मध्य प्रदेश का 69वां स्थापना दिवस: उद्योगिक विकास और निवेश की स्थिति, भविष्य के लिए कितना तैयार हुआ मध्य प्रदेश?
डॉ. दीपक राय, रिसर्च राइटर, भोपाल: आज मध्य प्रदेश का 69वां स्थापना दिवस है। इतने वर्षों में राज्य कितने आगे बढ़ा है? 13 दिसंबर 2023 को शपथ लेेने वाले सीएम डॉ. मोहन यादव एक महीने 12 दिन बाद एक वर्ष का कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता के दिनों को छोड़ दें तो उन्हें काम करने के लिए सवा सात महीने मिले हैं।
इस दौरान 5 रीजनल इन्वेस्टर्स समिट (आरआईसी) और 4 बड़े महानगरों में 'इन्वेस्टमेंट अर्पोच्यूनिटीज इन मध्यप्रदेश' इन्टरैक्टिव सेशन, रोड शो कर चुके हैं। वे अब मध्य प्रदेश को 'फ्यूचर रेडी प्रदेश' बनाना चाहते हैं।
यूं तो मध्य प्रदेश में वर्ष 2007 से इन्वेस्टर्स समिट की पहल शुरू हुई। वर्ष 2023 तक हुईं 6 समिट इंदौर और खजुराहो में हुई। वर्ष 2018 में डेढ़ वर्ष के लिए बनी कांग्रेस सरकार में सीएम कमल नाथ ने 'मैग्निफिशेंट एमपी' भी इंदौर में ही आयोजित की। लेकिन वर्तमान सीएम डॉ. मोहन यादव 'रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव'(आरआईसी) का नवाचार प्रदेश के सभी संभागों में कर रहे हैं।
देश महानगरों में जाकर इन्वेस्टर्स सत्र करके निवेशकों को फ्यूचर रेडी मध्य प्रदेश का नक्शा दिखा रहे हैं। इसका परिणाम यह हुआ है कि देश—दुनिया के उद्योगपति आरआईसी में शामिल होने रीवा, जबलपुर, उज्जैन, सागर, ग्वालियर तक पहुंच गए।
इन स्थानों में हजारों करोड़ों के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। रीवा आरआईसी में खास बात दिखी है। चूंकि यह इलाका उत्तर प्रदेश की बॉर्डर पर स्थित है, इस कारण यूपी के छोटे व्यापारियों ने भी विंध्य क्षेत्र में निवेश की इच्छा जताई। छोटे निवेश के दो बड़े फायदे हैं। एक— स्थानीय जरूरत के हिसाब से उद्योग स्थापित होंगे। दूसरा— स्थानीय नागरिकों को रोजगार मिलेगा। वहीं, अब प्रदेश के बाहर तमिलनाडु के कोयंबटूर में निवेश कार्यालय खोला गया है।
फरवरी 2025 को इंदौर में प्रस्तावित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के पहले ही महज 11 महीनों में 2 लाख 75 हजार करोड़ रुपए के निवेश अनुबंध और 3 लाख 53 हजार से अधिक रोजगार सृजन होना अभूतपूर्व उपलब्धि है। प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। पिछले आंकड़ों को देखें तो वर्ष 2007 से 2023 तक इन्वेस्टर्स समिट में निवेश के लिए 13,388 प्रस्ताव मिले, जिनमें 30,13,041.607 करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा हुई, लेकिन महज 3,47,891.4039 करोड़ रुपए का निवेश ही हो पाया। जिस गति से निवेश के प्रस्ताव आए थे, उस रफ्तार से उद्योग स्थापित नहीं हो पाये। लेकिन डॉ. मोहन यादव सरकार ने निवेश के लिए जो पहल की है, उसके विश्लेषण से पता चलता है कि 2 अक्टूबर 2024 को हुई आरआईसी उज्जैन में 12 देशों के 4 हजार निवेशक प्रतिनिधियों ने 10 हजार 64 करोड़ रुपये निवेश का प्रस्ताव दिया।
283 बड़ी और एमएसएमई इकाइयों को 12 हजार 170 करोड़ से अधिक निवेश के लिए भूमि आवंटन आदेश भी प्रदान किये। इतने आवंटन पत्र देना भी एमपी में पहली बार हुआ। 13 जुलाई 2024 को इन्वेस्ट एमपी-इंटरेक्टिव सत्र मुंबई में उद्योगपतियों से एमपी में निवेश के लिए संवाद, 20 जुलाई को आरआईसी जबलपुर में 17000 करोड़ रुपए के निवेश, 25 जुलाई को इन्वेस्ट एमपी-इंटरेक्टिव सत्र कोयंबटूर में 3500 करोड़ रुपए, 8 अगस्त के इन्वेस्ट एमपी-इंटरेक्टिव सत्र बेंगलुरू में 3200 करोड़, 28 अगस्त को आरआईसी ग्वालियर में 8 हजार करोड़, 20 सितंबर को इन्वेस्ट एमपी-इंटरेक्टिव सत्र कोलकाता में करीब 19 हजार 270 करोड़ रुपये, आरआईसी सागर 23 हजार 181 करोड़ रुपये और 23 अक्टूबर 2024 को आरआईसी रीवा में 30,814 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं।
इस बीच, भोपाल में 18 अक्टूबर को माईनिंग कॉन्क्लेव हुई, जिसमें 19,650 करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए। इन सभी समिट से 11 महीने की डॉ. मोहन यादव सरकार ने 2 लाख 75 हजार करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। जिनसे 3 लाख 53 हजार से अधिक रोजगार सृजित हो सकेंगे। देश का एकमात्र हीरा का बड़ा उत्पादक मध्य प्रदेश अब सोना की खोज और एआई, स्पेस टेक्नोलॉजी के निवेश की पहल कर रहा है।
डॉ. मोहन यादव सरकार की 'निवेश का नवाचार' वाली पहल के बाद अब फरवरी में प्रस्तावित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से कितना निवेश आएगा, यह वक्त के गर्भ में है। लेकिन अब तक निवेश के प्रयास सकारात्मक परिणामों की ओर इशारा कर रहे हैं।