UNESCO Ramcharitmanas: रामचरितमानस बनी विश्व धरोहर, UNESCO ने दी मान्यता, 38 देशों ने किया समर्थन
UNESCO Ramcharitmanas: राम चरित मानस, पंचतंत्र और सहृदयलोक-लोकन को 'यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर' में शामिल किया गया है। यह समावेशन भारत के लिए एक गौरव का पल है। जिसके कारण देश की समृद्ध साहित्यिक विरासत और सांस्कृतिक विरासत की लोगों को जानकारी मिलती है।
किन्हें मिली है ये मान्यता
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) ने मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड कमेटी फॉर एशिया एंड द पैसिफिक (एमओडब्ल्यूसीएपी) की 10वीं बैठक के दौरान एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उलानबटार में हुई इस सभा में, सदस्य देशों के 38 प्रतिनिधि, 40 पर्यवेक्षकों और नामांकित व्यक्तियों के साथ एकत्र हुए। तीन भारतीय नामांकनों की वकालत करते हुए, आईजीएनसीए ने ‘यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर’ में उनका स्थान सुनिश्चित किया।
रामचरितमानस बनी विश्व धरोहर। UNESCO ने दी मान्यता, 38 देशों ने किया समर्थन।
— Shubham Shukla (@ShubhamShuklaMP) May 15, २०२४
राम चरित मानस के अलावा पंचतंत्र और सहृदयलोक-लोकन को 'यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर' में शामिल किया गया। pic.twitter.com/l0FGzIsrwA‘पंचतंत्र’ ‘रामचरितमानस’, के साथ- साथ ‘सहृदयालोक-लोकन’ ऐसी कालजयी रचनाएं हैं जिन्होंने‘रामचरितमानस’, और भारतीय संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया है और आज भी इसे संजो कर रखा है। भारत जैसे देश के नैतिक ताने-बाने और कलात्मक अभिव्यक्तियों को आकार दिया है। इन साहित्यिक कृतियों ने समय और स्थान से परे जाकर भारत के भीतर और बाहर दोनों जगह पाठकों और कलाकारों पर एक अमिट छाप छोड़ी है। साथ ही ‘सहृदयालोक-लोकन’, ‘पंचतंत्र’ और ‘रामचरितमानस’ की रचना क्रमशः पं. आचार्य आनंदवर्धन, विष्णु शर्मा और गोस्वामी तुलसीदास ने की थी।