पाकिस्तान ने पुलवामा हमला कराना स्वीकार्य किया, मंत्री फवाद चौधरी के बिगड़े बोल

पाकिस्तान ने पुलवामा हमला कराना स्वीकार्य किया, मंत्री फवाद चौधरी के बिगड़े बोल
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इस्लामाबाद। जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान के नापाक मंसूबे किसी से छिपे हुए नहीं है। लेकिन, वह दुनिया के सामने आतंकवाद प्रायोजित करने से खुद का हमेशा नकारता रहा है। लेकिन, अब उसके मंत्री ने ही पुलवामा हमले को लेकर जो बयान दिया है उससे दुनिया के सामने एक बार फिर पाकिस्तान का असली चेहरा आ गया है।

पाकिस्तान के मंत्री फवाद चौधरी ने संसद में गुरुवार को बयान देते हुए कहा कि पुलवामा में हमला इमरान खान के नेतृत्व में पाकिस्तान की बड़ी कामयाबी है। फवाद चौधरी के इस बयान से पाकिस्तान सरकार की दुनिया के सामने मुश्किलें और बढ़ सकती है।

गौरतलब है कि एक दिन पहले कि पाकिस्तान के एक सांसद एयाज सादिक ने संसद में बयान देते हुए कहा कि था भारतीय विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को भारत के दबाव में आकर छोड़ा गया। उन्होंने कहा कि जब विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि भारत रात 9 बजे पाकिस्तान के ऊपर हमला करने वाला है, इसके बाद मीटिंग में आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा के माथे पर आ गए थे और उनके पैर कांप रहे थे। एयाज सादिक के इस बयान के बाद पाकिस्तान में बवाल मचा हुआ है।

सांसद एयाज सादिक ने कहा कि भारतीय विंग कमांडर अभिनंदन को लेकर बुलाई गई बैठक में खुद पीएम इमरान खान ने आने से इनकार कर दिया था। उसमें आर्मी चीफ आए तो लेकिन उनके पैर कांप रहे थे और माथे पर पसीना था। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि अगर अभिनंदन को सीमा पार नहीं जाने देंगे तो भारत रात 9 बजे पाकिस्तान पर हमला कर देगा।

एयाज सादिक ने कहा- "कुलभूषण के लिए हम अध्यादेश लेकर नहीं आए थे। इस सरकार ने एक-दो महीने अध्यादेश छिपाकर रखा। हमने इस्लामाबाद हाई कोर्ट में इतनी एक्सेस नहीं दी थी जितनी इस सरकार ने। उन्होंने आगे कहा- "मुझे याद है शाह महमूद साहब उसे मीटिंग में थे, जिसमें प्रधानमंत्री साहब ने आने से इनकार कर दिया। चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ आए लेकिन उनके पैर कांप रहे थे और पसीने माथे पर थे।"

सादिक ने आगे कहा- "विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी साहब ने इस मीटिंग के दौरान कहा कि खुदा का वास्ता है कि अभिनंदन को वापस भारत जाने दें, क्योंकि 9 बजे रात को हिन्दुस्तान पाकिस्तान के ऊपर हमला कर रहा है।" उन्होंने कहा कि कोई हिन्दुस्तान को कोई हमला नहीं करना था, बल्कि इन्होंने घुटने टेंक कर वापस अभिनंदन को भेजना था। जो इन्होंने किया।

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