राजस्थान सरकार का दोहरा रवैया : एक ओर वैक्सीन ना मिलने का आरोप, दूसरी ओर बर्बादी

राजस्थान सरकार का दोहरा रवैया : एक ओर वैक्सीन ना मिलने का आरोप, दूसरी ओर बर्बादी
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जयपुर। राजस्थान में वैक्सीन की बर्बादी का मुद्दा बढ़ता तेज होता जा रहा है। राज्य सरकार जहां एक ओर केंद्र पर वैक्सीन ना देने का आरोप लगा रही है। वहीँ दूसरी ओर स्वास्थ्य केंद्रों के डस्टबिनों से वैक्सीन की वायल मिल रही है। हिन्दी समाचार पत्र भास्कर में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार 8 जिलों के 35 वैक्सीनेशन सेंटरों पर 500 वायल डस्टबिन में मिली हैं, जिनमें करीब 2,500 से भी ज्यादा डोज हैं।जोकि एक हँभीर मामला है।

बता दें की वैक्सीन के एक वायल में 10 डोज होते है। जो वायल डस्टबिनों में मिले है, वे 20 से 75 फीसदी भरे हुए है। वैक्सीन की बर्बादी को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में 16 जनवरी से 17 मई के बीच 11 लाख से अधिक वैक्सीन डोज बर्बाद हुए है। केंद्र ने अप्रैल में 7% और 26 मई को 3% डोज बर्बाद होने का दावा किया है, वहीँ राज्य सरकार 2 फीसदी डोज बर्बाद होने की बात कह रही है।

भाजपा ने उठाए सवाल -

टीकों की इस बर्बादी पर भारतीय जनता पार्टी ने गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भाजपा नेता अमित मालवीय ने सवाल उठाते हुए कहा की राजस्थान में कोरोना के टीके कचरे के डिब्बों में फेंके जा रहे हैं। एक तरफ राहुल गांधी वैक्सीन को लेकर रोज नसीहत देते हैं, दूसरी तरफ कांग्रेस की सरकारों में टीके बर्बाद किए जा रहें हैं। झारखंड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान इसकी मिसाल हैं। कांग्रेस कोविड के खिलाफ लड़ाई को कमजोर कर रही है।


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