मीथेन गैस उत्सर्जन: गायों की डकार पर टैक्स, पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार ने लिया फैसला

गायों की डकार पर टैक्स, पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार ने लिया फैसला
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गायों की डकार पर टैक्स

दुनिया भर के देश इस समय जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभाव का सामना कर रहे हैं। कई समझौते किए गए हैं जिनका उद्देश्य पर्यावरण में मौजूद ग्रीन हाउस गैस को कम करना है। कई देश अपने स्तर पर भी ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन को लिमिट करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी कड़ी में एक अनोखा मामला सामने आया है। एक देश ने पर्यावरण समस्याओं से निपटने से लिए गायों की डकार पर ही टैक्स लगा दिया है।

दरअसल डेनमार्क में गायों की डकार पर टैक्स लगा दिया गया है। इसी के साथ डेनमार्क गाय की डकार पर टैक्स लगाने वाला पहला यूरोपीय देश बन चुका है। वहां किसानों और सरकार ने इस पर एक समझौता किया है। समझौते के तहत गायों की डकार पर अब सरकार टैक्स वसूलेगी।

गाय की डकार से क्या परेशानी :

बता दें कि, जुबली करने पर गाय डकार के रूप में मीथेन मुंह से बाहर निकालती है। वैज्ञानिकों के अनुसार, पर्यावरण के लिए मीथेन गैस, कार्बन डाई ऑक्साइड से ज्यादा खतरनाक है। इसी को देखते हुए डेनमार्क की सरकार ने इस पर टैक्स लगाने का फैसला किया है।

डेनमार्क में एक टन मीथेन गैस के लिए सालाना 40 यूरो टैक्स देना होगा। सरकार का कहना है कि, किसानों को अपने फ़ार्म पर्यावरण के अनुकूल बनाने होंगे। इस मामले में डेनमार्क के कृषि मंत्री याकोब यानसन का कहना है कि, कृषि भूमि का कुछ हिस्सा लेकर अधिक जंगल बसाए जाने की भी जरूरत है।

यहां के किसानों का कहना है कि, हम आम लोगों को परेशान नहीं करना चाहते न ही हम ट्रैक्टर लेकर सड़कों पर प्रदर्शन करना चाहते हैं। जिस एग्रीमेंट के तहत गायों की डकार पर टैक्स लगाया गया है उसमें किसान, सरकार और पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था शामिल है।

डेनमार्क के इस फैसले की चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि, आम तौर पर किसानों से जुड़े मुद्दे पर जरा सा भी परिवर्तन करने पर सरकारों को प्रदर्शन का सामना करना पड़ता है। हालांकि डेनमार्क में स्थिति अलग है यहां के किसान अपनी गाय के डकार लेने पर टैक्स देने को तैयार हैं।

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