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वायुसेना के हेलीकॉप्टर में आई तकनीकी खराबी, लद्दाख में इमरजेंसी लैंडिंग
श्रीनगर। भारतीय वायु सेना के एक अपाचे हेलीकॉप्टर ने 3 अप्रैल को परिचालन प्रशिक्षण उड़ान के दौरान लद्दाख में एहतियाती लैंडिंग की। हालांकि दोनों पायलट सुरक्षित हैं और उन्हें निकटतम एयरबेस पर ले जाया गया। लैंडिंग की प्रक्रिया के दौरान उतार-चढ़ाव वाले इलाके और उच्च ऊंचाई के कारण हेलीकॉप्टर को क्षति पहुंची है। तकनीकी कारणों का पता लगाने के लिए कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का आदेश दिया गया है।
वायु सेना के बेड़े में शामिल 22 अपाचे हेलीकॉप्टरों के लिए सितम्बर, 2015 में अमेरिकी सरकार और बोइंग लिमिटेड के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किये गए थे। यह शक्तिशाली और भारी हथियार ले जाने में सक्षम होने के बावजूद वजन में भारी होने की वजह से उच्च ऊंचाई वाले इलाकों में पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाते हैं। इसी वजह से हर 1-2 महीने में कुछ तकनीकी समस्याओं के चलते अपाचे हेलीकॉप्टर की आपातकालीन या एहतियाती लैंडिंग कराने की नौबत आई हैं। यही वजह है कि बुधवार को एहतियाती लैंडिंग की प्रक्रिया के दौरान उतार-चढ़ाव वाले इलाके और उच्च ऊंचाई के कारण हेलीकॉप्टर को क्षति हुई है।
यहां तक कि अमेरिकी वायु सेना ने पिछले 1 वर्षों में 12-13 अपाचे खो दिए हैं और दुनिया भर में इस्तेमाल करने वाली अन्य वायु सेनाओं के इससे अधिक अपाचे दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं। अमेरिका में एक वर्ष के भीतर अपाचे हेलीकॉप्टरों को कई बार ग्राउंडेड किया गया है। अमेरिकी हेलीकॉप्टर अपाचे का एएच-64ई (आई) मॉडल भारतीय वायु सेना की उच्च ऊंचाई वाली आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है। वायु सेना ने पठानकोट एयरबेस पर और भारतीय सेना ने जोधपुर में अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की स्क्वाड्रन स्थापित की है।
अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर फ्लाइंग रेंज 550 किलोमीटर में 16 एंटी टैंक मिसाइल दागकर उसके परखच्चे उड़ा सकता है। इसे दुश्मन पर बाज की तरह हमला करके सुरक्षित निकल जाने के लिए बनाया गया है। हेलीकॉप्टर के नीचे लगी बंदूकों से 30 एमएम की 1,200 गोलियां एक बार में भरी जा सकती हैं। अपाचे एक बार में 2:45 घंटे तक उड़ान भर सकता है। जमीन से खतरों के साथ शत्रुतापूर्ण हवाई ऑपरेशन में हर मौसम और रात में लड़ने की क्षमता है।