इस्लामाबाद: चाइनीज कॉल सेंटर से लैपटॉप के साथ-साथ फर्नीचर भी लूट ले गए पाकिस्तानी, सामने आए वीडियो…

इस्लामाबाद: पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में एक चाइनीज कॉल सेंटर पर हमले का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में दर्जनों लोग कॉल सेंटर में घुसकर लूटपाट करते हुए नजर आ रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, लुटेरों ने सैकड़ों लैपटॉप, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के साथ-साथ फर्नीचर और कटलरी तक चुरा ली।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
इससे पहले भी पाकिस्तान में चीनी कंपनियों के कॉल सेंटर्स को निशाना बनाया जा चुका है। 21 सितंबर 2024 को इसी तरह की एक घटना इस्लामाबाद में हुई थी, जिसमें सशस्त्र लुटेरों ने एक चीनी नागरिक के स्वामित्व वाले कॉल सेंटर पर हमला कर 130 लैपटॉप और अन्य कीमती सामान लूट लिया था।
पाकिस्तान में चाइना के निवेश से बढ़ती आर्थिक समस्याएं
पाकिस्तान में चाइनीज कंपनियों का बढ़ता निवेश का एक बड़ा हिस्सा चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के तहत आता है, जो कि 2015 में शुरू हुई एक महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर और आर्थिक विकास परियोजना है। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान में विकास को बढ़ावा देना था, लेकिन हाल की घटनाओं से यह साफ है कि चीनी कंपनियां यहां बढ़ते असुरक्षा के माहौल का सामना कर रही हैं।
देश में बढ़ती बेरोजगारी और आर्थिक संकट भी इस तरह की लूटपाट की घटनाओं के लिए जिम्मेदार माने जा रहे हैं। पाकिस्तान में बेरोजगारी दर पिछले एक दशक में 1.5% से बढ़कर 7% हो गई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक यह दर बढ़कर 7.5% तक पहुंच सकती है।
बढ़ती महंगाई और आर्थिक अस्थिरता
पाकिस्तान में महंगाई दर पिछले कुछ वर्षों से लगातार उच्च स्तर पर बनी हुई थी, हालांकि फरवरी 2025 में यह घटकर 1.5% हो गई। लेकिन इसके बावजूद देश की अर्थव्यवस्था अस्थिर बनी हुई है।
बेलगाम होती असुरक्षा: जाफर एक्सप्रेस हाईजैकिंग
हाल ही में पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में तब आया जब बलूच राष्ट्रवादियों ने जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक कर लिया और 200 से अधिक यात्रियों को बंधक बना लिया, जिनमें नागरिकों के साथ-साथ सैनिक भी शामिल थे।
इन घटनाओं ने पाकिस्तान में बढ़ती असुरक्षा और बिगड़ती आर्थिक स्थिति को उजागर किया है। चीनी कंपनियों पर हमलों की बढ़ती संख्या के कारण पाकिस्तान में विदेशी निवेशकों की चिंता भी बढ़ रही है, जो पहले से ही देश की डगमगाती अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बना हुआ है।