कोरोना संकट पर 93% देशवासियों को भरोसा, प्रधानमंत्री मोदी हैं तो टेंशन नहीं : सर्वे
नई दिल्ली। कोरोना महामारी के खिलाफ केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर लगातार लड़ाई लड़ रही है। भारत में अभी तक 21 हजार से अधिक कोरोना संक्रमण के मामले आ चुके हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का मानना है कि भारत इस महामारी के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वॉरियर्स की हौसला आफजाई के लिए दो बार जनता से अपील की। उनकी अपील पर लोगों ने 22 मार्च को ताली, थाली, घंटी, शंख बजाए, फिर 5 अप्रैल को रात 9 बजे 9 मिनट के लिए घरों की बत्तियां बंद कर मोमबत्ती, टॉर्च, फ्लैश लाइट जलाए। अब ऐसी खबर आई है जिससे कोरोना के खिलाफ लड़ाई में खुद प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के हौसले को बल मिलेगा, जनता के भरोसे का बल।
ज्ञातव्य है कि मंगलवार को अमेरिकी सर्वे कंपनी मॉर्निंग कंसल्ट ने प्रधानमंत्री मोदी को वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रप्रमुख घोषित किया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने लिखा, 'सच्चाई सबके सामने है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरह से कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपट रहे हैं, भारतीयों की देखभाल कर रहे हैं और ऐसे चुनौतीपूर्ण वक्त में वैश्विक समुदाय को मदद कर रहे हैं, उसकी पूरी दुनिया प्रशंसा कर रही है। हर भारतीय खुद को सुरक्षित महसूस कर रहा है और उनके नेतृत्व पर भरोसा कर रहा है।'
Truth is self evident!
— Amit Shah (@AmitShah) April 23, 2020
Entire world is praising PM @narendramodi, the way he is handling COVID-19 global pandemic, taking care of Indians and helping the world community in such challenging times. Every Indian is feeling safe and trusts his leadership. pic.twitter.com/caq5y8Hjio
कोरोनावायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में पिछले एक महीने में तैयारी का सूचकांक (इंडेक्स ऑफ रेडीनेस) तेजी से बढ़ा है, आत्मसंतुष्टि का सूचकांक नीचे चला गया है, जबकि महामारी से निपटने के लिए सरकारों के प्रयासों में लोगों का विश्वास न केवल ठोस बना हुआ है, बल्कि अप्रूवल (अनुमोदन) रेटिंग में वृद्धि जारी है। आईएएनएस/सी-वोटर के सर्वे में गुरुवार को यह बात सामने आई।
16 मार्च से 20 अप्रैल के बीच किए गए इस सर्वे में इंडेक्स ऑफ रेडीनेस के माध्यम से पता चला है कि आगे की योजना बनाने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है। वह राशन, दवाइयों और इनकी खरीद के लिए अलग से धन रख रहे हैं।
सर्वे में 20 अप्रैल तक 42.9 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने तीन सप्ताह से अधिक समय तक राशन और दवाओं का स्टॉक किया है, जबकि 2 सप्ताह से कम वाले लोगों की संख्या अभी भी 56.9 प्रतिशत से अधिक हैं। हालांकि, 4,718 व्यक्तियों के नमूने के आकार वाले सर्वेक्षण में एक हफ्ते से भी कम समय के लिए तैयारी करने वालों की संख्या केवल 12.1 प्रतिशत है।
16 मार्च को तीन सप्ताह से कम राशन रखने वाले लोगों की संख्या 90 प्रतिशत थी और लगभग तीन सप्ताह से अधिक राशन किसी के पास नहीं था। वहीं, अब विशेष रूप से अप्रैल में लॉकडाउन के विस्तार की घोषणा के बाद के समय लगभग हर दिन यह संख्या बढ़ रही है।
इंडेक्स ऑफ पैनिक की बात करें तो 2० अप्रैल तक के आंकड़े बताते हैं कि 41.1 प्रतिशत उत्तरदाताओं को ऐसा लगाता है कि उनके परिवार में किसी को भी यह महामारी हो सकती है। वहीं, 56.3 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इससे इतर कहा कि उन्हें या उनके परिजनों को यह वायरस प्रभावित नहीं करेगा। सर्वे की शुरुआत में पहले कुल 35.1 प्रतिशत को लगता था कि उन्हें संक्रमण हो सकता है।
ट्रैकर में सबसे कंसिस्टेंट रीडिंग ट्रस्ट इन द गवर्नमेंट इंडेक्स पर आई है। देश में 93.5 फीसदी लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार कोरोनावायरस महामारी के प्रकोप को प्रभावी ढंग से संभाल रही है और इससे अच्छे से निपट लेगी।
केंद्र सरकार ने कोरोनावायरस संक्रमण की रोकथाम के मद्देनजर 25 मार्च को लागू किए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की अवधि को 15 अप्रैल के बाद भी संभावित चुनौतियों को देखते हुए 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया था।
आईएएनएस/सी-वोटर कोविड-19 ट्रैकर (सर्वे) के अनुसार, मोदी सरकार महामारी के प्रकोप की स्थिति को प्रभावी ढंग से संभाल रही है। लॉकडाउन के पहले दिन इस बात को लेकर विश्वास रखने वाले लोगों की कुल संख्या 76.8 प्रतिशत थी, जबकि वर्तमान में 21 अप्रैल तक यह आंकड़ा बढ़कर 93.5 प्रतिशत हो गया है।