Nalanda University: इन विशेषताओं के साथ फिर से बनने जा रहा है नालंदा विश्वविद्यालय, जानिए किसने और क्‍योंं जलाया था नालंदा...

Nalanda University: इन विशेषताओं के साथ फिर से बनने जा रहा है नालंदा विश्वविद्यालय, जानिए किसने और क्‍योंं जलाया था नालंदा...
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आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया है।

नालंदा विश्वविद्यालय, प्राचीन भारत की सबसे प्रतिष्ठित और विश्वप्रसिद्ध शिक्षा संस्थानों में से एक था। इसकी स्थापना गुप्त वंश के शासक कुमारगुप्त प्रथम ने 5वीं शताब्दी में की थी। यह विश्वविद्यालय बौद्ध धर्म के अध्ययन और अनुसंधान का प्रमुख केंद्र था। यहाँ पर विभिन्न विषयों में शिक्षा दी जाती थी, जिसमें धर्म, तर्कशास्त्र, चिकित्सा, गणित, खगोलशास्त्र, और भाषाओं का अध्ययन शामिल था।

आपको जानकर हैरानी होगी कि नालंदा विश्वविद्यालय को तीन बार जलाया गया, लेकिन इसके अंतिम और सबसे विनाशकारी विनाश की घटना 12वीं शताब्दी में हुई। इसके पीछे मुख्य कारण बख्तियार खिलजी का आक्रमण था।

बख्तियार खिलजी का आक्रमण

बख्तियार खिलजी एक तुर्क आक्रमणकारी था, जिसने 12वीं शताब्दी में भारत के उत्तरी भागों में हमला किया था। वह कुतुबुद्दीन ऐबक के साम्राज्य का एक सेनापति था।

बख्तियार खिलजी का मुख्य उद्देश्य भारत के सांस्कृतिक और शैक्षिक केंद्रों को नष्ट करना और इस्लामी शासन स्थापित करना था। नालंदा विश्वविद्यालय उस समय बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र था, और खिलजी इसे नष्ट कर बौद्ध धर्म और भारतीय शिक्षा प्रणाली को कमजोर करना चाहता था।

1193 ईस्वी में, बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय पर आक्रमण किया। उसने विश्वविद्यालय के विशाल पुस्तकालय में आग लगा दी। यह पुस्तकालय अत्यंत समृद्ध था, जिसमें लाखों की संख्या में पांडुलिपियाँ और पुस्तकें थीं। कहा जाता है कि पुस्तकालय में इतनी अधिक पुस्तकें थीं कि उन्हें जलने में कई महीने लग गए थे।

नालंदा विश्‍वविद्यालय पर आक्रमण का प्रभाव


इस आक्रमण ने न केवल नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट किया बल्कि भारतीय सांस्कृतिक और शैक्षणिक धरोहर को भी भारी क्षति पहुँचाई। नालंदा विश्वविद्यालय का विनाश बौद्ध धर्म और भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए एक बड़ी त्रासदी थी।

इस घटना के बाद, नालंदा कभी अपनी पूर्व स्थिति में वापस नहीं आ पाया और धीरे-धीरे यह पूरी तरह से समाप्त हो गया।

नालंदा विश्वविद्यालय का जलाया जाना न केवल भारतीय बल्कि विश्व इतिहास में एक दुखद घटना है। बख्तियार खिलजी के इस आक्रमण ने भारतीय शिक्षा और संस्कृति को बहुत बड़ा नुकसान पहुँचाया। नालंदा विश्वविद्यालय का विनाश एक प्रतीक है कि कैसे सांस्कृतिक और शैक्षणिक धरोहर को संरक्षित करने की आवश्यकता है।

नालंदा का पुनर्निर्माण

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया है।

नया परिसर नालंदा विश्वविद्यालय के प्राचीन खंडहरों के पास है, जिसकी स्थापना नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 के तहत की गई थी। यह अधिनियम 2007 में फिलीपींस में दूसरे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में लिए गए निर्णय के बाद बनाया गया था।

नए नालंदा विश्‍वविद्यालय में क्‍या होगा खास

नया नालंदा विश्वविद्यालय, प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की विरासत को ध्यान में रखते हुए स्थापित किया गया है, लेकिन आधुनिक शिक्षा और अनुसंधान की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इसे विशेष रूप से डिजाइन किया गया है।

ग्लोबल फैकल्टी और स्टूडेंट्स: नए नालंदा विश्वविद्यालय में विभिन्न देशों से प्रतिष्ठित शिक्षकों और छात्रों को आकर्षित किया जा रहा है, जिससे यह एक अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक केंद्र बन गया है।

बहुसांस्कृतिक वातावरण: यह विश्वविद्यालय एक बहुसांस्कृतिक वातावरण प्रदान करता है, जो छात्रों को विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं से परिचित होने का अवसर देता है।

अंतरविषयक पाठ्यक्रम: नए नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम अंतरविषयक हैं, जो विज्ञान, मानविकी, और सामाजिक विज्ञान के बीच एक सेतु का काम करते हैं।

अनुसंधान केंद्र: विश्वविद्यालय में कई अनुसंधान केंद्र हैं, जो विविध क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देते हैं।

ग्रीन कैंपस: नए नालंदा विश्वविद्यालय का परिसर पर्यावरणीय स्थिरता को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। इसमें ग्रीन बिल्डिंग्स, सोलर एनर्जी और जल संरक्षण की सुविधाएं शामिल हैं।

सस्टेनेबिलिटी स्टडीज: विश्वविद्यालय में पर्यावरणीय स्थिरता और सतत विकास पर विशेष ध्यान दिया जाता है, जिससे छात्र इन क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल कर सकें।

लाइब्रेरी और रिसोर्स सेंटर: विश्वविद्यालय में आधुनिक तकनीक से सुसज्जित एक बड़ी लाइब्रेरी और रिसोर्स सेंटर है, जिसमें डिजिटल और प्रिंटेड संसाधनों की व्यापक संग्रहण है।

टेक्नोलॉजी-इनेबल्ड क्लासरूम्स: यहां के कक्षाओं में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है, जिससे शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।

प्राचीन नालंदा की विरासत

धार्मिक और सांस्कृतिक अध्ययन: विश्वविद्यालय में बौद्ध धर्म और अन्य धार्मिक व सांस्कृतिक अध्ययन के लिए विशेष विभाग हैं, जो प्राचीन नालंदा की विरासत को आगे बढ़ाते हैं।

इतिहास और पुरातत्व: प्राचीन नालंदा की धरोहर को समझने और संरक्षित करने के लिए इतिहास और पुरातत्व के अध्ययन पर विशेष जोर दिया गया है।

नया नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन नालंदा की महान धरोहर को संजोते हुए आधुनिक शिक्षा और अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है। इसका उद्देश्य न केवल छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करना है, बल्कि उन्हें वैश्विक नागरिक बनने के लिए तैयार करना भी है।

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