UN : आतंकवाद का केंद्र है पाकिस्तान, इंटरनेशनल आतंकी भी ले रहे पनाह टीएस तिरुमू्र्ति
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को एक बार फिर से आड़े हाथों लिया है। टीएस त्रिमूर्ति ने पाकिस्तान को आतंकवाद का केंद्र बताया और कहा कि यह सर्वविदित है कि पाकिस्तान आतंकियों का गढ़ है। सबसे अधिक संख्या में लिस्टेड आतंकी का घर है पाकिस्तान। पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकी करार दिए गए जमात उद दावा, लश्कर-ए-तैयबा, हिज्बुल मुजाहिद्दीन और जैश-ए-मोहम्मद के अलावा कई गुटों का ठिकाना है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने संयुक्त राष्ट्र यानी यूएन की उस रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें विदेशी आतंकवादी हमलों में पाकिस्तान की भागीदारी को दोहराया गया है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में विदेश में आतंकवादी हमलों में पाक की भागीदारी को दोहराया। हालिया रिपोर्ट में, विश्लेषणात्मक सहायता और प्रतिबंधों की निगरानी करने वाली टीम जो आईएसआईएल, अल-कायदा की आतंकवादी गतिविधियों पर समय-समय पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करती है, इसमें पाक की भागीदारी के प्रत्यक्ष संदर्भ हैं।
स्थायी प्रतिनिधि ने कहा, 'इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों के नेतृत्व में हैं। रिपोर्ट में अल-कायदा के नेता के नाम का उल्लेख किया गया है जो पाक का नागरिक है। एक स्पष्ट स्वीकार्यता है कि इन संस्थाओं को नेतृत्व और धन पाक से मिलता है।
टीएस तिरुमूर्ति ने कहा 'मई में जारी एक रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि पाक समर्थित आतंकवादी जैश ए मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा अफगानिस्तान में लगातार आतंकवादियों की बड़ी उपस्थिति बनाए हुए हैं और वहां आतंकवादी हमलों को अंजाम देने में शामिल होते हैं। पाक पीएम ऑन रिकॉर्ड में कह रहे हैं कि पाकिस्तान में करीब 40,000 आतंकी मौजूद हैं।'
उन्होंने आगे कहा कि इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि पाकिस्तानी, आतंकवादी समूहों के नेतृत्व में हैं। रिपोर्ट में अल-कायदा के नेता के नाम का उल्लेख किया गया है जो पाक का नागरिक है। इस तरह से यह स्पष्ट है कि इन संस्थाओं को नेतृत्व और धन पाक से मिलता है।
तिरुमूर्ति ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा द्वीपक्षीय मुद्दे का अतंरराष्ट्रीयकरण किया जाना नई बात नहीं है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने जो कहा है, उसके विपरीत 1965 से भारत-पाक मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की कोई औपचारिक बैठक नहीं हुई है।
उन्होंने आगे कहा हाल ही में जो कुछ सामने आया वह पूरी तरह से अनौपचारिक बैठक थी, जो कि एक रिकॉर्डेड चर्चा भी नहीं है। सुरक्षा परिषद में व्यावहारिक रूप से हर देश, चीन को छोड़कर इस तथ्य को रेखांकित करता है कि यह एक द्विपक्षीय मुद्दा था।