UPSC Lateral Entry: क्या है लेटरल एंट्री, जिसको लेकर मच रहा बवाल, बीजेपी कांग्रेस आमने - सामने...
कई मुद्दों पर बहस के बाद अब कांग्रेस और बीजेपी लेटरल एंट्री के मुद्दे को लेकर आमने सामने हैं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लैटरल एंट्री की आलोचना की है और कहा है कि लेटरल एंट्री दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला है। बीजेपी का रामराज्य का विकृत संस्करण संविधान को नष्ट करने और बहुजनों से आरक्षण छीनने का प्रयास कर रहा है।
संविधान और आरक्षण व्यवस्था की हम हर कीमत पर रक्षा करेंगे।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 20, 2024
भाजपा की ‘लेटरल एंट्री’ जैसी साजिशों को हम हर हाल में नाकाम कर के दिखाएंगे।
मैं एक बार फिर कह रहा हूं - 50% आरक्षण सीमा को तोड़ कर हम जातिगत गिनती के आधार पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेंगे।
जय हिन्द।
इसके साथ ही राहुल गांधी ने कहा है कि “संविधान और आरक्षण व्यवस्था की हम हर कीमत पर रक्षा करेंगे। भाजपा की ‘लेटरल एंट्री’ जैसी साजिशों को हम हर हाल में नाकाम कर के दिखाएंगे। मैं एक बार फिर कह रहा हूं - 50% आरक्षण सीमा को तोड़ कर हम जातिगत गिनती के आधार पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेंगे।”
Lateral entry is an attack on Dalits, OBCs and Adivasis.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 19, 2024
BJP’s distorted version of Ram Rajya seeks to destroy the Constitution and snatch reservations from Bahujans.
इसके जबाव में भाजपा ने कहा है कि इसे शुरू में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के तहत ही विकसित किया गया था। और अब कांग्रेस इस पर ही सवाल खड़े कर रही है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लेटरल एंट्री भर्ती पर पटलवार करते हुए कहा कि "लेटरल एंट्री मामले में कांग्रेस का पाखंड स्पष्ट है। लेटरल एंट्री की अवधारणा यूपीए सरकार ने ही विकसित की थी। 2005 में यूपीए सरकार के दौरान दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग (एआरसी) स्थापित किया गया था। श्री वीरप्पा मोइली ने इसकी अध्यक्षता की थी। यूपीए काल के एआरसी ने विशेष ज्ञान की आवश्यकता वाले पदों में रिक्तियों को भरने के लिए विशेषज्ञों की भर्ती की सिफारिश की थी। एनडीए सरकार ने इस सिफारिश को लागू करने के लिए एक पारदर्शी तरीका बनाया है। भर्ती यूपीएससी के माध्यम से पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से की जाएगी। इस सुधार से शासन में सुधार होगा।
Lateral entry
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) August 18, 2024
INC hypocrisy is evident on lateral entry matter. It was the UPA government which developed the concept of lateral entry.
The second Admin Reforms Commission (ARC) was established in 2005 under UPA government. Shri Veerappa Moily chaired it.
UPA period ARC…
अश्विनी वैष्णव मीडिया से कहा कि लेटरल एंट्री 1970 के दशक से कांग्रेस शासन में होती रही है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह लेटरल एंट्री से 1971 में तत्कालीन विदेश व्यापार मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार बने थे, अश्विनी वैष्णव ने रघुराम राजन, सैम पित्रोदा और नंदन नीलकणि का भी नाम लिया जो लेटरल एंट्री से सरकार का अंग बने।
लेकिन सवाल यही है कि आखिर लेटरल एंट्री क्या होती है ?
लेटरल एंट्री एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत सरकार या किसी अन्य संगठन में विशेषज्ञों, पेशेवरों या अनुभवी व्यक्तियों को बिना पारंपरिक सरकारी सेवा के माध्यम से सीधे नियुक्त किया जाता है यानी लेटरल एंट्री का मतलब है बिना एग्जाम के सीधी भर्ती, इसके जरिए केंद्र सरकार UPSC के बड़े पदों पर प्राइवेट सेक्टर के एक्सपर्ट्स की सीधी भर्ती करती है। इसमें राजस्व, वित्त, आर्थिक, कृषि, शिक्षा जैसे सेक्टर्स में लंबे समय से काम कर रहे लोग शामिल होते हैं।
इस प्रक्रिया के तहत, विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ जैसे कि अर्थशास्त्र, प्रबंधन, इंजीनियरिंग, कानून, आदि से जुड़े लोगों को सीधे उच्च पदों पर नियुक्त किया जा सकता है। इसका उद्देश्य सरकारी सेवा में विशेषज्ञता और ताजगी लाना है, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया में सुधार हो सके।
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने केंद्र सरकार के भीतर विभिन्न वरिष्ठ पदों पर पार्श्व भर्ती के लिए "प्रतिभाशाली और प्रेरित भारतीय नागरिकों" की तलाश में एक विज्ञापन जारी किया है। इन पदों में 24 मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव शामिल हैं, कुल 45 पदों पर लेटरल भर्ती की जानी है। जिसको लेकर कांग्रेस ने विरोध जताया है।