Kanchan Ugursendi: लिपुलेख दर्रा पर पहुंचने वाली पहली बाइकर बनीं झारखंड की कंचन उगुरसेंडी, जॉन अब्राहम को कराई थी सैर

Kanchan Ugursendi First Biker To Reach Lipulekh Pass
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Kanchan Ugursendi First Biker To Reach Lipulekh Pass

Kanchan Ugursendi First Biker To Reach Lipulekh Pass : रांची। झारखंड की कंचन उगुरसेंडी ने भारत-चीन सीमा पर 17,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित लिपुलेख दर्रे को पार करने वाली पहली बाइकर बनकर कीर्तिमान स्थापित किया है। इतना ही उनकी बाइक पीछे बैठकर बॉलीवुड एक्टर जॉन अब्राहम भी सैर कर चुके है। इससे तीन साल पहले 19024 फीट पर बनी दुनिया की सबसे ऊंची सड़क उमलिंगला पास पर पहुंचकर उन्होंने नया रिकॉर्ड बनाया था।

दो बार लौटना पड़ा वापिस

यह चुनौतीपूर्ण यात्रा 32 वर्षीय आदिवासी कंचन ने दिल्ली शुरू की थी, जो उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से होते हुए लिपुलेख दर्रे तक पहुंची। इस दौरान कंचन को काफी टेढ़े मेढ़े और ऊंचाई वाले रास्तों का सामना करना पड़ा। अपनी यात्रा को लेकर कंचन ने कहा, पिछले दो वर्षों से मैं लिपुलेख तक पहुंचने का प्रयास कर रही हूं, लेकिन धारचूला के पास भूस्खलन के कारण मुझे दो बार वापस लौटना पड़ा। इस बार, मैं अपने तीसरे प्रयास में आखिरकार सफल हुई।

दिवाली के दिन किया फतह

झारखंड के सरायकेला के बिदरी गांव की आदिवासी गर्ल कंचन उगुरसेंडी ने बताया कि सबसे कठिन चढ़ाई वाले रास्ते पर स्थित लिपुलेख पर सेना की गाड़ियों के अलावा कोई नहीं पहुंच पाता। इतनी ठंडी और तेज हवाएं चलती हैं कि बाइक आगे ही नहीं बढ़ती। यात्रा के दौरान मैं चक्कर व उल्टी से परेशान रहीं। यात्रा के दौरान मैं कई बार गिरी लेकिन मैंने अपना हौसला नहीं टूटने दिया और अंतत दिवाली के एक दिन पहले 30 अक्टूबर को लिपुलेख फतह कर लिया।

हिमालय के इन दर्रों की कर चुकी चढ़ाई

कंचन ने अब तक हिमालय में स्थित 22 दर्रों की चढ़ाई पूरी कर ली है। इसके साथ ही उन्होंने गुजरात, राजस्थान, पंजाब, जम्मू, कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल और उत्तराखंड के सभी बॉर्डर के जीरो पॉइंट्स पर अपनी मोटरसाइकिल से यात्रा की है। उनका मुख्य उद्देश्य बॉर्डर पर तैनात जवानों का हौसला बढ़ाना और महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देना है। कंचन को 'बॉर्डर गर्ल' के नाम से जाना जाता है। कच्छ, गुजरात से लेकर राजस्थान के रेगिस्तानी बॉर्डर तक, उन्होंने अपनी बाइक चलाकर सभी को प्रभावित किया है। चाहे लद्दाख में माइनस 40 डिग्री की ठंड हो या रेगिस्तान में 45 डिग्री का गर्म मौसम, कंचन हर चुनौती का सामना करते हुए मोटरसाइकिल चलाती हैं।

लिपुलेख दर्रे का महत्व

लिपुलेख दर्रे का सामरिक और धार्मिक महत्व है। यह भारत-चीन-नेपाल के त्रिजंक्शन पर स्थित है। चीन ने कई साल पहले अपनी तरफ सड़क बना ली थी, और लिपुलेख नेपाल की सीमा से सटा हुआ है, इसलिए इसे लेकर अक्सर सीमा विवाद उत्पन्न होता रहता है। हाल ही में, रक्षा मंत्रालय के अधीन सीमा सड़क संगठन द्वारा यहां सड़क का निर्माण किया गया है। कैलाश पर्वत यहां से मात्र 42 किमी दूर है, और यदि चीन सीमा खोल देता है, तो भारतीय तीर्थयात्री आसानी से यहां पहुंच सकेंगे। इस संदर्भ में कंचन ने प्रधानमंत्री से अपील भी की है।

रोक-टोक के बाद भी बनी बाइकर

कंचन ने बताया कि, वो झारखंड के सरायकेला-खरसावां की रहने वाली है। गांव में पहले बाइक चलाने पर लोगों ने टोकते थे, लेकिन उन्होंने अपने साहस से सभी को चकित कर दिया है। कैलाश मानसरोवर रोड पर अपनी मोटरसाइकिल से यात्रा कर उन्होंने नया कीर्तिमान स्थापित किया है।

जॉन अब्राहम को करा चुकी सैर

फिल्म अभिनेता जॉन अब्राहम खुद एक बाइक लवर है। वो पिछले साल जून में कंचन की बाइक पर पीछे बैठे थे। उन्होंने कंचन की बाइक और हेलमेट पर ऑटोग्राफ भी दिए और उनके साथ बाइक राइड का आनंद लिया। कंचन ने बताया कि, उन्हें अब इंडियन कैकेट टीम के कूल कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी के साथ बाइक पर घूमने की इच्छा है।

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