ने 24 मई को इसे सदन में पेश किया था। संसद ने नौ जून को आम सहमति से इस विधेयक के प्रस्ताव पर विचार करने पर सहमति जताई थी जिससे भारत के साथ सीमा विवाद के बीच नए नक्शे को मंजूर किये जाने का रास्ता साफ हुआ। विधेयक को नैशनल असेंबली में भेजा जाएगा, जहां उसे एक बार फिर इसी प्रक्रिया से होकर गुजरना होगा। सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के पास नैशनल असेंबली में दो तिहाई बहुमत है
नैशनल असेंबली को विधेयक के प्रावधानों में संशोधन प्रस्ताव, अगर कोई हो तो, लाने के लिये सांसदों को 72 घंटे का वक्त देना होगा। नैशनल असेंबली से विधेयक के पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद इसे संविधान में शामिल किया जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद नए नक्शे का सभी आधिकारिक दस्तावेजों में इस्तेमाल होगा। एक कैबिनेट बैठक में 18 मई को नए राजनीतिक नक्शे का अनुमोदन किया गया था। सरकार ने बुधवार को विशेषज्ञों की एक नौ सदस्यीय समिति बनाई थी जो इलाके से संबंधित ऐतिहासिक तथ्य और साक्ष्यों को जुटाएगी।
कूटनीतिज्ञों और विशेषज्ञों ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाते हुए कहा कि नक्शे को जब मंत्रिमंडल ने पहले ही मंजूर कर जारी कर दिया है तो फिर विशेषज्ञों के इस कार्यबल का गठन किस लिए किया गया? भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में उस वक्त तनाव दिखा जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचुला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया। नेपाल ने इस सड़क के उद्घाटन पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि यह सड़क नेपाली क्षेत्र से होकर गुजरती है। भारत ने नेपाल के दावों को खारिज करते हुए दोहराया कि यह सड़क पूरी तरह उसके भूभाग में स्थित है।