चीनी ड्रैगन के लिए अब आसान नहीं है, भारत से लोहा लेना...

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मधुकर चतुर्वेदी

भारत के साथ आया अमेरिका, कहा - दुनिया जानती है चीन की तानाशाही

भारत की कार्रवाही और कड़े रूख से पैर पीछे खींचने को मजबूर बीजिंग

नईदिल्ली/वेब डेस्क। चीनी ड्रैगन को करारा जवाब देने के लिए भारतीय सैनिकों ने अब कमर कस ली है। घुसपैठ की कोशिश कर रहे चीनों सैनिकों को जिस तरह से भारतीय सेना ने जवाब दिया है, उससे ना केवल चीन की सेना बल्कि चीन की सरकार में भी हड़कंप की स्थिति है। इनता ही नहीं, अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत और चीन सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद अमेरिका ने इसे बीजिंग की उकसावेपूर्ण कार्रवाई करार देते हुए भारत के साथ खड़े होने का ऐलान भी कर दिया है।

ताजा घटनाक्रम नौ दिसंबर का है। जब चीनी पीएलए सैनिकों और भारतीय सैनिकों के बीच अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में संघर्ष हुआ। इस दौरान भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को करारा जवाब दिया। सूत्रों की मानें तो घायल चीनी सैनिकों की संख्या भारतीय सैनिकों की तुलना में अधिक है। संघर्ष के तुरंत बाद दोनों पक्ष इलाके से पीछे हट गए। बताया जा रहा है कि चीनी पीएलए सैनिकों की संख्या लगभग 300 थी, जो भारी तैयारी के साथ आए थे। हालांकि, उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि उनका सामना करने के लिए भारतीय सैनिक भी पूरी तरह से तैयार खड़े होंगे। इस संघर्ष के बाद पहली बार बीजिंग में घबराहट देखी जा रही है तो वहीं दूसरी ओर भारत को अमेरिका का साथ मिला है।

इस संघर्ष के बाद चीन के मुखपत्र पत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक रिपोर्ट को प्रकाशित करते हुए कहा है कि ये भारत की सोची-समझी रणनीति है। ग्लोबल टाइम्स से अनुसार चीनी मंत्रालय के प्रवक्ता वांग बेनविन ने कहा है कि चीन सरकार ने भारत से दोनों देशों के बीच हुए समझौतों को पालन करने के लिए कहा हैै। वांग ने कहा है कि हमें उम्मींद है कि दोनों देश पहले से हुए समझौते को सख्ती से पालन करेंगे और संयुक्त रूप से सीमा क्षेत्र में शांति बनाए रखने की कोशिश करेंगे। यह बदलते भारत और मजबूत भारत का असर है कि 1962 में भारत पर आक्रमण करने के बाद से हमेशा अपनी सैनिक ताकत के गुमान में रहने वाला चीन अब सीमा क्षेत्र में शांति बनाए रखने की बात कह रहा है। चीन को भी पता है कि अब भारत से उलझना उसके लिए भी कूटनीतिक दृष्टि से ठीक नहीं है। वहीं मंगलवार को भारत और चीन सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद अमेरिका ने जिस तरह से भारत का समर्थन किया, इसके बाद चीन के लिए भारत से उलझना अब आसान नहीं होगा। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इसे तवांग घटनाक्रम को बीजिंग की उकसावेपूर्ण कार्रवाई बताया। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि भारत अमेरिका का रणनीतिक साझेदार है। अमेरिका एकतरफा तरीके से सीमा बदलाव की किसी भी कोशिश का विरोध करता है और वह भारत के साथ है। चीन उकसावे की कार्रवाई करता है।

यह कोई पहली बार नहीं है कि चीन ने भारतीय सीमा में अतिक्रमण किया हो, इससे पहले भी कई बार चीनी सेना ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की है और हर बार उसे मुंह की खानी पड़ी है। अब पहले और आज के भारत में अंतर है। आज का भारत मजबूती के साथ और त्वरित प्रतिक्रिया देता है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने जिस तरह से संसद में देश को आश्वस्त किया कि कोई भी भारतीय सैनिक नहीं मारा गया और न ही गंभीर रूप से घायल हुआ है और कहा कि हमारी सेना देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा कर सकती है, यह आज के भारत की मातृभूमि के प्रति आत्मीयता और स्वाभीमान को दर्शाता है। चीन भले ही कितना भी उकसा ले और कितनी बार भी सीमा का अतिक्रमण करने की कोशिश कर ले, भारतीय सैनिक दुश्मन सैनिकों के इरादों को बखूबी जानते हैं और उसे मुंह तोड़ जवाब भी दे रहे हैं।

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