अब मध्यप्रदेश में भी बंद होंगे मदरसे! शिवराज सरकार कर रही विचार

अब मध्यप्रदेश में भी बंद होंगे मदरसे! शिवराज सरकार कर रही विचार
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भोपाल/वेब डेस्क। मदरसों को लेकर असम सरकार के फैसले पर अभी देशभर में चर्चाओं का बाजार ठंडा नहीं हुआ था, कि अब इस मसौदे को अब मध्यप्रदेश सरकार द्वारा अपनाने की बात सामने आ रही है। खबर है, कि प्रदेश की शिवराज सरकार भी राज्य सरकार के अनुदान पर चल रहे मदरसों को लेकर एक बड़ा फैसला ले सकती है। इन मदरसों की जगह सरकार की योजना मॉडल स्कूल खोलने की है। अगर ऐसा होता है, तो यह राज्य सरकार द्वार लिया गया एक बड़ा फैसला साबित हो सकता है। हालांकि अब तक इस तरह की कोई भी योजना धरातल पर नजर नहीं आ रही, लेकिन सूत्रों का दावा है कि सरकार ने इस विषय में विचार शुरू कर दिया है और इसके सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर मंथन जारी है।

मदरसों की जगह खोले जाएंगे मॉडल स्कूल !

सरकार के सूत्रों के मुताबिक, उसकी योजना इन मदरसों को पूरी तरह बंद करने की नहीं है। बल्कि इनकी जगह मॉडल स्कूल की स्थापना की जाएगी। जहां सरकार शिक्षा के लिए एक उचित वातावरण के साथ आधुनिक शिक्षा को भी इसका हिस्सा बनाएगी। इसके साथ ही छात्रों के लिए उर्दू और मुस्लिम धर्म से जुड़े विषय भी पढ़ाए जाएंगे। कुल मिलाकर अगर हम सरकार की संभावित कवायद पर गौर करें, तो वह कहीं न कहीं मुस्लिम वर्ग की शिक्षा के उत्थान से जुड़ी हुई है, बहुत संभव है कि इस तरह के बदलाव छात्रों को रोजगारपरक शिक्षा प्रदान कर सकें। यहां सबसे बड़ी बात यह है, कि मदरसे में कई साल की पढ़ाई के बाद भी छात्रों के पास न तो कोई डिग्री रहती है, और न ही किसी तरह की विशेष स्किल। हालांकि इससे पहले शिवराज सरकार मदरसों में स्किल डवलपमेंट के लिए कई प्रयास कर चुकी है, लेकिन उसके नतीजे सिफर रहे हैं। ऐसे में सरकार की इस कोशिश को एक नवाचार के तौर पर भी देखा जा सकता है।

मदरसों को कितना अनुदान ?

अगर मदरसों पर होने वाले कुल सरकारी खर्च के बारे में बात करें, तो यह अलग अलग मदों में किया जाता है। इसमें पहले मद के अंतर्गत कुल 1685 मदरसे ऐसे हैं जहां प्रति शिक्षक सरकार 6 हजार रुपये मासिक वेतन सरकार प्रदान करती है। अमूमन इन मदरसों में 1 या दो शिक्षक ही कार्यरत है। इस व्यय का 60 प्रतिशत खर्च केंद्र सरकार और 40 प्रतिशत खर्च राज्य सरकार उठाती है। एक जानकारी के मुताबिक इस मद में सरकार का कुल खर्च लगभग 15 करोड़ रुपये सालाना हैं। इसके अलावा प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा लगभग 2600 मदरसों को 50 हजार रुपये सालाना का अनुदान दिया जाता है। तीन साल पहले तक ये राशि 25 हजार रुपये सालाना थी, जिसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दोगुना कर दिया।

मदरसा बोर्ड का दावा, 4 साल से नहीं मिली राशि

इसके अलावा मदरसा बोर्ड का कहना है, कि पिछले 4 सालों ने शिक्षकों के परिश्रमिक के तौर पर मदरसों को सरकार की तरफ से एक भी रुपये नहीं मिला, लगातार दिल्ली स्तर पर इससे जुड़े पत्राचार किए जा रहे हैं, लेकिन इसका कोई हल नहीं निकल सका। इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा दिए जाने वाला अनुदान भी तीन साल पहले सीएम की घोषणा के अनुरूप नहीं मिल सका है, बोर्ड के एक पदाधिकारी ने बताया, कि जिन मदरसा संचालकों की सरकार में अच्छी पैठ होती है सिर्फ उनका पैसा ही जारी किया जाता है। उधर मदरसा में बच्चों को मिलने वाले भोजन की बात करें, तो कोरोना काल से पहले बच्चों को मदरसा में दलिया सरकार की तरफ से मिलता था, लेकिन अब राशन के पैसे सीधे बच्चों तक पहुंचाए जा रहे हैं।

इनकी अपनी बात

शिक्षा को लेकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हमेशा से ही गंभीर रहे हैं, और प्रदेश के बच्चों की भलाई के लिए वह अब तक कई कदम उठा चुके हैं, जो पूरा देश देख रहा हैं। हालांकि जहां तक बात मध्यप्रदेश में मदरसों को बंद करके उनकी जगह मॉडल स्कूल स्थापित करने की है, तो फिलहाल राज्य सरकार और स्कूल शिक्षा विभाग की ऐसी कोई योजना नहीं है। शिवराज सरकार लगातार मदरसों में ही एक व्यवहारिक शिक्षा पद्धति को अमल में लाने पर काम कर रही हैं, हालांकि लगभग डेढ़ साल के लिए कमलनाथ सरकार ने बीजेपी की इस योजना में खलल जरूर डाला, लेकिन हम जल्द ही इस दिशा में आगे बढ़ेंगे।

इंदर सिंह परमार,

स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), मप्र

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