दुनिया अब अगली महामारी के लिए रहें तैयार : डब्ल्यूएचओ

दुनिया अब अगली महामारी के लिए रहें तैयार : डब्ल्यूएचओ
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नई दिल्ली। कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया के स्वरूप को बदलकर रख दिया है। कोरोना महामारी से लाखों लोगों की मौतें हुई हैं और दुनियाभर की अर्थव्यव्था प्रभावित हुई है। अगली महामारी कब आएगी, यह किसी को नहीं पता, मगर उससे पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आगामी माहमारी को लेकर दुनिया भर के नेताओं को चेता दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने 73वें विश्व स्वास्थ्य सभा के दौरान शुक्रवार को विश्व नेताओं से कहा कि वे अगले महामारी की तैयारी करें। विश्व स्वास्थ्य सभा की यह बैठक वर्चुअल हुई थी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने बयान में कहा कि हमें अब अगले महामारी की तैयारी करनी चाहिए। हमने इस साल देखा है कि मजबूत स्वास्थ्य आपातकालीन बुनियादी ढांचे वाले देश कोरोना वायरस वायरस के प्रसार को रोकने और इस पर काबू पाने में तेजी से कार्य करने में सक्षम हैं। डब्ल्यूएचओ ने इस बात को भी हाइलाइट किया कि एक स्थिर दुनिया की नींव तभी संभव है, जब देश कोई स्वास्थ्य सेवाओं पर पर्याप्त ध्यान देगा। अंतरराष्ट्रीय निकाय ने कहा कि कोरोना महामारी एक तरह से रिमाइंडर है, जो हमें याद दिला रहा है कि स्वास्थ्य (हेल्थ) सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता की नींव है।

कोरोना वायरस के प्रसार पर सफलतापूर्वक काबू पाने वाले देशों की सराहना करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि हालांकि यह एक वैश्विक संकट है, मगर कई देशों और शहरों ने व्यापक साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण (एविडें बेस्ड अप्रोच) के साथ सफलतापूर्वक वायरस के प्रसार को रोका है या नियंत्रित किया है। हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने यह भी कहा कि कोविड-19 को 'विज्ञान, समाधान और एकजुटता' के संयोजन से ही निपटाया जा सकता है। '

कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में राष्ट्रों के योगदान पर प्रकाश डालते हुए अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ने कहा कि यह एक अभूतपूर्व घटना है, जहां पूरी दुनिया वैक्सीन की खरीद रणनीतियों को विकसित करने के लिए एक साथ काम कर रही है और साथ मिलकर ही स्वास्थ्य सेवा की समग्र गुणवत्ता में सुधार रही है। बयान में कहा गया है कि कोरोना वैक्सीन को बनाने और उसके ट्रायल के विकास में तेजी लाने की योजना में पूरी दुनिया ने साथ मिलकर काम किया है, मगर अब हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि जब वैक्सीन बनकर दुनिया में आ जाए तो समानता के आधार पर सभी देशों के लिए भी यह उपलब्ध हो।

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