Navdeep Singh: जानिए कौन हैं छोटे कद के पैरा ओलंपियन नवदीप सिंह, जिन्‍होनें भाला फेंक कर भारत को दिलाया स्‍वर्ण पदक...

जानिए कौन हैं छोटे कद के पैरा ओलंपियन नवदीप सिंह, जिन्‍होनें भाला फेंक कर भारत को दिलाया स्‍वर्ण पदक...
संघर्ष से सफलता तक की प्रेरणादायक यात्रा...

Paris Paralympics 2024: 2024 पेरिस पैरालिंपिक में भारत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 29 पदकों में से 7 स्वर्ण पदक अपने नाम किए है। लेकिन नवदीप सिंह का स्वर्ण पदक कहानी में एक अनोखा मोड़ लेकर आया। F41 भाला फेंक प्रतियोगिता में, जहाँ नवदीप ने पहले रजत पदक जीता था, वह पदक अचानक से स्वर्ण में बदल गया। इसके पीछे का कारण प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक विजेता ईरान के खिलाड़ी का अयोग्य घोषित किया जाना था।

विवादास्पद झंडा दिखाने के कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया, और इस प्रकार नवदीप सिंह को स्वर्ण पदक विजेता घोषित किया गया।

नवदीप अब F41 श्रेणी में भाला फेंक में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। हालांकि यह तकनीकी वजह से हुआ, लेकिन उनके कड़ी मेहनत और जुनून ने इस मुकाम को और खास बना दिया है।


यह सफर न सिर्फ उनके जीवन की कठिनाइयों से लड़ने की गवाही देता है, बल्कि लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।

हरियाणा में जन्‍में नवदीप

नवदीप का जन्म एक साधारण जाट तोमर मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। हरियाणा के पानीपत में जन्मे नवदीप के पिता किसान हैं और दूध की डेयरी भी चलाते हैं। वह बौनेपन (F41) के साथ पैदा हुए थे और उनकी लंबाई केवल चार फुट चार इंच थी, लेकिन उन्होंने कभी अपनी शारीरिक कमी को खुद पर हावी नहीं होने दिया।

बचपन से ही एथलेटिक्स के प्रति उनके दिल में गहरा लगाव था, और इस जुनून ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाया।

उनके पिता एक पहलवान थे और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके थे। खेल और मेहनत की यह विरासत नवदीप को भी मिली। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एशियाई युवा पैरा खेलों में 2017 में स्वर्ण पदक जीतकर की।

इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर पाँच स्वर्ण पदक जीते और 2021 में वर्ल्ड पैरा ग्रैंड प्रिक्स में स्वर्ण और 2024 में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया।

एक सफल करियर के साथ एक शानदार संतुलन

नवदीप सिंह न केवल खेलों में चमक बिखेर रहे हैं, बल्कि वह एक पेशेवर करियर भी चला रहे हैं। वह वर्तमान में आयकर विभाग में निरीक्षक के रूप में काम कर रहे हैं और बेंगलुरु में तैनात हैं। उनके लिए काम और खेल के बीच संतुलन बनाए रखना आसान नहीं रहा होगा, लेकिन उन्होंने दोनों क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।

नवदीप की सफलता उन लोगों के लिए एक मिसाल है जो यह मानते हैं कि विकलांगता या अन्य चुनौतियाँ जीवन की प्रगति में बाधा बन सकती हैं। उनका जीवन बताता है कि अगर मन में दृढ़ संकल्प और सही दिशा हो, तो कोई भी व्यक्ति किसी भी बाधा को पार कर सकता है।

विकलांगता नहीं, बल्कि दृढ़ संकल्प ने दिलाया स्वर्ण

23 वर्षीय नवदीप ने न केवल अपनी विकलांगता को हराया, बल्कि समाज में व्याप्त पूर्वाग्रहों का भी सामना किया। उन्होंने गरीबी, शारीरिक विकलांगता, और सामाजिक चुनौतियों के बावजूद अपने देश को गौरव दिलाया है। यह केवल एक स्वर्ण पदक नहीं है, यह उनकी मेहनत, लगन और धैर्य का प्रतीक है।

उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि मुश्किलें चाहे जितनी भी बड़ी हों, अगर हमें अपनी क्षमताओं पर भरोसा हो और आगे बढ़ने का जज्बा हो, तो हम अपने सपनों को हकीकत में बदल सकते हैं। नवदीप सिंह का संघर्ष और जीत भारतीय खेल जगत के लिए प्रेरणा है, और आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक भी।

नवदीप की यह यात्रा न सिर्फ खेल प्रेमियों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो जीवन में किसी न किसी रूप में चुनौतियों का सामना कर रहा है।

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