Iran Bus Accident: पाकिस्तान से तीर्थ यात्रियों को लेकर जा रही बस ईरान में हुई हादसे का शिकार, 28 लोगों की हुई मौत
Pakistan Bus Accident in Iran: पाकिस्तान से इराक की तरफ़ जा रही तीर्थ यात्रियों से भरी बस हादसे का शिकार हो गई है। इस हादसे में करीब 28 लोगों की मौत हुई है और करीब 23 लोग घायल हैं जिसमें 14 लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है।
एक समाचार एजेंसी के मुताबिक, यह हादसा मंगलवार को मध्य रात में ईरान के यज्द प्रांत में देहशीर-टाफ्ट चौकी के पास हुआ है। बस में 51 लोग सवार थे। सवार सभी तीर्थयात्री अरबईन की याद में इराक जा रहे थे, जो 7वीं शताब्दी में एक शिया संत की मृत्यु के 40वें दिन का प्रतीक है। एक स्थानीय इमरजेंसी सेवा अधिकारी मोहम्मद अली मालेकज़ादेह ने बताया कि दुर्घटना में अन्य 23 लोगों को चोटें आईं, जिनमें से 14 की हालत गंभीर है।
कैसे हुआ हादसा
जानकारी के मुताबिक, यह हादसा बस में ब्रेक न लगने के कारण हुआ है। बस की रफ्तार तेज थी, अचानक बस ड्राइवर ने अपना नियंत्रण खो दिया, स्थानीय अफसर हादसे के बाद मौके पर पहुंचे और घायल यात्रियों को अस्पताल पहुंचाया। अधिकारियों के मुताबिक 23 घायल यात्रियों को अस्पताल में एडमिट किया गया है।
Video: "A tragic accident near Yazd, Iran: A bus carrying Pakistani pilgrims from Larkana overturned, resulting in 35 deaths and 15 injuries, according to Iran's Red Crescent Society. The deceased are reported to be from Larkana. Over 25,000 Pakistanis have entered Iran, heading… pic.twitter.com/x2rW3YnN5H
— Ghulam Abbas Shah (@ghulamabbasshah) August 21, 2024
क्यों जाते हैं पाकिस्तानी शिया इराक
मुस्लिम बाहुल देश पाकिस्तान में शिया समुदाय की जनसंख्या ज्यादा है और हर साल शिया समुदाय के लोग इराक जाते हैं। तीर्थयात्री इराक जाने के लिए ईरान का रास्ता चुनते हैं। कहा जाता है कि इमाम हुसैन की शहादत के 40 वें दिन की याद में होने वाले अनुष्ठान अरबईन में हर साल लाखों शिया कर्बला जाते हैं। इस हादसे ने ईरान के सड़क सुरक्षा मुद्दे को भी फिर से चर्चा में ला दिया है। देश में सड़क हादसों में हर साल औसतन 18,000 मौतें होती हैं।
कौन थे इमाम हुसैन
इमाम हुसैन शिया मान्यता के अनुसार वे यज़ीद प्रथम के कुकर्मी शासन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने के लिए सन् 680 AH में कुफ़ा के निकट कर्बला की लड़ाई में शहीद कर दिए गए थे। इस्लाम धर्म में हुसैन को शहीद का दर्ज़ा प्राप्त है। कहते हैं कि उनकी मौत के याद में मुस्लिम समुदाय मुहर्रम मनाते हैं।