इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूछा औरंगजेब के मरने के 10 दिन बाद उस पर एफआईआर कैसे ?

इलाहाबाद हाईकोर्ट

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Aligarh Mob Lynching Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट(Allahabad High Court) ने मंगलवार को अलीगढ़ में हुए मॉब लिंचिंग के मामले (Mob lynching case) में मारे गए फरीद उर्फ औरंगजेब के भाई मोहम्मद जकी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने यूपी सरकार से यह भी सवाल किया है कि मृतक के खिलाफ 11 दिन बाद डकैती का मुकदमा कैसे दर्ज किया गया। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने फरीद के भाई मोहम्मद जकी की याचिका पर अधिवक्ता तनीषा जहांगीर मुनीर को सुनने के बाद जारी किया।

औरगजेब के परिवार ने पहले कराया था मामला दर्ज

यह मामला अलीगढ़ के गांधी पार्क थाना क्षेत्र के मामू-भांजा कॉलोनी की चर्चित मॉब लिंचिंग घटना से जुड़ा है। 18 जून की रात को भीड़ द्वारा मारे गए फरीद उर्फ़ औरगजेब के परिवार ने पहले ही मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि फरीद 18 जून को काम से घर लौटते समय चोरी के संदेह में कुछ लोगों द्वारा घेर लिया गया और उसकी पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।

पुलिस ने मौके पर पहुंचकर घायल फरीद को अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसकी मौत हो गई। इस घटना का वीडियो और सीसीटीवी फुटेज वायरल होने के बाद भाजपा नेता अकिंत वार्ष्णेय समेत कई अन्य को आरोपी बनाए गए हैं, जिससे बाजार में जमकर हंगामा हुआ।

औरंगजेब पर छेड़छाड़ और डकैती का मामला

मौत के 11 दिन बाद माॅब लिंचिंग के आरोपियों के परिवार की सदस्य लक्ष्मी मित्तल ने मृतक फरीद उर्फ औरंगजेब और उसके नौ साथियों के खिलाफ महिलाओं से छेड़छाड़ और डकैती की धाराओं में FIR दर्ज कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि 18 जून की रात फरीद ने उनके घर में घुसकर छेड़छाड़ की और कीमती सामान लूट लिया। लक्ष्मी मित्तल की शिकायत में फरीद, उसके भाई मोहम्मद जकी और छह अन्य लोगों का नाम था। उन्होंने दावा किया कि जब परिवार के सदस्य उसे बचाने के लिए दौड़े, तो फरीद का संतुलन बिगड़ गया और वह सीढ़ियों से गिरकर मारा गया। इसके बाद पुलिस ने इस शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया।

मोहम्मद जकी ने हाई कोर्ट में दायर की याचिका

मोहम्मद जकी ने एफआईआर रद्द कराने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनकी अधिवक्ता तनीषा जहांगीर मुनीर ने दलील दी कि यह एक जवाबी कार्रवाई का मामला है, जिसमें मृतक और उसके परिवार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। 11 दिन बाद मुकदमा दर्ज करते समय पुलिस ने ध्यान नहीं दिया कि फरीद उर्फ औरंगजेब की मॉब लिंचिंग में मौत हो चुकी है। कोर्ट ने मामले को विचारणीय मानते हुए याची की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी और यूपी सरकार से हैरानी जताते हुए पूछा कि 11 दिन पहले मारे गए फरीद के खिलाफ डकैती का मुकदमा कैसे दर्ज किया गया।

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