राजनीतिक चर्चा : NCP में अजित पवार का कद कम करने की कवायद और सुप्रिया सुले का भविष्य
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मुंबई/प्रमोद पचौरी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष शरद पवार ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफे की घोषणा करके महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है। हालांकि भाजपा ने इसे राकांपा का अंदरूनी मामला बताया है लेकिन जानकारों का कहना है कि शरद पवार की थाह लेना हर किसी के बस की बात नहीं। यह कहना कि शरद पवार पार्टी से अध्यक्षी छोड़ रहे हैं, जल्दबाजी होगी। बताया जा रहा है कि अध्यक्षी पर दांव लगाकर शरद पवार एक तरह से पार्टी में खुद के वजूद को तौल रहे हैं कि पार्टी में उनका अभी कितना बर्चस्व है। सूत्रों के अनुसार एक दो दिन के राजनीतिक प्रहसन के बाद संभवत: वे फिर से अध्यक्ष पद पर आसीन हो जाएंगे। वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि वे पवार को मना लेंगे।
सूत्रों का कहना है कि शरद पवार इस समय राजनीति के अंतिम पड़ाव पर हैं और भतीजे अजीत पवार की बढ़ती महत्वाकांक्षा ने उनके माथ्ज्ञे पर बल ला दिए हैं। यही कारण है कि शरद पवार ने अभी राष्ट्रीय राजनीति से खुद को अलग करके पार्टी को बचाने और अपनी बेटी सुप्रिया सुले का रास्ता साफ करना उपयुक्त समझा है। इस्तीफे की घोषणा के बाद पार्टी के उत्तराधिकारी पर नजरें लग गईं हैं कि आखिर पवार राजनीति के अंतिम पड़ाव पर क्या कदम उठाते हैं? दरअसल, पिछले कुछ दिनों से उनके भतीजे और राकांपा के दूसरे कद्दावर नेता अजीत पवार ने मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जताई है, उससे माना जा रहा है कि वे सत्ता में जाने के समीकरण तलाशने में जुटे हैं। अजीत पवार राजनीति में हमेशा अवसर ढूंढने वाले नेता हैं, उन्हें लग रहा है कि 64 साल की उम्र में वे मुख्यमंत्री बन सकते हैं। अजीत पवार को लग रहा है कि शिवसेना (शिंदे) के 16 विधायकों की अयोग्यता का फैसला आना है। और यह फैसला शिंदे गुट के खिलाफ जाता है तो उनके लिए मुख्यमंत्री बनने का अवसर बनेगा।
शरद पवार ने अपने को राष्ट्रीय राजनीति से दूर किया है। वे विपक्ष को एकजुट करने के अभियान में शामिल नहीं है क्योंकि उनके लिए महाराष्ट्र की राजनीति और अपनी पार्टी के संगठन को संभालना पहली चिंता बन गई है। अजित पवार की उम्र 64 साल हो गई है और वे मान रहे हैं कि अभी या अगली बार मुख्यमंत्री नहीं बने तो फिर कभी नहीं बनेंगे। शरद पवार खुद 38 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बन गए थे। अजित पवार उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं और अभी महाराष्ट्र विधानसभा में नेता विपक्ष हैं। वे और उनके करीबी नेता किसी तरह शरद पवार खुद से उनको कमान सौंप देंगे लेकिन ऐसा लग रहा है कि वे अपनी बेटी सुप्रिया सुले को कमान देना चाहते हैं, जैसे बाल ठाकरे ने उद्धव को दिया था।
इस संभावना को भांप कर अजित पवार ने मुख्यमंत्री बनने या अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा बनवाने में लगे हैं। इस प्रयास को हवा देने के लिए उन्होंने अपने विश्वसनीय साथी जितेंद्र पाटिल को आगे किया है। पाटिल ने कहा है कि अगला मुख्यमंत्री राकांपा का होगा। एक तरफ अजीत पवार की यह महत्वाकांक्षा है और दूसरी ओर शरद पवार का नियंत्रण बनाए रखने का प्रयास है। इसलिए कहा जा रहा है कि शरद पवार पार्टी संगठन में बड़ा बदलाव करने जा रहे हैं और उसमें अजित पवार का कद कम हो सकता है। पिछले दिनों उन्होंने नेतृत्व में बदलाव का स्पष्ट संकेत देते हुए कहा कि भाखरी यानी रोटी को तवे पर पलटना पड़ता है वरना वह जल जाती है। इसी बयान में उन्होंने जोड़ा था कि अब भाखरी को पलटने का समय आ गया है, इसमें देरी नहीं की जा सकती है। इसके बाद अजित पवार ने कहा कि नए चेहरों को आगे लाना राकांपा की परंपरा रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि शरद पवार कौन से नए चेहरे आगे लाते हैं। अगर बेटी सुप्रिया को वे संगठन की कमान सौंपते हैं तो बहुत कुछ संभव है कि पार्टी के कुछ विधायक देकर वह अजीत पवार को मुख्यमंत्री भी बनवा दें। बहरहाल, अभी यह राजनीतिक कयासबाजी है और मई के पहले सप्ताह में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद ही तस्वीर स्पष्ट हो सकेगी कि पवार महाराष्ट्र में क्या गुल खिलाने वाले हैं?