एफएटीएफ के आगे झुका पाक, भारत पर निशाना
इस्लामाबाद। आतंकवादियों को पाल-पोषकर बड़ा करने वाले पाकिस्तान की सीनेट को गुरुवार को आर्थिक कार्रवाई कार्यबल के दबाव के आगे झुकना पड़ा। सीनेट ने एफएटीएफ की ओर से तय की गई सख्त शर्तों से संबंधित दो विधेयकों को गुरुवार को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इससे एक दिन पहले ही इन विधेयकों को नैशनल असम्बेली में विपक्ष के मुखर विरोध के बावजूद बुधवार को पारित करा लिया गया था। इस दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि इन विधेयकों के पारित होने से भारत के मंसूबों पर पानी फिर गया है।
कुरैशी ने कहा, 'सीनेट ने दो विधेयकों को पारित करके भारत के मंसूबों पर पानी फेर दिया है जो चाहता है कि पाकिस्तान एफएटीएफ की ओर से ब्लैकलिस्ट कर दिया जाए।' उन्होंने कहा, 'हम पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाए जाने का प्रयास कर रहे हैं।' इससे पहले संसदीय मामलों पर प्रधानमंत्री के सलाहकार बाबर अवान ने आतंकवाद रोधी (संशोधन) विधेयक 2020 और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (संशोधन) विधेयक 2020 को सदन के पटल पर रखा।
विधेयकों में संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में निर्दिष्ट संस्थाओं और व्यक्तियों की संपत्ति को पर रोक लगाना और जब्त करना, यात्रा पर और हथियार रखने पर रोक लगाना तथा आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले लोगों के लिए भारी जुर्माना और लंबी अवधि की जेल के उपाय शामिल हैं। नैशनल असेंबली की ओर से बुधवार को पारित किए गए दो विधेयक पेरिस स्थित एफएटीएफ की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, जिसने जून 2016 में धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगाने के लिए पाकिस्तान की विधिक व्यवस्था को सुधारने के लिए 27 सूची योजना लागू कराने के लिए अपनी 'ग्रे लिस्ट' में डाल दिया था।
ये विधेयक पाकिस्तान के एफएटीएफ की 'ग्रे लिस्ट' से 'वाइट लिस्ट' में जाने के प्रयासों का हिस्सा हैं। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने विधेयकों को मंजूरी देने के लिए सीनेट के सदस्यों को धन्यवाद दिया और विश्वास व्यक्त किया कि इस कानून के बाद, पाकिस्तान एफएटीएफ की 'ग्रे सूची' से बाहर आ जाएगा। कानून मंत्री फारूक नसीम ने अपने वीडियो संदेश में सीनेट में विधेयकों के पारित होने को लेकर देश को बधाई दी। उन्होंने कहा, 'यह कानून हमें एफएटीएफ की समय सीमा को पूरा करने में मदद करेगा।' अधिकारियों के अनुसार, छह अगस्त तक एफएटीएफ को एक कार्यान्वयन रिपोर्ट सौंपी जाएगी।
बता दें कि कोरोना महासंकट के बीच पाकिस्तान ने पिछले दिनों खुद को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ग्रे सूची से हटाए जाने के लिए बड़ा दांव चला था। पाकिस्तान ने पिछले 18 महीने में निगरानी सूची से हजारों आतंकवादियों के नाम को हटा दिया है। इस लिस्ट में वर्ष 2018 में कुल 7600 नाम थे लेकिन पिछले 18 महीने में इसकी संख्या को घटाकर अब 3800 कर दिया गया है। यही नहीं इस साल मार्च महीने की शुरुआत से लेकर अब तक 1800 नामों को लिस्ट से हटाया गया है। इसमें कई खूंखार आतंकवादी शामिल हैं।