ओंकारेश्वर में बनकर तैयार हुई आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा, 18 सितंबर को मुख्यमंत्री शिवराज करेंगे अनावरण
खंडवा। मप्र का खंडवा जिला अध्यात्म और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद अहम शहर है। यहां 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर स्थित है, जहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते है। शिवराज सरकार इस क्षेत्र को अद्वैत वेदांत के वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित कर रही है। मुख्यमंत्री आगामी 18 सितंबर को यहां आचार्य शंकर की 108 फीट ऊंची बहुधातु प्रतिमा 'स्टेच्यू ऑफ वननेस का अनावरण करेंगे।
प्रतिमा के अनावरण का कार्यक्रम ओंकारेश्ववर में मान्धाता पर्वत पर देश के के विख्यात साधु-संतों द्वारा वैदिक रीति से पूजन 14 सितम्बर से शुरू हो गया है। इसी कड़ी में 15 से 17 सितंबर तक हवन -पूजन किया जाएगा। 18 सितंबर को प्रतिमा का अनावरण होगा। 19 सितम्बर को सिद्धवरकूट में संत समागम होगा और ओंकारेश्वर में 20 सितम्बर को अनावरण कार्यक्रम का समापन किया जायेगा।
आदि शकंराचार्य का गुरु स्थान -
आदि शंकराचार्य के जीवन में ओंकारेश्वर का विशेष महत्व है। ये स्थान उनका दीक्षा स्थल है, जहां वे 8 वर्ष की उम्र में अपने गुरु को खोजते हुए केरल से आये थे और यहां गुरु गोविंद भगवत्पाद से दीक्षा ली। यहीं से उन्होंने फिर पूरे भारतवर्ष का भ्रमण कर सनातन की चेतना जगाई। इसलिए ओंकारेश्वर के मान्धाता पर्वत यह 108 फीट ऊंची बहुधातु की प्रतिमा है जिसमें आदि शंकराचार्य जी बाल स्वरूप में है।
प्रतिमा की खासियत -
आदि शंकराचार्य की प्रतिमा के लिए साल 2017-18 में संपूर्ण मध्य प्रदेश में एकात्म यात्रा निकाली गई थी .जिसके माध्यम से 27 हजार ग्राम पंचायतों से मूर्ति निर्माण के लिए धातु संग्रहण और जनजागरण का अभियान चलाया गया था। यह शंकराचार्य की विश्व में सबसे ऊँची प्रतिमा होगी।
आकर्षण का केंद्र -
- यहां पर जो मंदिर बनाया जा रहा है वह पूरी तरह से भारतीय स्थापत्य शैली में निर्मित हो रहा है।
- यहां 36 हेक्टेयर में अद्वैत वन भी विकसित किया जा रहा है।
- यहां पर आचार्य शंकर के जीवन और सनातन दर्शन करने वाला एक संग्रहालय भी तैयार होगा
- लेजर लाइट और वॉटर साउंड शो के जरिए आचार्य शंकर के जीवन पर फिल्म दिखाई जाएगी।
- अन्नक्षेत्र, व्याख्या केंद्र, नर्मदा विहार, शंकर कलाग्राम जैसी चीज प्रमुख आकर्षण का केंद्र रहेंगी।
- विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, दर्शन और कला पर केंद्रित कर शोध केंद्रों के साथ ग्रंथालय, पारंपरिक गुरुकुल और विस्तार केंद्र भी बनाया जाएगा।